वायरल बुखार से बीमार बच्चों को नहीं मिल पा रहे बेड, अब तक 4 की मौत

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Published : Sep 17, 2021, 7:28 PM IST

महोबा में वायरल फीवर

महोबा में वायरल फीवर का कहर जारी है. अभी तक चार लोगों की बुखार से मौत हो चुकी है. वहीं अस्पतालों में बेड की कमी के चलते एक बेड पर दो बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा है.

महोबाः जिले में वायरल बुखार के मरीजों में सबसे अधिक बच्चों की संख्या है, लेकिन जिला अस्पताल में अव्यवस्थाओं का बोल बाला है. अस्पताल में मरीजों के सापेक्ष बेड की कमी होने के चलते एक बेड में दो-दो बच्चों को भर्ती करना पड़ रहा है. जिला अस्पताल के जिम्मेदार बेहतर व्यवस्थाओं की बात कर रहे हैं. मगर अस्पताल की तश्वीरें कुछ और ही बयां कर रही हैं. वायरल बुखार से अब तक 4 लोगों की मौत होने की बात भी समाने आ रही है.

जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या बढ़ रही तो साथ ही वायरल फीवर, जुकाम, बुखार के मरीज रोजाना पहुंच रहे हैं. जिला अस्पताल में रोजाना बुखार के 25 बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. 100 बेड के जिला अस्पताल में तकरीबन 55 बच्चें निमोनिया और वायरल बुखार से पीड़ित अस्पताल के बच्चा वार्ड में भर्ती है. वहीं अन्य 73 मरीज भी अस्पताल में भर्ती होकर अपना इलाज करा रहे हैं. अब 100 बेड के इस अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके तीमारदारों के दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. मगर जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. आरपी मिश्रा का कहना है कि, अस्पताल में सिर्फ 30-35 बच्चे ही भर्ती हैं और बेड की कोई कमी नहीं है.

महोबा में वायरल फीवर.

जबकि सीएमएस के बयान के विपरीत अस्पताल में तैनात बाल रोग विशेषज्ञ और स्टाफ नर्स का कुछ और ही कहना है. इनकी मानें तो अस्पताल में अन्य मरीजों के साथ-साथ बच्चों की संख्या अधिक आ रही है. जिससे बेड की कमी हो रही है और एक बेड में दो-दो बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है. खांसी, जुखाम, निमोनिया और वायरल बुखार से पीड़ित ज्यादा बच्चे आ रहे हैं.

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उन्होंने कहा कि, बच्चा वार्ड में स्टाफ कमी है. डॉक्टर की भी कमी है. बच्चा वार्ड में सिर्फ 40 बेड हैं जो न केवल फुल हैं बल्कि एक बेड पर दो बच्चों को भर्ती किया गया है. कई बच्चों को बेड ही नहीं मिल पा रहे हैं. रोजाना 25 बच्चे वार्ड में भर्ती कराए जा रहे हैं. वहीं बीमार बच्चों के कई तीमारदारों का कहना है कि उन्हें अस्पताल में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बेड न होने के कारण बच्चों को कुर्सी पर बैठकर इलाज कराना पड़ रहा है.

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