ललितपुर: जनपद में चिटफंड कंपनी के सरगना गैंग से जुड़े लोगों के खिलाफ ओबीसी महासभा (OBC Mahasabha protests in Lalitpur) ने विरोध प्रदर्शन किया. ठगी का शिकार हुए लोगों ने एसडीएम और सीओ को ज्ञापन सौंपकर मामले में कार्रवाई की मांग की. आक्रोशित लोगों ने इंदिरा चौराहे पर जमकर नारेबाजी की और धरना दिया.
ललितपुर के महरौनी में इंदिरा चौराहे (Uproar at Indira Chauraha in Lalitpur Mehrauni) पर ओबीसी महासभा और चिटफंड कंपनी से पीड़ितो ने बहुचर्चित चिटफंड घोटाले में शनिवार को हंगामा काट दिया. इस मामले में कार्रवाई न होने पर लोगों ने सरकार के खिलाफ भी नारेबाजी (Slogans raised against Lalitpur Chit Fund Company) की.
बतादें, कुछ महीने पूर्व में चिटफंड किसान एग्रोटेक कॉरपोरेटिव सोसायटी (Chitfund Kisan Agrotech corporate society) के नाम से महरौनी कोतवाली अंतर्गत ग्राम दरौना निवासी श्याम जी सेंगर और सहयोगियों द्वारा गरीब लोगों से धोखाधड़ी कर करोड़ो रूपये लेकर फरार हो गए थे. जिसको लेकर पीड़ितों द्वारा 5 अक्टूबर को कोतवाली महरौनी में मुकदमा दर्ज कराया था. लेकिन मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है. लोगों की मामले में आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी और गरीबों के रुपये वापिस दिलावाने की मांग की है.
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कोतवाली महरौनी अंतर्गत ग्राम दरोना और महरौनी कस्बा के निवासी कुछ नामजद लोगों ने किसान एग्रोटेक कॉरपोरेटिव सोसाइटी बनाकर पूरे क्षेत्र में प्रचार किया. वहीं, लोगों से कहा कि हमारी संस्था से जुड़े यह बैंक से दोगुना ब्याज देगी. इस प्रकार नगर और क्षेत्र के 300 से 400 लोगों ने अपनी दैनिक तथा मासिक किस्त बनाकर इनके पास रुपये जमा किए. लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपियों ने फर्जी रसीद बनाकर लोगों को दी. वहीं, कुछ लोगों को अपने खाते से चेक भी दिया. जब लोगों को धोखाधड़ी की आशंका हुई तो अन्य सभी ने अपना रुपया वापस मांगा. जिस पर आरोपियों ने अपने खाते से सबको चेक बांट दिए. जिसमें कोई धनराशि नहीं थी.
28 सितंबर से लापता चल रहे श्यामजी सेंगर और चंद्रभान सिंह सेंगर, आशुतोष सिंह सेंगर, रविन्द्र प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, मुकेश सेन, गोलू चौहान, नीलेश जैन, सतेंद्र सिंह पर महरौनी कोतवाली में धारा 406, 420, 467, 468, 471, 34, 504, 506, 120-B, 4, 76 समेत अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसता 3(1)(द)निवारण) अधिनियम, 1989 (संशोधन 2015) एवं अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसता 3(1)(ध)निवारण) अधिनियम, 1989 (संशोधन 2015) में मामला दर्ज किया गया.
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