हाथरस कांड: परिवार को इंसाफ का इंतजार, 2 साल से बेटी की अस्थियां देख रही विसर्जन की राह

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Published : Sep 29, 2022, 1:29 PM IST

Updated : Sep 29, 2022, 2:15 PM IST

हाथरस केस.

बहुचर्चित हाथरस बिटिया प्रकरण में आज 29 सितंबर को बिटिया की मौत को 2 साल पूरे हो गए, लेकिन परिवार ने अभी तक बिटिया की अस्थियों का विसर्जन नहीं किया है. परिवार का कहना है कि जब तक बिटिया के हत्यारों को फांसी नहीं मिल जाती, तब तक बिटिया के अस्थियों का विसर्जन नहीं करेंगे.

हाथरस: हाथरस की बिटिया की मौत को आज 29 सितंबर को पूरे 2 साल हो गए. परिवार ने अभी तक इस बिटिया की अस्थियों का विसर्जन नहीं किया है. परिवार का कहना है कि जब तक बिटिया को न्याय नहीं मिलेगा. तब तक वह उसकी अस्थियों का विसर्जन नहीं करेंगे. परिवार 2 साल बाद अभी भी न्यायालय की तरफ इंसाफ के लिए टकटकी लगाए हुए है.

ये था मामला: 14 सितंबर 2020 को जिले की चंदपा कोतवाली इलाके के एक गांव में दलित युवती के साथ दरिंदगी और उसे जान से मारने की कोशिश का मामला सामने आया था. वहीं इलाज के दौरान युवती की 29 सितंबर 2020 को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में बिटिया की मौत हो गई. सीबीआई ने इस मामले में चार्जशीट सौंपी थी. इस मामले के चारों आरोपियों संदीप, रवि, रामू और लव कुश अभी अलीगढ़ जेल में बंद हैं.

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हाथरस की चंदपा कोतवाली

2 साल से न्याय की आस लगाए बैठा है परिवार: अब 2 साल बाद भी बिटिया का परिवार उस दिन के घटनाक्रम को याद कर सिहर जाता है. मां बताती हैं कि उस दिन वह बिटिया के साथ खेत पर घास काट रही थी, उसने अपनी बेटी को जगह-जगह काट कर रखी हुई घास की ढेरियों को एकत्रित करने को कहा था. इसी बीच 4-5 युवक उसे बाजरे के खेत में खींच कर ले गए और जब उसने देखा तब तक वह दरिंदगी का शिकार हो चुकी थी. वह अर्ध निवस्त्र थी और उसकी जीभ कटी हुई थी. गौरतलब है कि इस सनसनीखेज वारदात ने पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया. जहां प्रशासन ने रात में ही बिटिया का अंतिम संस्कार करवा दिया, जिसका दर्द बिटिया के परिवार को अभी भी है. परिजनों का कहना है कि अंतिम संस्कार के समय पूरे परिवार को बिटिया से दूर रखा गया और मुख्याग्नि तक नहीं देने दी. इसका दर्द आज भी है.

बिटिया के बड़े भाई ने बताया कि बहन की हत्या को 2 साल पूरे हो चुके हैं. अस्थियां आज भी रखी हैं और उसे तब तक रखा जाएगा. जब तक हत्यारे फांसी पर नहीं चढ़ जाएंगे. हम होम अरेस्ट की तरह हैं. एक बड़ी बेटी 7 साल की है उसे रिश्तेदारी में भेज दिया है. वह वहां पढ़ रही है. 2 छोटी बेटियां घर पर ही रह रही हैं. उनका कहीं आना जाना नहीं हो पाता. वह घर में ही खेलती-कूदती हैं. वह खरीदारी के लिए सुरक्षा के घेरे में जाते हैं जो कुछ भी लाना होता है इकट्टा समान लेकर आते हैं. हम सुरक्षित तो है लेकिन कहीं आ-जा नहीं सकते.

बिटिया के भाई ने बताया कि बहन की मौत के बाद वादे तो बहुत किए गए थे, लेकिन निभाए नहीं गए. फस्टट्रेक कोर्ट का वादा हुआ था. आवास और नौकरी कुछ भी अभी तक नहीं मिला है. मुआवजा जरूर उस समय दे दिया गया था. कोर्ट में अब तक तमाम तारीखें पड़ चुकी हैं. गवाही भी काफी हो चुकी हैं. परिवार न्याय की आस में अभी कोर्ट की तरफ टकटकी लगाए बैठा है.

निर्भया को न्याय दिलाने वाली वकील सीमा कुशवाहा हाथरस की बिटिया को न्याय दिलाने की कोशिश में लगी हुई हैं. देखना होगा कि इस मामले में कब तक कोर्ट का फैसला आता है. गौरतलब है कि 29 सितंबर को बिटिया मामले की कोर्ट में तारीख भी है.

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Last Updated :Sep 29, 2022, 2:15 PM IST
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