विशेषज्ञ बोले, वाराणसी जैसी कार्रवाई ही लगा सकती है लगाम, अपराधियों के यूपी आने की ये है वजह

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Published : Nov 23, 2022, 9:10 AM IST

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उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से बिहार के बदमाशों की धमक सुनाई देने लगी है. वाराणसी में मुठभेड़ में मारे गए 2 अपराधियों के बिहार कनेक्शन ने एक बार फिर यूपी पुलिस के माथे पर सिकन ला दी है. ऐसा पहली बार नहीं था जब बिहार के अपराधियों ने यूपी में खून (committing crimes in UP) की होली खेली हो.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से बिहार के बदमाशों की धमक सुनाई देने लगी है. वाराणसी में मुठभेड़ में मारे गए 2 अपराधियों के बिहार कनेक्शन ने एक बार फिर यूपी पुलिस के माथे पर सिकन ला दी है. ऐसा पहली बार नहीं था जब बिहार के अपराधियों ने यूपी में खून की होली (committing crimes in UP) खेली हो. 90 के दशक से अब तक ऐसी कई बड़ी घटनाओं को बिहार के गैंग अंजाम से चुके हैं, जिससे यूपी में दहशत बढ़ी.



वाराणसी में रोहिनिया में दारोगा अजय यादव को गोली मारकर सरकारी पिस्टल लूटने वाले अपराधी रजनीश व मनीष को वाराणसी पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया. दोनों ही अपराधी सगे भाई थे और बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले थे. उनका तीसरा भाई लल्लन फरार हो गया है. पुलिस के मुताबिक, ये अपराधी हालही में पटना जेल से फरार हुए थे और पिस्टल लूटकर बड़ी घटना को अंजाम देने की फिराख में थे. ना सिर्फ वाराणसी बल्कि बीती 25 जून को लखनऊ में दिनदहाड़े बिहार से आए शूटर्स ने रेलवे ठेकेदार वीरेंद्र ठाकुर की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी. काफी मशक्क्त के बाद लखनऊ पुलिस ने हत्या करने वाले शूटर्स को मुठभेड़ में गिरफ्तार किया था. ये सभी शूटर्स बिहार के रईस खान गैंग के थे.

जानकारी देते पूर्व डीजीपी एके जैन




यूपी के तकरीबन 11 जिलों में बीते तीन वर्षों में बिहार के अपराधियों ने जमकर उत्पात मचाया है. इसमें सबसे अधिक लखनऊ, वाराणसी, बलिया, नोएडा व सोनभद्र में आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया है. वाराणसी में जहां 53, बलिया में 21 क्राइम रिकॉर्ड किए गए हैं, जबकि नोएडा में 18, सोनभद्र में 15 व लखनऊ में 10 वारदातें की हैं. जिसमें डकैती की 18, लूट की 36, हत्या की 7, नकबजनी के 15 वारदातें हुई हैं. यही नहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में हत्या, लूट व डकैती की घटनाओं को बिहार के ही गैंग अंजाम दे रहे हैं. इसमें अब तक 125 गैंग में शामिल बदमाशों के नाम भी सामने आए हैं, हालांकि इन्हें गिरफ्तार करने में यूपी पुलिस को काफी माथापच्ची करनी पड़ रही है.


यूपी पुलिस की जांच में सामने आया है कि बीते साल बिहार के गोपालगंज, कटिहार, मोतीहारी, सीवान समेत कई जगहों से यूपी के गोरखपुर, मेरठ, आगरा, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, लखनऊ, नोएडा समेत कई जिलों में आकर वारदातें की गई हैं. इन वारदातों में शामिल गाजियाबाद के 17, मेरठ 1, अलीगढ़ 6, आगरा 3, मथुरा 5, कानपुर आउटर 1, प्रयागराज 23, देवरिया 14, गोरखपुर 13, बस्ती 8, चंदौली 25, गाजीपुर 11, मिर्जापुर 24, लखनऊ 9, गौतमबुद्धनगर व वाराणसी के 7-7 मामले के अलावा अयोध्या, महराजगंज, बस्ती, बलमरामपुर, हरदोई, सोनभद्र व बलिया सहित अन्य जिलों में अपराध कर बिहार के 229 बदमाश फरार हैं.


लंबे समय तक यूपी पुलिस सेवा में रहे रिटायर्ड एसपी ज्ञान प्रकाश चतुर्वेदी (Retired SP Gyan Prakash Chaturvedi) कहते हैं कि बिहार के अपराधियों ने अयोध्या, बलिया, चित्रकूट, देवरिया में अपने गढ़ बना रखे हैं, वहीं से वो बिहार और यूपी में ये अपराधी गतिविधियां चलाते हैं. ज्ञान प्रकाश कहते हैं कि बिहार में अपराधियों के लिये अपराध कर पैसे कमाने के उतने अवसर नहीं हैं जितने उत्तर प्रदेश में मिल जाते हैं. यही नहीं अपराधियों को ये भी बखूबी मालूम है कि बिहार से अधिक यूपी में उन्हें सरपरस्त मिल जायेंगे. इस लिए ये यूपी में ताबड़तोड़ घटनाएं करते हैं.


बिहार के अपराधियों पर यूपी पुलिस लगाम क्यों नहीं लगा पा रही है, इस सवाल पर रिटायर्ड एसपी ने बताया कि बिहार-यूपी बॉर्डर पर चेक पोस्ट पर चौकसी रखी जाती है, लेकिन जब तक अपराधियों की पहचान व चिन्हीकरण नहीं होगा तो कैसे उन्हें रोक सकते हैं. यूपी में पुलिस रजिस्टर नंबर 4 को मेनटेन रखती थी, जिसमें इस बात का ब्यौरा होता है कि कौन से अन्य राज्यों के अपराधी उनके जिले में रह रहे हैं. इस बात की जानकारी चौकीदार एजेंसी, प्रधानों व स्थानीय लोगों की सूचना के आधार पर लिखी जाती थी, लेकिन अब उतना ध्यान नहीं दिया जा रहा है और रजिस्टर खराब हो चुके हैं. ऐसे में अगर इन रजिस्टर को ही ठीक नहीं रखा जायेगा तो अपराधी आराम से यूपी में छिपे ही रहेंगे और अगर छिपे रहेंगे तो अपराध भी करेंगे.



पूर्व डीजीपी एके जैन (Former DGP AK Jain) बताते हैं कि जब उनकी पोस्टिंग वाराणसी में थी तब उन्हें बीएचयू व काशी विद्यापीठ में अधिक सतर्कता बरतनी पड़ती थी, क्योंकि बिहार के अधिकतर अपराधी वहां सक्रिय रहते थे. वो कहते हैं कि बिहार के अपराधी सदैव से पूर्वी उत्तर प्रदेश में सक्रिय रहे हैं. मौजूदा समय बिहार सीमाओं पर निगरानी चौकशी की अति आवश्यकता है. बिहार की कानून व्यवस्था को दृष्टिगत रखते हुए बहुत ही आवश्यक है कि उत्तर प्रदेश के जिले को सतर्क रहना पड़ेगा. जब भी पता चले कि कोई बिहार का अपराधी उत्तर प्रदेश में आया हुआ है उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, जैसे कि वाराणसी पुलिस ने की है. जैन के मुताबिक, वाराणसी, गोरखपुर व आजमगढ़ यह सब जगह ऐसी हैं जहां पर बिहार या बाहर के अपराधी सक्रिय रहते हैं. ऐसे में कठोर कार्रवाई ही एक तरीका है, जिससे उधर के अपराधी इधर आने से रुक सकें.



एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार (ADG law and order Prashant Kumar) ने बताया कि उत्तर प्रदेश में अपराध करने वाले बिहार के बदमाशों पर शिकंजा कसने की कार्ययोजना तैयार की गई है. बिहार पुलिस की मदद से वांछित चल रहे बदमाशों को पकड़ने के साथ ही उनकी संपत्ति जब्त कराई जाएगी. यही नहीं उत्तर प्रदेश में किसी भी अपराधी को छिपने की जगह नहीं दी जाएगी. वहीं डीजीपी डीएस चौहान ने भी साफ संदेश देते हुए कहा है कि अपराधियों को पाताल से भी खोज निकाला जाएगा. ये नया उत्तर प्रदेश है जहां अपराधियों के लिये कोई जगह नहीं है.

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