राष्ट्र विरोधी कर रहे किसानों के नाम पर आंदोलन: केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा

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Published : Aug 18, 2021, 9:40 AM IST

ईटीवी भारत से बातचीत करते केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा.

लखीमपुर खीरी पहुंचे केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने किसान आंदोलन पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कुछ तथाकथित किसान ऐसे हैं जो राष्ट्रविरोधी हैं, कुछ वामपंथी विचारधारा के हैं, कुछ राजनीतिक रूप से हताश-निराश लोग हैं, जिनको जनता नकार चुकी है. ऐसे ही लोग कुछ जगहों पर 8 महीनों से बैठे हैं और किसानों के नाम पर आंदोलन कर रहे हैं.

लखीमपुर खीरी: केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने कहा कि किसान आंदोलन के नाम पर कुछ राष्ट्र विरोधी और वामपंथी विचारधारा के लोग कुछ जगहों पर बैठे हैं. केंद्र सरकार छोटे किसानों के भले के लिए कृषि कानून लाई है. इससे किसानों को फायदा भी हो रहा है. उन्होंने कहा कि पेगासस कोई मुद्दा नहीं है. अफगानिस्तान पर भारत सरकार नजर बनाए हुए है. ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत करते हुए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने असम और मिजोरम के बीच हुई घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि अब स्थितियां नियंत्रण में हैं.

बता दें कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा मंत्री पद की शपथ लेने के बाद पहली बार अपने गृह जनपद लखीमपुर खीरी पहुंचे. 'जन आशीर्वाद यात्रा' लेकर लखीमपुर खीरी पहुंचे अजय मिश्रा का जगह-जगह स्वागत हुआ. ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने कहा कि भाजपा हमेशा चुनाव के मोड में रहती है. 'जन आशीर्वाद यात्रा' में भी लोगों को भाजपा सरकार द्वारा किये जा रहे विकास के कामों के बारे में बताया जाएगा और जनता का आशिर्वाद लिया जाएगा.

ईटीवी भारत से बातचीत करते केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा.

असम और मिजोरम की घटना को बताया दुर्भाग्यपूर्ण
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने असम और मिजोरम के बीच छुई झड़प की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि असम और मिजोरम के बीच का विवाद अंग्रेजों का दिया हुआ विवाद है. 1931 में उन्होंने समझौता किया था. उससे 20 साल पहले एक और बंटवारे के लिए समझौता किया था. जब देश आजाद नहीं हुआ था, उस वक्त परिस्थितियां हमारे प्रतिकूल थीं. जैसे ही ये घटना हुई गृहमंत्री अमित शाह ने तुरंत संज्ञान लिया. दोनों मुख्यमंत्रियों से बात की. असम-मिजोरम के टकराव की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए अजय मिश्रा ने कहा कि घटना के लिए उन्हें खेद है. उन्होंने कहा कि अब सारी स्थितियां हमारे नियंत्रण में हैं. बहुत जल्द इस विवाद को निपटा लिया जाएगा.

अफगानिस्तान की परिस्थितियों पर सरकार की नजर
अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद उपजी स्थितियों पर गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने कहा कि ये विवाद 40 साल से चल रहा था. तालिबान समर्थक कुछ लोग जो लोकतांत्रिक शासन पद्धति में विश्वास नहीं रखते, वो युद्ध कर रहे थे. अफगानिस्तान की सीमाएं कजाकिस्तान, पाकिस्तान, ईरान समेत आदि देशों से लगती हैं. तालिबान का प्रभाव इन देशों पर ज्यादा पड़ेगा. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने कहा कि 20 सालों से अफगानिस्तान में अमेरिका था. उसके हटते ही तत्काल वहां परिस्थितियां बदल गईं. अफगानी सरकार पराजय की स्थिति में पहुंच गई. अफगानिस्तान पर हमारी नजर है. हमारी अपनी एक समृद्ध विदेश नीति है. हम उसी पर काम करते हैं. जैसा उचित होगा वैसा किया जाएगा. अफगानिस्तान में चीन के हस्तक्षेप को नकारते हुए उन्होंने कहा कि हर देश की अपनी अलग विदेश नीति और प्राथमिकताएं हैं, लेकिन भारत एक ऐसा देश है जो आतंकवाद और विस्तारवाद के खिलाफ है.

पेगासस कोई मुद्दा ही नहीं
पेगासस मसले पर संसद में विपक्ष के हंगामे के सवाल पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने कहा कि पेगासस कोई मसला ही नहीं. पहले दिन से ही विरोधी दल तय करके आए थे कि सदन को नहीं चलने देंगे. पार्लियामेंट में हर सवाल का जवाब दिया जाता है. हमारे मंत्री ने लोकसभा और राज्यसभा में जवाब भी दिया, लेकिन अगले दिन जब वो आए तो उनके हाथ से कागज छीनकर फाड़ दिया गया. विपक्षी कुछ सुनना नहीं चाहते थे. केंद्रीय गृह राज्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने जो 127वां संविधान संसोधन किया, ओबीसी जातियों को राज्यों को पहचानने का अधिकार देने उस पर विपक्ष तत्काल बहस को भी तैयार हो गया और सदन भी चलने दिया. इसीलिए हम कह सकते हैं कि विपक्ष ने पहले से तय किया था कि सदन नहीं चलने देंगे. सरकार की जो विकास योजनाएं हम जनता तक सदन से पहुंचाना चाहते थे वो भी जनता तक नहीं पहुंचने दी. उसमें बाधा डाली. विपक्ष का यह रवैया लोकतंत्र में स्वीकार्य नहीं है.

किसान आंदोलन के नाम पर धरने पर बैठे हैं राष्ट्र विरोधी
किसान आंदोलन पर केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने दो टूक लहजे में कहा कि सरकार 80 प्रतिशत छोटे किसानों के साथ है. देश में 80 फीसदी पांच एकड़ से कम वाले किसान हैं. कृषि कानूनों से उनको फायदा हो रहा है. उन्होंने कहा कि कुछ तथाकथित किसान ऐसे हैं जो राष्ट्रविरोधी हैं, कुछ वामपंथी विचारधारा के हैं, कुछ राजनीतिक रूप से हताश-निराश लोग हैं, जिनको जनता नकार चुकी है. ऐसे ही लोग कुछ जगहों पर 8 महीनों से बैठे हैं और किसानों के नाम पर आंदोलन कर रहे हैं. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि अगर किसानों को लाभ नहीं मिल रहा होता तो पूरे देश में ये आंदोलन फैल गया होता. हमारे जिले में भी किसान हैं. कोई धरने पर नहीं बैठा है.

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