Shortage Of Doctors : डॉक्टरों की कमी होने के बावजूद नहीं मिली तैनाती, जानिए क्या बोले जिम्मेदार

Shortage Of Doctors : डॉक्टरों की कमी होने के बावजूद नहीं मिली तैनाती, जानिए क्या बोले जिम्मेदार
यूपी के सरकारी अस्पतालों में डाॅक्टरों की कमी (Shortage Of Doctors) को दूर करने के लिए योगी सरकार ने एक्सपर्ट चिकित्सकों की रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने का फैसला किया था.
लखनऊ : प्रदेश सरकार लगातार स्वास्थ्य महकमे को सुधारने में लगा है, साथ ही डॉक्टरों की कमी को दूर करने की पुरजोर कोशिश कर रही है. स्वास्थ्य विभाग में विशेषज्ञ डॉक्टरों की बहुत कमी है. इसको दूर करने के लिए राज्य सरकार तरह-तरह के उपाय भी कर रही है. वहीं साल 2017 में ट्राॅमा सर्जरी में परास्नातक (विशेषज्ञ) करने गये प्रांतीय चिकित्सा सेवा के 12 डॉक्टरों को वापस लौटने पर विभाग ने ज्वाइनिंग ही नहीं दी. इसलिए दो साल तक विभाग के चक्कर लगाने के बाद, मजबूर होकर डॉक्टरों ने विभाग के बाहर कॅरियर बनाने का निर्णय किया.
स्वास्थ्य विभाग में डॉक्टरों की कमी के साथ ही विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी है. विशेषज्ञ कम होने की वजह से अस्पतालों में स्पेशियलिटी चिकित्सकीय सेवाएं ठप हो रही हैं. विभिन्न अस्पतालों में तीन साल के पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स, डीएनबी, डीएनसी (डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड) की सीटों की मान्यता भी संकट में पड़ रही है. विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या को बरकरार रखने के लिए विभाग साल 2017 में दो साल अधिवर्षता आयु बढ़ाने के बावजूद इस समय फिर से डॉक्टरों की सेवा अवधि को बढ़ाकर 65 साल करने की कवायद कर रहा है. इसके अलावा अपने एमबीबीएस डॉक्टरों को विशेषज्ञ बनाने के लिए नीट के सहयोग से पीजी की कुल सीटों में 30 फीसदी सीटें पीएमएस के डॉक्टरों के लिए आरक्षित कर दी गई हैं. हर साल सरकारी डॉक्टर पीजी करने के लिए जा रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञता हासिल करने के बाद लौटकर कितने डॉक्टर विभाग में आ रहे है? स्वास्थ्य महानिदेशालय में किसी के पास इसका रिकॉर्ड नहीं है.
नहीं मिली तैनाती : साल 2017 में नीट की परीक्षा देकर पीएमएस के 12 डॉक्टर ट्राॅमा सर्जरी में पीजी करने के लिए राज्य के विभिन्न मेडिकल कॉलेज गए थे. साल 2020 में डिग्री पूरी होने के बाद डॉक्टरों ने विभाग को सूचित किया, लेकिन विभाग ने तबज्जो नहीं दी. एक डॉक्टर ने तो बड़ी मशक्कत के बाद निदेशालय में ज्वाइनिंग भी दे दी, लेकिन विभाग ने उसे ड्यूटी नहीं दी. ढाई साल बीत गए चक्कर लगाते हुए बीच में एक बार मेल के द्वारा बाराबंकी के प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी करने की जानकारी दी गई, जोकि गलत था. क्योंकि सरकारी डॉक्टर का प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में सेवाएं देने का कोई औचित्य नहीं बनता है.
स्वास्थ्य महानिदेशालय के निदेशक प्रशासन डॉ. राजा गणपति ने कहा कि 'मैं विभाग में मार्च 2021 से हूं. अगर तैनाती नहीं मिली है तो उन डॉक्टरों को मुझसे (निदेशक प्रशासन) या स्वास्थ्य महानिदेशक से मिलना चाहिए.' इसके अलावा स्वास्थ्य निदेशालय की डीजी हेल्थ डॉ लिली सिंह ने कहा कि 'इन डॉक्टरों का मामला संज्ञान में नहीं है, अब जानकारी में आया है. इसके बारे में पता कराया जाएगा.'
