कुशीनगर में जनता ने कहा, 'न जमीन पर उतरीं सरकारी योजनाएं और न ही दिखे विधायक जी'

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Published : Sep 23, 2021, 2:05 PM IST

कुशीनगर की जनता ने रखे मुद्दे, साझा किया दर्द.

उत्तर प्रदेश में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे चुनावी सरगर्मी तेज हो रही है. कुशीनगर में भी चुनावी चर्चाएं तेज हो गईं हैं. मुद्दे उठने लगे हैं. जनता सवाल उठा रही है. दिल का दर्द भी साझा कर रही है. हर किसी को आगामी सरकार से बहुत उम्मीदें हैं. ईटीवी की टीम ने कुशीनगर के मतदाताओं से जानी उनके मन की बात.

कुशीनगरः आगामी विधानसभा चुनावों की सरगर्मी बढ़ने के साथ ही लोगों का दर्द बाहर आने लगा है. पांच वर्ष तक जिन मुद्दों को लेकर लोगों ने संघर्ष किया, अब उन्हें लेकर वे मुखर होने लगे हैं.

इसी बीच ईटीवी भारत की टीम ने उत्तर प्रदेश में कुशीनगर में मतदाताओं से कई मुद्दों को लेकर चर्चा की. एक दुकान पर जुटे बुजुर्ग ओर युवाओं से जब चुनावी चर्चा की शुरुआत की गई. इस दौरान कई ऐसे मुद्दे उछले जो बीते कई वर्षों से लोगों के जेहन को कचोट रहे हैं.

कुशीनगर की जनता ने रखे मुद्दे, साझा किया दर्द.

जनता जनार्दन का सबसे बड़ा दर्द जनप्रतिनिधि से उनकी दूरी है जिसे लेकर लोगों ने खुलकर चर्चा की. कई अन्य मुद्दों पर लोगों से खुलकर बात हुई. इस दौरान लोगों ने कहा कि बीता विधानसभा सत्र तो ठीक था, पर यहां के जो विधायक हैं, वे न कभी क्षेत्र में घूमते हैं और न ही कुछ करते हैं.

जनता तड़पती हैं पर उसकी बात कोई सुनने वाला नहीं होता. अब आगे देखा जाएगा कि क्या होता है. बोले, महंगाई से कोई संतुष्ट नहीं है. सभी परेशान हैं. यहां कोई विकास कार्य नहीं हुआ है.

यह भी बोले कि सरकार की योजनाओं को जिस तरह से जमीनी स्तर पर उतरना चाहिए था, उस तरह से वे नहीं उतरीं हैं. लोगों ने कहा कि यहां के विधायक जनता के बीच कम ही आते हैं. ऐसे में जनता की समस्याएं भी उनतक नहीं पहुंच पातीं. कहा कि इस बार सोचा जाएगा कि किसको जिताना है.

इस दौरान लोगों ने सरकार पर अनदेखी का आरोप लगाया. कहा कि कोई भी नई सड़क नहीं बनी. पिछली बार जनता ने मोदीजी के नाम पर वोट दिया था. इस बार जनसमस्याएं बहुत हैं.

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इस बीच युवाओं ने भी विधायक के कामकाज को लेकर सवाल उठाए. कहा कि रोजगार व शिक्षा की कोई बात नहीं हो रही है. कहा कि 103 गांव विकास की आस में हैं. आरोप लगाया कि क्षेत्र की जनता की समस्या पर उन्होंने कभी ध्यान नहीं दिया. कभी बुलाने पर आए तो कहने लगे कि पांच साल हमें सीखने में लगेगा.

यह भी कहा कि जिस आस के साथ हमने सरकार चुनी वो पूरी नहीं हुई. अगर सरकार कह रही है कि उसने काम किया तो आकर दिखाए कि कहां काम हुआ है. चुटकी लेते हुए लोगों ने यह भी कहा कि गैस, पेट्रोल-डीजल के दाम दोगुना हो गए हैं. वहीं, किसानों की फसलों के रेट आधे हो गए हैं.

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