स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार को PM से आस, बोले-हमारी मदद करो सरकार

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Published : Aug 24, 2021, 11:48 AM IST

Updated : Aug 24, 2021, 12:09 PM IST

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार को नहीं मिली सरकारी सुविधा

महाराजगंज जिले के बांसपार बैजौली गांव के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय बन्ने प्रसाद का परिवार सरकारी सुविधाओं के अभाव में उपेक्षित जीवन जीने को मजबूर है. स्वतंत्रता सेनानी के तीन पुत्र हैं, जिनमें से दो मनरेगा में मजदूरी करते हैं और एक रिक्शा चलाकर परिवार का पेट पालता है. मुफलिसी में जीवन गुजार रहे परिवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की गुहार लगाई है.

महाराजगंज: देश को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराने में कई शूर वीरों ने अपने प्राण न्योछावर किए हैं. सरकार की ओर से ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के आश्रित परिवारों को विभिन्न सुविधाओं का लाभ भी दिया जाता है, लेकिन अभी भी कई ऐसे परिवार हैं, जिन्हें सरकार की तरफ से कोई सुविधा मुहैया नहीं कराई गई. जिले के सदर ब्लॉक के ग्राम सभा बांसपार बैजौली में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय बन्ने प्रसाद का परिवार भी उन्ही में से एक है. जीविकोपार्जन के लिए उनका एक बेटा रिक्शा चला रहा है और दो बेटे मनरेगा में मजदूरी करते हैं. सरकार की ओर से उन्हें आज तक किसी योजना का लाभ नहीं दिया गया.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के परिवार को नहीं मिली सरकारी सुविधा
बांसपार बैजौली गांव के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय बन्ने प्रसाद का परिवार सरकारी सुविधाओं के अभाव में उपेक्षित जीवन जीने को मजबूर है. स्वर्गीय बन्ने प्रसाद के तीन पुत्र हैं. मोतीलाल, जवाहरलाल और खेदू. इनमें से मोतीलाल और जवाहरलाल मनरेगा में मजदूरी कर जीविकोपार्जन कर रहे हैं. वहीं उनका एक पुत्र खेदू परिवार के भरण पोषण के लिए रिक्शा चलाता है. इन तीनों भाइयों के पास मात्र 15-15 डिसमिल जमीन है, जिससे तीनों भाई अपने-अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. स्वर्गीय बन्ने प्रसाद के छोटे पुत्र जवाहरलाल का कहना है कि सरकारी अधिकारियों की ओर से उनके परिवार की उपेक्षा की जा रही है. यही कारण है कि आज तक सरकार की तरफ से एक भी सुविधा का लाभ नहीं मिला. उन्होंने सरकार की इस व्यवस्थाओं से दुखी होकर कहा कि आजादी से अच्छी थी गुलामी. उनके दूसरे पुत्र मोतीलाल का कहना है कि उन्हें भी सरकार की एक भी सुविधा का लाभ नहीं मिला है. परिवार में कुल 6 सदस्य हैं, लेकिन राशन कार्ड में सिर्फ एक सदस्य का नाम दर्ज है. अन्य सदस्यों का नाम काट दिया गया है, जिसके कारण मात्र उन्हें जीविकोपार्जन के लिए एक यूनिट का राशन मिलता है. ऐसे में उनके परिवार का भरण पोषण कैसे होगा यह उनके लिए चिंता का विषय बना हुआ है. स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में निभायी थी महत्वपूर्ण भूमिका स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय बन्ने प्रसाद ने 1942 के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी. उन्होंने न केवल आजादी की लड़ाई लड़ी, अपितु आंदोलन को गति भी दिया. अंग्रेजों से लोहा लेने वाले स्वर्गीय बन्ने प्रसाद को अंग्रेज अधिकारियों ने 6 माह तक जेल की सलाखों में रखा. छह माह की सजा काटने के बाद वह अपने मूल निवास अमरूतिया को छोड़कर बांसपार बैजौली के टोला आकाश कामिनी में जा बसे और वहीं से आंदोलन को धार देने का काम किया. सन् 1997 में जिलाधिकारी डॉ. राकेश कुमार ने स्वर्गीय बन्ने प्रसाद की पहल पर बांसपाल बिजौली को स्वर्ण जयंती ग्राम घोषित किया था. उसके बाद भी गांव का विकास तो दूर स्वर्गीय बन्ने प्रसाद के आश्रित परिवार को आज तक एक भी सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल सका.

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19 जून 2004 को स्वतंत्रता आंदोलन के इस महान सिपाही ने लंबी बीमारी के बाद आखिरी सांस ली. मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने तमाम वादे किए, लेकिन अभी तक आश्रित परिवार को सरकारी सुविधाओं से वंचित रखा गया है. स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय बन्ने प्रसाद के छोटे पुत्र जवाहरलाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद की गुहार लगाई है. उन्हें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री तक उनकी बात पहुंचेगी और निश्चित तौर पर उन्हें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रित परिवार को मिलने वाली सुविधाओं का लाभ मिलेगा.

Last Updated :Aug 24, 2021, 12:09 PM IST
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