कन्नौज में दशहरे पर नहीं बल्कि शरद पूर्णिमा को होता है रावण दहन, 200 सालों से निभाई जा रही ये परंपरा

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Published : Oct 5, 2022, 3:51 PM IST

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कन्नौज में दशहरा के दिन रावण दहन नहीं किया जाता, बल्कि शरद पूर्णिमा के दिन रावण का दहन किया जाता है. इत्र नगरी में यह परंपरा 200 सालों से निभाई जा रही है. शहर में दो जगहों पर रामलीला का मंचन किया जाता है.

कन्नौजः देश भर में दशहरा का पर्व (Dussehra festival) धूमधाम से मनाया जा रहा है. सत्य पर असत्य की जीत का प्रतीक दशहरा पर्व पर रावण दहन किया जाता है. लेकिन कन्नौज में दशहरा की बजाए पूर्णिमा को रावण दहन (Ravana dahan in kannuaj) किया जाता है. रावण दहन की यह परम्परा करीब 200 सालों से ज्यादा समय से निभाई जा रही है. मान्यता है कि जिस दिन भगवान राम ने रावण वध किया था उस दिन दशहरा था. लेकिन रावण ने शरण पूर्णिमा वाले दिन अपने प्राण त्यागे थे. जिसके कारण सैकड़ों सालों से यहां पर शरद पूर्णिमा के दिन रावण दहन की परम्परा निभाई जा रही है.

मान्यता है कि राम-रावण का युद्ध अश्विनी शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को शुरू हुआ था. जो करीब 8 दिन चला था. युद्ध के दौरान भगवान राम ने रावण को नाभि में तीर मारकर दशहरा के दिन यानी दशमी को वध किया था. लेकिन रावण ने शरद पूर्णिमा वाले दिन प्राण त्यागे थे. प्राण त्यागने से पहले रावण ने लक्ष्मण को ज्ञान भी दिया था. यही कारण है कि कई सालों से चली आ रही परंपरा को आज भी निभाया जा रहा है. इसी परंपरा के निभाते हुए इस बार भी शरद पूर्णिमा यानी 9 अक्तूबर के दिन रावण दहन किया जाएगा.

जानकारी देते श्रीराम लीला वार्षिकोत्सव कमेटी के सदस्य सौरभ मिश्रा

शहर में दो जगह होता है रावण दहनः इत्रनगरी के ग्वाल मैदान व एसबीएस इंटर कॉलेज ग्राउंड में सालों से रामलीला का मंचन किया जाता है. स्थानीय बताते हैं कि ग्वाल मैदान में रामलीला की शुरुआत करीब सन 1880 रामलीला वार्षिकोत्सव कमेटी के बैनर तले की गई थी. जबकि एसबीएस इंटर कॉलेज ग्राउंड में श्री पंचमुखी दुग्धेश्वर महादेव आदर्श रामलीला समिति के तत्वाधान में रामलीला का आयोजन किया जाता है. शहर में करीब 200 साल ज्यादा समय से रामलीला का मंचन किया जा रहा है. ग्वाल मैदान व एसबीएस ग्राउंड में दोनों ही जगह पर शरद पूर्णिमा वाले दिन ही रावण दहन किया जाता है. जबकि दोनों की रामलीला की बारात अलग-अलग दिन निकाली जाती है. पहले ग्वाल मैदान की रामलीला की बारात निकाली जाती है. उसके दूसरे दिन एसबीएस इंटर कॉलेज ग्राउंड की रामलीला की बारात निकाली जाती है.

रावण की मृत्यु के बाद हुई थी अमृत वर्षाः मान्यता है कि रावण की नाभि में अमृत था. भगवान राम ने दशहरा को रावण की नाभि में तीर मार धराशाई किया था. प्राण त्यागने के दौरान अमृत वर्षा हुई थी. इसी वजह से आज भी लोग शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाकर खुले आसमान में छतों पर रखते हैं. दूसरे दिन खीर को सभी लोग खाते हैं.

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