लखनऊ: मुस्लिम पर्सनल लॉ से जुड़ी गलतफहमियों को दूर करने के लिए सेमिनार का आयोजन

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Published : Mar 31, 2019, 2:03 PM IST

लखनऊ के दारुल उलूम फरंगी महल में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तफहीम-ए-शरीयत की ओर से सेमिनार का आयोजन किया. इस दौरान लोगों को शरई उसूल और कानून से वाकिफ कराया गया.

लखनऊ : ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तफहीम-ए-शरीयत कमेटी की ओर से दारुल उलूम फरंगी महल में एक सेमिनार का आयोजन किया गया. जिसमें मुसलमानों के कई मामलों के साथ इस्लाम में बताए गए मुस्लिम महिलाओं के हक पर चर्चा की गई. इस खास मौके पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से जुड़े कई लोग सेमिनार में मौजूद रहे.

दारुल उलूम फरंगी महल में होने वाले इस सेमिनार में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की बात हुई, जिसमें निकाह और तलाक के साथ इस्लाम में बताए गए औरतों के हक पर जोर दिया गया. इस खास मौके पर मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि तफ़हीम-ए-शरीयत कमेटी का बुनियादी मकसद शरई उसूल व कानून से लोगों को वाकिफ कराना है और लोगों के बीच फैली हुई गलतफहमियों को दूर करना है.

AIMPLB ने आयोजित किया सेमिनार.

उन्होंने कहा कि शरीयत-ए-इस्लाम ऐसी पहली शरीयत है जिसमें मजहबी तौर पर औरतों को जायदाद में अधिकार दिया है, जिसको छीनने का हक किसी को भी नहीं है. इसलिए पर्सनल लॉ बोर्ड मुसलमानों से अपील करता है कि निकाह के मौके पर मां अपनी बेटियों को दहेज न देकर विरासत में उनके शरई अधिकार देने को यकीनी बनाएं.

इस मौके पर सीनियर एडवोकेट और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी भी मौजूद रहे, जिलानी ने बताया कि इस सेमिनार का मकसद मुस्लिम वकीलों को शरई कानून से अवगत कराना है, जिससे इस तरह के मामले जिनका संबंध मुस्लिम पर्सनल लॉ से हो, जब उनके सामने आएं तो वह सही तौर पर इसको हल कर सकें.

Intro:ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तफहीम ए शरीयत कमेटी की ओर से लखनऊ के दारुल उलूम फरंगी महल में एक सेमिनार का आयोजन हुआ जिसमें मुसलमानों के तमाम मामलों के साथ खासतौर से इस्लाम में बताए गए मुस्लिम महिलाओं के हक पर चर्चा की गई। इस खास मौके पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से जुड़े कई लोग इस सेमिनार में मौजूद रहे।


Body:दारुल उलूम फरंगी महल में होने वाले इस सेमिनार में मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की बात हुई जिसमें निकाह और तलाक के साथ इस्लाम में बताए गए औरतों के हक और हुकूक पर जोर दिया गया। इस खास मौके पर मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने बताया कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तफ़हीम ए शरीयत कमेटी का बुनियादी मकसद शरई उसूल व कानून से लोगों को वाकिफ कराना है और लोगों के बीच फैली हुई गलतफहमीयों को दूर करना है क्योंकि शरियत इस्लामी खुदा की उतारी हुई आखिरी शरीयत है और तमाम इंसानों तक खुदा के दीन को पहुंचाना उम्मत का मज़हबी फर्ज है, इसी मकसद को पूरा करने के लिए इस कमेटी के तहत पूरे देश में वक्त वक्त पर सेमिनार और कांफ्रेंस आयोजित किये जा रहे है जिससे उलमा, वकील और बुद्धिजीवी के बीच सोच-विचार का सिलसिला जारी रहे। मौलाना खालिद राशिद फरंगी महली ने कहा कि शरीयत ए इस्लाम ऐसी पहली शरीयत है जिसमें मजहबी तौर पर औरतों को जायदाद में अधिकार दिया है जिनको छीनने का हक किसी को भी नहीं है इसलिए पर्सनल लॉ बोर्ड मुसलमानों से अपील करता है कि निकाह के मौके पर मां अपनी बेटियों को दहेज न देकर विरासत में उनके शरई अधिकार देने को यकीनी बनाए।

बाइट:- मौलाना खालिद राशिद फरंगी महली, धर्मगुरु


इस मौके पर सीनियर एडवोकेट और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी भी मौजूद रहे, जिलानी ने बताया कि इस सेमिनार का मकसद मुस्लिम वकीलों को शरई कानून से अवगत कराना है जिससे इस तरह के मामले जिनका संबंध मुस्लिम पर्सनल लॉ से हो जब उनके सामने आए तो वह सही तौर पर इसको हल कर सके।

बाइट:- जफरयाब जिलानी, सचिव, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड


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