हमीरपुर में यमुना बेतवा नदी का रौद्र रूप, बाढ़ से 90 गांव के हजारों लोग प्रभावित

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Published : Aug 27, 2022, 11:57 AM IST

हमीरपुर में यमुना बेतवा नदी का बढ़ा जलस्तर.

हमीरपुर में बाढ़ के पानी से यमुना-बेतवा नदियों का जलस्तर बढ़ने लगा है, जिसका नतीजा है कि जिले के 90 से ज्यादा गांवों में बाढ़ का पानी घुस आया है, जिससे हजारों ग्रामीण प्रभावित हुए हैं.

हमीरपुर: मध्यप्रदेश-राजस्थान में हो रही भीषण बारिश के चलते बांधों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिसके चलते पानी प्रवाह किए जाने से यमुना-बेतवा नदियों का जलस्तर भी बढ़ने लगा है. इसके मद्देनजर दोनों नदियों के पुल से भारी वाहनों के निकलने पर रोक लगा दी गई है. जिले के बाढ़ प्रभावित करीब 20 गांवों की विद्युत आपूर्ति भी एहतियातन बंद कर दी गई है.

हमीरपुर में यमुना बेतवा नदी का बढ़ा जलस्तर.

यमुना-बेतवा की बाढ़ के चलते जहां हजारों बीघे में बोई गई खरीफ फसलें लोगों की जलमग्न हो गई है. मुख्यालय के कई मोहल्लों समेत आसपास क्षेत्र के लोगों के मकान जलमग्न हो गए है. इस बाढ़ से मुख्यालय के कई वार्ड समेत जिले में लगभग 110 गांव प्रभावित हुए है, जिसके कारण करीब 2 हजार परिवारों ने अपना आशियाना छोड़ मुख्यालय के श्री विद्या मंदिर इंटर कॉलेज व कुछेछा स्थित डिग्री कॉलेज में संचालित राहत शिविरों व ऊंचे स्थानों पर डेरा जमाया हुआ है. हालांकि जिला प्रशासन द्वारा बुलाई गई एनडीआरएफ टीम समेत कई बाढ़ राहत टीमों ने बाढ़ प्रभावित लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में जुट गई है.

शुक्रवार को सुबह 9 बजे माताटीला बांध से बेतवा में छोड़े गए 1.28 लाख क्यूसेक पानी व सुबह 10 बजे राजस्थान के धौलपुर से यमुना नदी में छोड़े गए 23.79 लाख क्यूसेक पानी से वर्तमान जलस्तर से 1 से 1.50 मीटर और ऊपर आने की संभावना जताई जा रही है. वहीं, शुक्रवार शाम 6 बजे तक यमुना खतरे के निशान को पार कर 107.440 और बेतवा 106.880 पर बह रही है. बेतवा के पानी बढ़ने से कानपुर सागर मार्ग पर कुंडोरा गांव के पास एनएच 34 सड़क के ऊपर पानी भर गया है, जिससे आवागमन प्रभावित होने का खतरा बढ़ गया गई.

केंद्रीय जल आयोग के उपखंड अधिकारी(एसडीओ) संदीप सिंह ने बताया कि बेतवा नदी में माताटीला डैम से 1 लाख 30 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जिससे नदी का जलस्तर बढ़कर आज देर रात 108 मीटर तक पहुंचने की उम्मीद है.

जिले में बेतवा यमुना नदी बाढ़ से 110 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं. करीब 1 दर्जन गांवों का मुख्यालय से संपर्क टूट गया है. वहीं, नगर सीमा से लगे गांव मेरापुर समेत करीब 8 गांवों में दर्जनों कच्चे मकान जमींदोज हो चुके हैं.

जिला प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों के लिए 3 आश्रय स्थल बनाए हैं, जिसमें पीड़ितों को ठहराया गया है. वहीं पर इन लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है. करीब 1 हजार परिवार सड़कों के किनारे टेंट लगाकर समय व्यतीत कर रह हैं. करीब 3 हजार परिवार आश्रय स्थलों पर शरण लिए हुए हैं.

जिला आपूर्ति अधिकारी बृजेश कुमार शुक्ला की देखरेख में बाढ़ पीडितों को लंच पैकेट वितरित किए जा रहे हैं. इधर दोनों नदियाें का जलस्तर 10 सेंटीमीटर प्रतिघंटा की गति से बढ़ रहा है. इधर कानपुर महोवा मार्ग में कुंडौरा गांव के पास बाढ़ का पानी में सड़क डूब गई है. इस कारण से देर रात इस मार्ग पर आवागमन बंद कर देने की संभावना जताई गई है. बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता सुमित व्यास ने बताया कि गांवों में बाढ़ का पानी भरा होन के कारण 20 गांवों की बिजली आपूर्ति बंद कर दी गई है, जिससे लोगों को अंधेरे में रात काटनी पड़ रही है.

बाढ़ से इंसानों के साथ-साथ जानवर भी अपनी जान बचाकर भाग रहे हैं. टापू बने हमीरपुर शहर के बीचों बीच एक अजगर सर्प विद्यालय में पेड़ पर चढ़कर बैठ गया. जिसे वन विभाग की टीम ने काफी जद्दोजहद के बाद पकड़ लिया है. अब उसे जंगल में छोड़ने की बात कही जा रही है.

पीड़ितों का कहना है कि आसपास पानी भरा होने के कारण विषैले जीव जंतु निकल रहे हैं, जिससे लोग दहशत मे जी रहे हैं. एनडीआरएफ की दो कंपनी जवानों ने क्षेत्र में बचाव एवं राहत अभियान प्रारंभ कर दिया है. पीडितों का कहना है कि 3 दिन से बाढ़ के कारण ज्यादातर लोग संक्रामक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. हालांकि प्रशासन ने अभी तक ग्रामीणों को गांव के बाहर निकालने के लिये नावों का कोई प्रबंध नहीं किया है, जिससे लोगों में नाराजगी देखी जा रही है.

मौदहा बांध के अधिशाषी अधिकारी करन पाल ने बताया कि मुख्यालय के निकट 21 गांव की आबादी व 69 गांव की कृषि भूमि कुल 90 गांव बाढ़ से प्रभावित हो रहे हैं. नदियों की बाढ़ से कच्चा आशियाना बना गुजर-बसर करने वाले गरीब किसान सड़क किनारे डेरा जमाए हैं. मुख्यालय के केसरिया डेरा, ब्रह्मा का डेरा, मेरापुर, बेतवा किनारे बसे तमाम गांव व संकरी पीपल के निकट गांव में पानी भर जाने से ग्रामीणों ने राजमार्ग में अपना डेरा जमा लिया है. परिवार समेत हाईवे व सड़क किनारे रहने वाले लोगों का कहना है कि जब-जब बाढ़ आती है. उन्हें इसी तरह की परेशानी उठानी पड़ती है. वहीं, तटवर्ती गांव में खेतों में पानी भर जाने से हजारों बीघा जमीन में बोई गई खरीफ की फसल भी नष्ट हो गई है.

राहत शिविर में ठहराए गए 2 हजार लोग
सदर एसडीएम रविंद्र कुमार ने बताया कि यमुना बेतवा का जलस्तर बढ़ने से मुख्यालय के कुछ मोहल्ले समेत करीब 13-14 गांव में पानी घरों में घुस गया है, जिसके चलते लोग सुरक्षित स्थानों पर पहुंच गए हैं. उन्होंने बताया कि मुख्यालय स्थित श्री विद्या मंदिर व कुछेछा डिग्री कॉलेज में चल रहे राहत शिविर में करीब 2 हजार लोग अपने मवेशियों के साथ पहुंचे हैं, जिनके लिए बिजली पानी व राशन के अलावा मवेशियों के भूसे का इंतजाम किया गया है.

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