कासगंज में अमर शहीद का स्मारक और पुस्तकालय बना कर भूले जन प्रतिनिधि और प्रशासन

author img

By

Published : Aug 13, 2022, 1:04 PM IST

etv bharat

देश के लिए अपना बलिदान देने वाले महान क्रांतिकारी के गांव में बना उनका एक स्मारक और पुस्तकालय प्रशासन सुरक्षित नहीं रख पा रहा है. पुस्तकालय की छत से बरसात में पानी टपकता है. अमर शहीद महावीर के स्मारक की छतरी में भी दरारें आ गईं है.

कासगंज: जिला मुख्यालय से लगभग 64 किलोमीटर दूर ग्राम शाहपुर टहला महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह के साथी रहे अमर शहीद महावीर का जन्म स्थान है. वर्षों पहले सरकार और जनप्रतिनिधियों के माध्यम से यहां अमर शहीद महावीर सिंह का एक स्मारक और उन्हीं के नाम पर एक पुस्तकालय का निर्माण कराया गया था. लेकिन आज उस स्मारक की छतरी को क्षतिग्रस्त हुए वर्षों बीत गए हैं. पुस्तकालय में न तो अलमारी है और न ही कोई पुस्तक. बरसात में भी छत से पानी टपकता है. शाहपुर टहला को एटा और कासगंज मुख्यालय से जोड़ने वाली एक मात्र सड़क भी वर्षों से जर्जर पड़ी है. शनिवार को ईटीवी भारत ने शहीद के गांव पहुंच कर वहां के लोगों और शहीद महावीर सिंह के परिजनों से बातें कीं.

देश की आजादी के महानायक अमर शहीद महावीर सिंह का जन्म सन 1904 में उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले की पटियाली तहसील के ग्राम शाहपुर टहला में हुआ था.आजादी की जंग में अमर शहीद महावीर सिंह गदर आंदोलन और हिंदुस्तान सोशल रिपब्लिकन आर्मी के एक वीर सिपाही थे. वर्ष 1929 में दिल्ली असेंबली के बमकांड में सांडर्स की मौत के बाद भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु बटुकेश्वर दत्त के साथ महावीर सिंह को भी हिरासत में लिया गया था.

शहीद के भतीजे और ग्रामिणों ने दी जानकारी
1933 में महावीर सिंह को क्रांतिकारी साथियों के साथ अंडमान निकोबार स्थित पोर्टब्लेयर की सेल्युलर जेल में काला पानी की सजा काटने के लिए भेज दिया गया था. जहां आमरण -अनशन के चलते अंग्रेजों ने इन्हें जबरदस्ती मुंह में नली डालकर दूध पिलाया था. जो उनके फेफड़ों में चला गया. जिससे इनकी 17 मई 1933 को मृत्यु हो गयी थी. इसके बाद अंग्रेजों ने इनके शव को बोरे में भर कर और उसमें पत्थर बांध कर समंदर में फेंक दिया था.देश के लिए अपना बलिदान देने वाले महान क्रांतिकारी के गांव में बना उनका एक स्मारक और पुस्तकालय प्रशासन सुरक्षित नहीं रख पा रहा है. स्थानीय निवासियों की यदि मानें तो अमर शहीद महावीर सिंह के जन्म का दिन हो या फिर बलिदान दिवस, जिले के अधिकारी इस अमर शहीद के गांव में आकर शहीद के स्मारक पर श्रद्धा के दो फूल चढ़ाना भी जरूरी नहीं समझते.

इसे भी पढ़े-गुरिल्ला युद्ध में माहिर शहीद बंधू सिंह का शहादत दिवस आज, प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के नायकों में थे एक

शाहपुर टहला के लोग बताते हैं कि, न तो क्षेत्रीय विधायक और न ही सांसद कभी इस गांव का और शहीद के स्मारक और पुस्तकालय का हाल देखने आये. कई बार जिले के आला अधिकारियों से मांग की गयी कि, महावीर सिंह के नाम पर बने पुस्तकालय में कम से कम पुस्तकों और अलमारी और कुर्सी मेज की व्यवस्था की जाए. पुस्तकालय की छत से बरसात में पानी टपकता है. शहीद के स्मारक की छतरी में भी दरारें आ गईं है. दो जिलों एटा-कासगंज को शहीद के गांव से जोड़ने वाली सड़क वर्षों से जर्जर पड़ी है. लेकिन आज तक प्रशासन इतना पैसा नहीं जुटा पाया कि यह सब कार्य हो पाये.

गांव के रहने वाले सुबोध सिंह राठौर ने बताया कि, नेता मंचों से अमर शहीद महावीर सिंह का नाम लेते हैं. लेकिन, उनके जन्म स्थान के विकास के बारे में नहीं सोचते. दो साल पहले सिर्फ डीएम और कमिश्नर आये थे. तब से अब तक कोई नहीं आया है.

गांव के जदुनाथ सिंह बताते हैं कि, टहला को दो जिलों एटा-कासगंज से जोड़ने वाली एकमात्र सड़क की हालत इतनी खस्ता है कि, बाइक से आते समय मेरा गुरिया हिल गया. अमर शहीद महावीर सिंह के पारिवारिक भतीजे दीपेंद्र सिंह राठौर ने बताया कि, इन समस्याओं के बारे में इतनी शिकायतें कर चुके हैं कि, अब प्रशासनिक अधिकारियों से कहने में शर्म आने लगी है. इनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है.

आज तक हमने अपने गांव में सांसद को आते नहीं देखा. दो साल पहले डीएम और कमिश्नर आये थे. स्मारक की छतरी सही करने के लिए ऐसे बोला था कि, जैसे अगले दिन ही छतरी सही हो जाएगी. लेकिन दो साल बीत चुके हैं. न तो छतरी सही हुई है और न ही पुस्तकालय में फर्नीचर. पुस्तकालय में एक भी पुस्तक नहीं रखी गयी है.

ऐसी ही जरुरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.