लखनऊ : विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने फैसला लिया है कि अब गुरूवार सुबह से कार्य बहिष्कार होगा और रात 10 बजे के बाद से 72 घंटे की बिजली कर्मियों की हड़ताल शुरू होगी. समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि 'उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों में गुरूवार सुबह से कार्यबहिष्कार शुरू होगा, हालांकि इस कार्य बहिष्कार से उत्पादन परियोजनाओं में लगे शिफ्ट के कर्मचारियों को अलग रखा जाएगा, जिससे पावर ग्रिड फेल न होने पाए. रात 10 बजे के बाद बिजलीकर्मी 72 घंटे की हड़ताल पर चले जाएंगे और अगर समझौते को लागू नहीं किया गया तो इस हड़ताल में परियोजनाओं के कर्मचारी भी शामिल होंगे. इसकी जिम्मेदारी पावर कारपोरेशन प्रबंधन की होगी.
विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि '3 दिसंबर 2022 को जो समझौता ऊर्जा मंत्री के साथ हुआ था, उसे लागू करने से ही मना किया जा रहा है, जबकि ऊर्जा मंत्री के कहने पर ही उस समय कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार वापस ले लिया था. पहले नए साल की वजह से कर्मचारियों ने समझौता लागू करने के बारे में कुछ नहीं कहा. उसके बाद पता लगा कि फरवरी में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट आयोजित होगी, जिसमें प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति भी आएंगे तो ऊर्जा मंत्री पर कोई दबाव नहीं बनाया गया, लेकिन अब 15 दिन के बजाय 112 दिन का समय हो गया है पर समझौता लागू नहीं किया गया है. अब ऊर्जा मंत्री ही पीछे हट रहे हैं. मेरी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करें क्योंकि बिजली कर्मी नहीं चाहते हैं कि वह मजबूरन हड़ताल करने पर बाध्य हों और आम जनता को दिक्कत का सामना करना पड़े.' उन्होंने कहा कि 'बिजली की केंद्रीय कोऑर्डिनेशन कमेटी है, उसमें देश भर में 27 लाख बिजली कर्मचारी शामिल हैं. कल वह सभी जिलों में कार्य बहिष्कार करेंगे. इतना ही नहीं कोआर्डिनेशन कमेटी के केंद्रीय पदाधिकारी कल लखनऊ आएंगे.'
संयोजक शैलेंद्र दुबे का कहना है कि 'अनपरा और ओबरा परियोजना उत्पादन निगम की ऐसी परियोजनाएं हैं जो सोना उगलती हैं. यहां से हजारों मेगावाट बिजली का उत्पादन हर रोज किया जाता है. यह परियोजनाएं कोयला खदान के मुहाने पर हैं और यहां पर अच्छी मात्रा में जल भी उपलब्ध है, जिससे बिजली उत्पादित होती है. उत्पादन निगम सबसे सस्ती दर पर उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन को बिजली उपलब्ध कराता है, लेकिन अब अनपरा और ओबरा तापीय परियोजनाओं को भी एनटीपीसी के हाथों सौंपा जा रहा है, यह बिल्कुल भी सही नहीं है. उत्पादन निगम ने इस वित्तीय वर्ष में 900 करोड़ रुपए का लाभ दिया है, ऐसे में अनपरा और ओबरा तापीय इकाइयों का एनटीपीसी को काम देना बिल्कुल भी सही नहीं है. हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं.'
चेयरमैन को हटाने की मांग शामिल नहीं : संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि 'हमारी तरफ से उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन के चेयरमैन को हटाने की मांग बिल्कुल भी नहीं की गई है. यह तो कंपनी के अधिनियम में ही शामिल है. हमारी तरफ से कोई ऐसी मांग नहीं की जा रही है जो वाजिब न हो. कर्मचारियों के हित की सभी मांगें रखी गई हैं. ऊर्जा मंत्री को समझौते को जल्द लागू करना चाहिए, जिससे हड़ताल की नौबत न आए.
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