झांसी सदर विधानसभा सीट पर दस सालों से काबिज है BJP, विपक्षी दल दमखम दिखाने की कर रहे तैयारी

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Published : Sep 15, 2021, 10:56 PM IST

Updated : Sep 16, 2021, 12:21 PM IST

झांसी सदर विधानसभा सीट

झांसी सदर विधानसभा झांसी जिले की मुख्य सीट मानी जाती है.जातीय समीकरणों के लिहाज से इस सीट पर ब्राह्मण वोटरों को सबसे अधिक निर्णायक माना जाता है. संख्या को लेकर जरूर मतभिन्नता दिखाई देती है.इसके अलावा मुस्लिम, यादव, अहिरवार वोटर भी निर्णायक भूमिका अदा करके हैं.अन्य बिरादरियों के मतदाता अलग-अलग चुनाव में बदलते रुझानों के मुताबिक मतदान करते रहे हैं. आइये जानते हैं इस सीट का क्या है समीकरण...

झांसी: विधानसभा चुनाव 2022 की सरगर्मियां दिखाई देने लगी हैं. उत्तर प्रदेश विधानसभा की झांसी सदर सीट बुन्देलखण्ड की सबसे महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है और फिलहाल यह राजनीतिक रूप से भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल भी बन चुकी है. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में बुन्देलखण्ड की 19 में से दो विधानसभा सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी, जिनमें से एक चरखारी तो दूसरी झांसी सदर सीट थी. चरखारी पर उमा भारती और झांसी सदर पर रवि शर्मा को जीत मिली थी. इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा के रवि शर्मा ने दुबारा जीत हासिल की मोदी लहर के चलते 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में बुन्देलखण्ड की सभी 19 सीटें भाजपा के खाते में गईं.

झांसी सदर विधानसभा सीट पर वर्तमान में कुल 4,02,757 मतदाता हैं. इनमें पुरुष 2,16,405, महिला 1,86,328 और थर्ड जेंडर वोटर 24 हैं. झांसी सदर सीट पर जातीय समीकरणों के लिहाज से ब्राह्मण वोटर सबसे अधिक निर्णायक माना जाता है. संख्या को लेकर जरूर यहां मतभिन्नता दिखाई देती है. अन्य बिरादरियों के मतदाता अलग-अलग चुनाव में बदलते रुझानों के मुताबिक मतदान करते रहे हैं. सियासी दल जिन जातीय आंकड़ों के सहारे वोटों को साधने की कोशिश करते हैं, वे आंकड़े कई बार अतिरंजित और विरोधाभासी भी साबित होते दिखाई देते हैं.

झांसी सदर विधानसभा के आंकड़े.
झांसी सदर सीट पर साल 2017 के विधान सभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के रवि शर्मा को जीत मिली थी. इससे पहले वे साल 2012 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा का परचम बुलंद करने में सफल रहे थे. साल 2009 में इस सीट पर उपचुनाव हुए जिसमें बसपा के कैलाश साहू को जीत मिली थी, जबकि 2007 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदीप जैन आदित्य इस सीट से विधायक चुने गए थे. साल 2009 में वे झांसी लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर सांसद चुने गए और भारत सरकार में ग्रामीण विकास राज्यमंत्री बनाये गए. उनके इस्तीफे से खाली हुई सीट पर 2009 में हुए उपचुनाव में कैलाश साहू बसपा से विधायक चुने गए. साल 2002 में इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी रमेश कुमार शर्मा ने जीत दर्ज की थी और उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में संस्कृति मंत्री बनाया गया. इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के रवींद्र शुक्ल 1989, 1991, 1993 और 1996 में हुए चुनाव में विधायक चुने गए थे. रवींद्र शुक्ल उत्तर प्रदेश सरकार में तीन बार मंत्री रहे. साल 1985 में इस सीट पर कांग्रेस के ओम प्रकाश रिछारिया चुनाव जीते और प्रदेश सरकार में मंत्री बने.
झांसी सदर विधानसभा के आंकड़े.
झांसी सदर विधानसभा के आंकड़े.
झांसी सदर सीट पर सियासी समीकरणों को साधना बेहद चुनौती पूर्ण रहा है. यह सीट बुन्देलखण्ड के हृदय स्थल में स्थित है और बुन्देलखण्ड का प्रमुख शहर भी है. इस क्षेत्र में प्रमुख शिक्षण संस्थान और सरकारी कार्यालय स्थित हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में मिश्रित आबादी निवास करती है. सरकारी नौकरीपेशा लोग, विभिन्न छोटे-मोटे कारोबारों में लगे लोग और किराना कारोबारी इस क्षेत्र की गतिविधियों के मुख्य सूत्रधार हैं. रोजगार के बड़े उपक्रमों की इस क्षेत्र में हमेशा जरूरत महसूस की जाती रही, लेकिन अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी. विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्रों में चल रहे निर्माण कार्यों में बड़ी संख्या में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को रोजगार मिलता है, लेकिन दीर्घकालिक उपक्रमों का अभाव है.
झांसी सदर विधानसभा के आंकड़े.
झांसी सदर विधानसभा के आंकड़े.

नगर निगम झांसी का विकास स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत हो रहा है, लेकिन अधिकांश योजनाएं अधर में लटकी हुई हैं. स्वास्थ्य के क्षेत्र में लोगों को बेहतर सेवा देने के मकसद से मेडिकल कॉलेज को अपग्रेड किया गया है, लेकिन चिकित्सकों की कमी के कारण मरीजों को खास लाभ नहीं मिल पा रहा है. रोजगार, बिजली की बढ़ी दरें, सस्ती शिक्षा, सड़कें और पानी की उपलब्धता इस विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के लिए प्रमुख मुद्दा होंगे.

झांसी सदर विधानसभा के आंकड़े.
झांसी सदर विधानसभा के आंकड़े.

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Last Updated :Sep 16, 2021, 12:21 PM IST
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