डाटा माइग्रेशन बना बड़ौदा यूपी बैंक के खाताधारकों के लिए मुसीबत, रोजाना हो रही नोकझोंक

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Published : Jan 16, 2022, 8:48 PM IST

डाटा माइग्रेशन बना बड़ौदा यूपी बैंक

पूर्वांचल बैंक समेत तीन बैंकों के विलय के बाद बना है बड़ौदा यूपी बैंक. डिजिटल लेनदेन से लेकर एटीएम कार्ड से निकासी कार्य भी प्रभावित. खाताधारक सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित होने के कारण हैं परेशान.

कुशीनगर : बड़ौदा यूपी बैंक के खाताधारक करीब एक महीने से परेशान हैं. खाता धारकों की न किसान सम्मान निधि आ रही है और न गन्ना मूल्य. कई खाताधाराकों की पेंशन भी नहीं आ रही है. बड़ौदा यूपी बैंक में डाटा माइग्रेशन के बाद पूर्ववर्ती पूर्वांचल बैंक ग्राहकों का डिजिटल लेनदेन पूरी तरह से प्रभावित है. एटीएम कार्ड के भी काम नहीं करने की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों की शाखाओं में अफरातफरी का माहौल बना हुआ है.

दरअलस, दिसम्बर 2021 के पहले सप्ताह में पूर्वांचल बैंक को पूरी तरह बड़ौदा यूपी बैंक में मर्ज कर दिया गया था. वहीं, डाटा माइग्रेशन कर उसे पूर्ण करने के लिए खाता धारकों से एक सप्ताह का समय लिया गया था. कहा था, एक सप्ताह बाद लेन देन की प्रक्रिया पहले की तरह शुरू हो जाएगी. लेकिन, डेढ़ महीने से अधिक का समय बीत गया, और कुछ भी ठीक नहीं हुआ है.

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पूर्व का पूर्वांचल बैंक ग्रामीण क्षेत्रों तक फैला है. इसी बैंक में आम आदमी, महिलाओं एवं किसानों के सर्वाधिक खाते हैं. वहीं, मानदेय पर काम करने वाले वर्करों को भी विभाग ने क्षेत्रीय बैंक (पूर्वांचल बैंक) में खाता खोलवा रखा है. दूसरी ओर, अन्य बैंकों में जिनके खाते हैं उन्हें सरकार द्वारा मिलने वाली योजनाओं का लाभ समय से प्राप्त हो जा रहा है. जबकि, इस बैंक के खाताधारक अपने खाते में पैसा न आने की बात कह उससे वंचित समझ रहें हैं. खाते की जांच और पैसे के लेन देन को लेकर हर दिन विवाद की स्थिति बन रही है. बड़ी समस्या तब हो जा रही जब कोई व्यक्ति किसी दुकानदार को ऑनलाइन अपने मोबाइल से गूगल पे, फोन पे, भीम एप्प से डिजिटल भुगतान कर रहा. खाताधारक जब इस प्रक्रिया को कर रहा तो उसका मैसेज ही नहीं शो कर रहा है.

पूर्वांचल बैंक का पुराना एटीम भी समस्या बना हुआ है. एटीएम रखे ग्राहकों को पुनः बैंक के एटीएम से नया पिन कोड बनाना पड़ रहा, जबकि इस बैंक का ग्रामीण क्षेत्रों एवं कस्बों में कोई एटीएम मशीन भी लगा नजर नहीं आ रहा. बैंक कर्मचारी भी इस समस्या के समाधान का कोई हल नहीं बता पा रहे हैं. गांव के मजदूर, किसान, वृद्धा, विधवा, मानदेय वर्कर बुरी तरह से परेशान हैं. खरवास का महीना बीत गया, लोगों के यहां शादी विवाह व अन्य आवश्यक आयोजना शुरू होने वाली है, और उनके पैसों का भुगतान समय से न होना, उनके लिए चिंता का विषय बन गया है.

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उक्त के सम्बंध में जानकारी के लिए बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक डीएस पांडेय से बात की गई तो उन्होंने बताया कि माइग्रेन के कारण उत्पन्न हुई समस्याओं का समाधान एक साथ नहीं हो पा रहा. दुरुस्त करने के लिए कार्य किया जा रहा, लेकिन अभी भी ऑनलाइन ट्रांजेक्शन प्रक्रिया ने दिक्कत आ रही हैं. आधार लिंकिंग में समस्या आ रही है. क्योंकि, लिंक कराने के बाद भी अपडेट नहीं हो पा रही. सभी समस्याओं पर कार्य चल रहा है, पर अभी समय कितना लगेगा इसके बारे में बता पाना मुश्किल है.

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