धूमधाम से मनाई गई राजा महेंद्र प्रताप की 135 वीं जयंती, लोगों की मांग- 'उनके नाम पर हो यूपी के इस जिले का नाम'

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Published : Dec 2, 2021, 10:03 AM IST

Updated : Dec 2, 2021, 12:44 PM IST

राजा महेंद्र प्रताप की 135 वीं जयंती

हाथरस में धूमधाम से मनाई गई राजा महेंद्र प्रताप की 135 वीं जयंती, निकाली गई भव्य रैली. हाथरस जिले का नाम राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर रखने व सामाजिक विज्ञान की किताबों में एक चैप्टर उनके विषय में रखने की लोगों ने की मांग. 1915 को अफगानिस्तान में पहली निर्वासित सरकार की राजा महेंद्र प्रताप ने की थी घोषणा.

हाथरसः उत्तर प्रदेश के हाथरस में राजा महेंद्र प्रताप की 135 वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई. इस अवसर पर हाथरस के कस्बा मुरसान में गणमान्य नागरिकों और छात्रों की एक रैली निकाली गई. इस रैली में कई झांकियां भी शामिल रही. सोशल क्लब मुरसान द्वारा पिछले कई सालों से यह रैली निकाली जाती है. इस बार इस रैली को और भव्य रुप दिया गया.

राजा प्रताप के प्रपोत्र चरत प्रताप द्वारा सादाबाद विधानसभा क्षेत्र के कस्बा सादाबाद में एक कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. जिसमें उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य शिरकत करेंगी. वहीं राजा साहब के वंशज गरुड़ध्वज इसी विधानसभा क्षेत्र के कस्बा मुरसान में राजा साहब की जन्म जयंती पर कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं. कार्यक्रम में प्रदेश के मंत्री चौधरी उदयभान सिंह सहित कई नेता भाग ले रहे हैं. माना जा रहा है कि चरत प्रताप और गरुड़ध्वज दोनों की मंशा राजा महेंद्र प्रताप की जयंती पर अपनी-अपनी दावेदारी पक्की करने की है.


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राजा प्रताप की जयंती पर सोशल क्लब के पदाधिकारी सीबी सिंह ने सरकार की सराहना करते हुए कहा कि क्षेत्रीय लोगों को अच्छा लग रहा है कि सरकार राजा महेंद्र प्रताप सिंह पर कार्य कर रही है. उन्होंने मांग रखी कि हाथरस जिले का नाम राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर रखा जाए और सामाजिक विज्ञान की किताबों में एक चैप्टर उनके विषय में रखा जाए. उनके नाम पर एक राजकीय कन्या विद्यालय भी बनाया जाए. इसके साथ ही एक छात्र ने कहा कि राजा महेंद्र प्रताप अच्छे इंसान थे. उन्होंने देश व देशवासियों के लिए अच्छा सोचा था.

राजा महेंद्र प्रताप सिंह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के मुरसान रियासत के राजा थे. जाट परिवार से निकले राजा महेंद्र प्रताप की शख्सियत के कई रंग थे. वे अपने इलाके के पढ़े-लिखे शख्स तो थे ही, लेखक और पत्रकार की भूमिका भी उन्होंने निभाई. पहले विश्वयुद्ध के दौरान अफगानिस्तान जाकर उन्होंने भारत की पहली निर्वासित सरकार बनाई. वे इस निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति थे. एक दिसंबर 1915 को राजा महेंद्र प्रताप ने अफगानिस्तान में पहली निर्वासित सरकार की घोषणा की थी.

हालांकि सुभाष चंद्र बोस कांग्रेसी थे और राजा महेंद्र प्रताप सिंह घोषित तौर पर कांग्रेस में नहीं रहे. हालांकि उस दौर में कांग्रेस के बड़े नेताओं तक उनकी धमक पहुंच चुकी थी. इसका अंदाजा महेंद्र प्रताप सिंह पर प्रकाशित अभिनंदन ग्रंथ से होता है जिसमें उनके महात्मा गांधी से संपर्क का जिक्र है.

मथुराः सादगी के साथ मनाई राजा महेंद्र प्रताप की जयंती
धर्म नगरी वृंदावन में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और महान क्रांतिकारी राजा महेंद्र प्रताप की जयंती सादगी के साथ मनाई गई. बुधवार को 135 वीं जयंती के मौके पर केशीघाट स्थित राजा साहब के समाधि स्थल एवं प्रेम महाविद्यालय इंटर कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में राजा साहब के प्रपौत्र चरत प्रताप सिंह समेत उनके अनुयायी एवं कॉलेज स्टाफ आदि ने प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्पार्चन कर उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया.

राजा प्रताप के प्रपौत्र ने बताया कि मैंने प्रार्थना की है कि सबसे पहले दादा जी ने यह प्रेमा विद्यालय जो हमारा पुराना निवास था उसको प्रेमा विद्यालय का रूप दिया और इसकी प्रगति हो, इसमें नए परिवर्तन आएं. इसी क्रम में जो समाधि बहुत सालों से जिस दशा में है उसके लिए हमें अनुमति दी जाएगी. उसमें कार्य कर हम उसे आगे बढ़ाएं. हमारा प्लान ऑलरेडी रेडी है परंतु कोर्ट केस के कारण मामला फंसा हुआ है. जब तक वहां से क्लियर नहीं हो जाता हम उसमें कार्य नहीं कर सकते.

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Last Updated :Dec 2, 2021, 12:44 PM IST
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