UP में लॉ एंड ऑर्डर बनते रहे हैं सियासी मुद्दा, अब 'ठोको पॉलिसी' पर पॉलिटिक्स

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Published : Nov 24, 2021, 2:18 PM IST

Updated : Nov 24, 2021, 4:04 PM IST

UP में लॉ एंड ऑर्डर बनते रहे हैं सियासी मुद्दा, अब 'ठोको पॉलिसी' पर पॉलिटिक्स

चुनाव से पहले यूपी में मुद्दा बना लॉ एंड ऑर्डर, विपक्ष के निशाने पर सीएम योगी और पुलिस प्रशासन. बोले भाजपा के राज्यसभा सदस्य व सूबे के पूर्व डीजीपी ब्रजलाल, कोई नया नहीं, बल्कि पहले से ही विपक्ष कानून-व्यवस्था को बनाता रहा है चुनावी मुद्दा.

हैदराबाद: पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2017 में सूबे में कानून-व्यवस्था को दुरुस्त करने के मुद्दे को भाजपा ने जोर-शोर से उठाया था. साथ ही इस मुद्दे को पार्टी ने अपने घोषणापत्र में भी शामिल किया था. जिसके परिणामस्वरूप पार्टी को यहां अपार जनसमर्थन के साथ ही रिकॉर्ड वोटों से 312 सीटों पर जीत हासिल हुई थी. हालांकि, सूबे के हर चुनाव में कानून-व्यवस्था एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनता रहा है. चाहे वो मायवती की सरकार रही हो या अखिलेश की, हर चुनाव में कानून-व्यवस्था पर सरकारें घिरती रही हैं.

वहीं, 2017 में यूपी में भाजपा की सरकार बनने के बाद शपथ के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एलान किया था कि अपराधी या तो अपराध छोड़ दे या फिर उत्तर प्रदेश को छोड़ दे वरना उन्हें सही जगह पहुंचा दिया जाएगा. यानी उनका इशारा अपराधियों को जेल भेजने की ओर था.

2017 में चुनाव के दौरान भाजपा के घोषणापत्र और चुनावी प्रचार में भी गुंडा राज और भ्रष्टाचार को खत्म करने के मुद्दे प्रमुख से उठाया था. वहीं, महिलाओं के प्रति हो रहे अपराध पर लगाम लगाने को मुख्यमंत्री ने एंटी रोमियो स्वायड का गठन किया. ताकि सूबे की बिगड़ी छवि को बेहतर बनाया जा सके.

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इधर, मुख्यमंत्री की छूट की आड़ में पुलिसवालों ने जमकर 'ठोकों नीति' के तहत अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की. लेकिन कुछ मामलों पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में रही और इसका असर सूबे की सरकार पर भी पड़ा. चाहे कासगंज में अल्ताफ का मामला हो, आगरा में सफाईकर्मी अमित वाल्मीकि का मामला हो, सीएम सिटी गोरखपुर में कानपुर के कारोबारी मनीष गुप्ता की हत्या का मामला या फिर राजधानी लखनऊ में विवेक तिवारी की हत्या की मामला हो.

इन सभी मामलों में पुलिस की भूमिका और सफाई किसी को हजम नहीं हुई और विपक्षी पार्टियों ने भी इन मुद्दों को जोर-शोर से उठा योगी सरकार की मुश्किलें बढ़ाने का काम किया. अगर हम बात आंकड़ों की करें तो उत्तर प्रदेश पूरे देश में कस्टोडियन डेथ के मामले में टॉप पर है.

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भाजपा के राज्यसभा सदस्य व सूबे के पूर्व डीजीपी रहे ब्रजलाल की मानें तो कानून-व्यवस्था अन्य मुद्दों की तरह ही एक चुनावी मुद्दा रहता है. जो भी सरकारें रहती हैं विपक्ष उनको कानून-व्यवस्था को हथियार बनाकर घेरता रहा है. उक्त मुद्दे पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि योगी सरकार में कानून-व्यवस्था सबसे खराब रही है. अपराधी तो दूर, पुलिसवाले ही इस सरकार में अपराधी बन गए हैं. जिसके कारण आम लोगों को खासा परेशानी झेलनी पड़ी है.

इधर, सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अब्दुल हफीज गांधी ने कहा कि एनएचआरसी ( NHRC) का सबसे अधिक नोटिस यूपी को ही मिले हैं. अपराधों में आज यूपी पूरे देश में पहले पायदान पर है. हालांकि, सूबे में सभी चुनावों में पार्टियों के घोषणापत्र में कानून-व्यव्स्था एक अहम मुद्दा रहा है.

चाहे 2007 का चुनाव हो, 2012 का रहा हो या फिर 2017 का. वहीं, मायवती सरकार में औरैया में विधायक शेखर तिवारी पर मनोज गुप्ता नाम के इंजीनियर की हत्या का आरोप लगा था. वहीं, अखिलेश सरकार में मुजफ्फरनगर दंगे को शायद ही कोई भूला हो.

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Last Updated :Nov 24, 2021, 4:04 PM IST
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