अब पेट्रोल के बजाय हवा से चलेगी बाइक, भारतीय वैज्ञानिक ने किया अविष्कार

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Published : Sep 30, 2020, 4:47 PM IST

हवा से चलने वाली बाइक का किया अविष्कार.

जल्द ही देश में हवा से चलने वाली मोटरसाइकिल आपको सड़कों पर दिख सकती है. लखनऊ के स्कूल मैनेजमेंट साइंस के तकनीकी महानिदेशक प्रोफसर भरत राज सिंह ने इससे जुड़ा एक अविष्कार किया है. उन्होंने हवा से चलने वाला एक इंजन तैयार किया है, जिसे भारत सहित अमेरिका से भी मान्यता मिल चुकी है.

लखनऊ: डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम तकनीकी विश्वविद्यालय से संबद्ध लखनऊ के स्कूल मैनेजमेंट साइंस के तकनीकी महानिदेशक प्रोफेसर भरत राज सिंह ने लगभग 10 साल पहले एक ऐसे इंजन का आविष्कार किया था, जो हवा से चलता है. भारत में इस इंजन को इस साल जुलाई महीने में पेटेंट का प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया है. प्रोफेसर भरत राज सिंह ने जो अविष्कार किया है, यह एक ऐसा आविष्कार है जो दुनिया में आज तक कोई भी वैज्ञानिक नहीं कर पाया है. इस अविष्कार से जल्द ही लोग हवा से सड़क पर गाड़ियां दौड़ा सकेंगे.

प्रोफेसर भरत राज सिंह ने लगभग 10 साल पहले एक ऐसे इंजन का आविष्कार किया था, जो हवा से चलता है. भारत सरकार ने इस इंजन को इसी साल जुलाई महीने में पेटेंट का प्रमाण पत्र भी जारी किया है. प्रोफेसर भरत राज सिंह ने बताया कि कई वर्षों से इंजन का तकनीकी परीक्षण लगातार हो रहा था. उनका यह प्रयोग पूरी तरह से सफल रहा है. उन्होंने बताया कि इस इंजन से धुंआ नहीं निकलता है, जिससे पर्यावरण सुरक्षित रहेगा. क्योंकि यह इंजन हवा के दबाव पर चलता है और फिरकी के सिद्धांत पर काम करता है. ऐसे में इसे बैन टाइप रोटरी इंजन से पेटेंट कराया है, लेकिन इसका सिद्धांत एयर जीरो साइकिल पर मेरे द्वारा विश्व में पहली बार हुआ. अमेरिका ने इसका नाम एयरो साइकिल रखा. इसके बाद मैंने बाइक पर इंजन रखने के उपरांत मोटरसाइकिल का नाम एयर-ओ-बाइक रखा है. इसका ट्रेडमार्क ब्रदर रखा है, जो भारतीयता का परिचायक है और वह मेरे गाइड का सूक्ष्म नाम भी है.

12.25 पैसे प्रति किलोमीटर का आएगा खर्च
प्रो. भरत राज सिंह ने बताया कि जब यह मोटर बाइक बाजार में आएगी तो इसके 2 सिलेंडर में एक बार में 5 रुपये की हवा भराने से लगभग 45 किलोमीटर की दूरी तय की जा सकेगी. वाहन की गति लगभग 70 से 80 किलोमीटर प्रति घंटा होगी. खर्च की बात करें तो लगभग 12.25 पैसे प्रति किलोमीटर का खर्च आएगा. यानी करीब 62 से 65 रुपये में दो आदमी लखनऊ से दिल्ली तक का सफर कर सकते हैं. प्रोफेसर भरत सिंह ने बताया कि साल 1995 में दुनिया में वैश्विक तापमान में वृद्धि अर्थात ग्लोबल वार्मिंग पर चर्चा हो रही थी कि धरती का तापमान बढ़ रहा है. इसे रोकने के लिए कुछ किया जाना चाहिए. मुझे भी किसी नई चीज को जानने की अधिक जिज्ञासा रहती थी तो मैंने भी इसके कारण जो जानने में समय दिया.

हवा से चलने वाली बाइक का किया अविष्कार.

1998 से 2002 तक का डाटा एकत्र किया
उन्होंने बताया कि जब उन्होंने 1998 से 2002 तक का डाटा एकत्र किया और देखा कि ग्लोबल वॉर्मिंग में वाहनों का योगदान 34 से 35 प्रतिशत था और अन्य उद्योगों का योगदान 36 से 37 प्रशिशत था. यांत्रिक अभियंत्रण क्षेत्र का होने के नाते मैंने वाहनों पर अधिक डाटा एकत्र करना प्रारंभ किया. इस दौरान मुझे और चौंकाने वाला आंकड़ा मिला कि प्रदूषण में दो पहिया वाहनों का 85% से 87% योगदान है. बाकी ट्रक, बस, लारी, रेल, वायु यान आदि मात्र 13% से 15% हैं. इसके बाद मुझे वर्ष 2003 में दो पहिया वाहन के लिए नई तकनीकी का इंजन बनाने का विचार उत्पन्न हुआ.

इस बात से मिली थी प्रेरणा
हवा से चलने वाली बाइक बनाने को लेकर उन्होंने बताया कि जब भी वह वायुयान को उड़ते हुए देखते थे, तो उनके दिमाग में एक बात आती थी कि वायुयान जब तेजी से दौड़ता है तो हवा के अधिक दबाव से हवा पर तैरने लगता है. तो क्यों नहीं उल्टी इंजीनियरिंग के इस्तेमाल से हवा में दबाव बनाकर फिरकी की तरह चलने वाला हवा का इंजन बनाया जाए. यहीं से हवा से बाइक दौड़ाने की प्रेरणा मिली. अगर इसका विश्वव्यापी उपयोग किया जाए, तो दुनिया में वाहनों से हो रहे प्रदूषण को 80 से 85% कम करने और वैश्विक तापमान में और वृद्धि में कमी लाने में मदद मिलेगी.

भारत सरकार से हासिल किया पेटेंट
प्रोफेसर भरत राज सिंह ने बताया कि एयर-ओ-बाइक का आविष्कार तो वर्ष 2010 में विश्व ने स्वीकार कर लिया था. मैंने 2008 में ही पेटेंट की औपचारिकताओं को पूरा कर इसका रजिस्ट्रेशन (2412/डीईएल/2010) 8 अक्टूबर 2010 को भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय दिल्ली से हासिल कर लिया था. इसका प्रकाशन भी 13 अप्रैल 2012 को पेटेंट कार्यालय के जर्नल में हो गया था, ताकि किसी अन्य को यदि इस कार्य में कोई आपत्ति हो तो वह छह माह में इसे दर्ज करा सकता है. इसके बावजूद इसके परीक्षण में 8 बरसों का लंबा समय लगना समझ के परे है. हालांकि अब जबकि इसका पेटेंट प्रमाण पत्र मुझे प्राप्त हो गया है, तो इस बात की खुशी है.

लगभग 3 से 4 वर्ष का समय लगा
प्रोफेसर ने बताया कि अब इस कार्य में लगभग 3 से 4 वर्ष का समय लगा, लेकिन मैंने एक वर्ष और लगाया क्योंकि कंप्यूटर की मदद से गणित के मॉडल पर आंकड़ों से जो परिणाम आया था उसे वास्तविक इंजन द्वारा लोड देने से मिलान करना चाहता था. इसी से मेरे अविष्कार की विशिष्ट सफलता का आंकलन हो सका. अविष्कार के बारे में लंदन, अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल में छपने के बाद इसका विश्वव्यापी प्रचार अमेरिका द्वारा 22 जून 2010 में किया गया.

बजाज और होंडा से संपर्क करने की कोशिश की
प्रोफेसर ने बताया मैंने किसी भारतीय कंपनी के साथ अनुबंध कर एयर-ओ बाइक को दो-तीन वर्षों में बाजार में लाने का कार्यक्रम बनाया है. क्योंकि यह मेरे जीवन का एक सपना है. अभी तक मैंने बजाज तथा होंडा से संपर्क करने की कोशिश की है. साथ ही टाटा मोटर्स के महाप्रबंधक चौरसिया से उनकी लखनऊ स्थित फैक्ट्री में 5 सितंबर 2020 को इसके प्रोटोटाइप मॉडल को प्रदर्शित करने के लिए समय निर्धारित किया है.

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