Gorakhpur News : आंख का नासूर अब बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर करेगा दूर, जानिए कैसे

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Published : Mar 16, 2023, 8:42 AM IST

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आंखों से लगातार पानी (आंसू) बहने की समस्या का निदान गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज (Gorakhpur News) के नेत्र रोग विशेषज्ञों ने ढूंढ निकाला है. नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार अब ऑपरेशन के जरिए आंखों के इस रोग से छुटकारा पाया जा सकता है. इसके अलावा चिकित्सकों ने नेत्र रोगों और आंखों के बचाव से संबंधित कुछ सुझाव भी साझा किए हैं.

Gorakhpur News : आंख का नासूर अब बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर करेगा दूर, जानिए कैसे.

गोरखपुर : आंखों का नासूर यानी की आंख से बराबर गिरते पानी की समस्या. यह आंख की बड़ी दिक्कतों में शामिल है, लेकिन अब यह समस्या आसानी से गोरखपुर में ही दूर हो जाएगी. बीआरडी मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग के डॉक्टरों ने इस पर बड़ी सफलता पाई है. इनके शोध के जरिए अब ऐसे मरीजों की आंखों का ऑपरेशन कर उन्हें इस समस्या से छुटकारा दिलाया जा सकेगा. खास बात यह है कि ऑपरेशन की यह विधि देश में अपने आप में पहली होगी. इससे पहले इस तरह की समस्या पहली बार इजिप्ट (मिस्र) में वर्ष 2002 में सामने आई थी और उसका निदान हुआ था. नेत्र रोग विशेषज्ञों के अनुसार आंसू की नली आंख में बंद हो जाने से किसी के भी आंख से बराबर पानी गिरता रहता है. इससे मरीज परेशान रहता है, लेकिन अब यह समस्या दूर हो सकेगी. शोध के बाद ऐसे जिन मरीजों का मेडिकल कॉलेज में ऑपरेशन किया गया है, उसमें सफलता की दर 95% से अधिक है.

Gorakhpur News : आंख का नासूर अब बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर करेगा दूर, जानिए कैसे .
Gorakhpur News : आंख का नासूर अब बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर करेगा दूर, जानिए कैसे .



मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. राम कुमार जायसवल बताते हैं कि आंसू की नली बंद हो जाने से रोगी की आंख से हमेशा पानी गिरता रहता है. इस रोग का ऑपरेशन ही विकल्प है. इसमें पुरानी विधि के अनुसार आंख की नली को नाक की हड्डी में रास्ता बनाकर जोड़ दिया जाता था. जिससे आंसू नाक व गले से होते हुए पेट में चला जाता था. इस विधि से ऑपरेशन में यह समस्या 50 प्रतिशत रोगियों में दोबारा हो जाती थी, लेकिन ओपीडी में आने वाले ऐसे मरीजों को जब शोध का आधार बनाया गया तो कुल 78 रोगियों को इसमें शामिल करते हुए, उनके दो ग्रुप बनाए गए. जिनकी संख्या 39- 39 और इनकी उम्र 16 से 65 वर्ष के बीच थी.

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उन्होंने बतया कि पहले समूह में ऑपरेशन में 'माइटोमायसिन सी ड्रग' का प्रयोग किया गया. दूसरे समूह में गर्भनाल की सबसे निचली लेयर का जिसे प्लेसेंटा कहते हैं उसका उपयोग किया गया. ऐसे रोगियों की बराबर निगरानी की गई. इसके बाद पता चला कि पहले समूह में नौ रोगियों में यह बीमारी दोबारा हुई, वहीं दूसरे समूह में मात्र दो रोगियों में दोबारा बीमारी के लक्षण मात्र 5% दिखाई दिए. इस अध्ययन को इंडियन जर्नल आफ क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल आप्थाल्मालॉजी, नई दिल्ली में प्रकाशित करने के लिए भी भेज दिया गया. भारत में इस तकनीक से आंख की समस्या को दूर करने का यह पहला शोध है. ऐसा प्रकाशन उन्होंने इजिप्ट (मिस्र) में ही होना बताया है जो वर्ष 2002 में हुआ था. इस समस्या के निदान में डॉ. विनय सिंह की मुख्य भूमिका रही है. जिनके अनुसार सामान्य ऑपरेशन करके आंसू के लिए जो रास्ता बना जाता है वहां फाइब्रोसिस हो जाती है. नली सिकुड़ने लगती है. नई विधि में फाइब्रोसिस की रोकथाम की गई है. इसलिए ऑपरेशन ज्यादा सफल है. उन्होंने कहा कि बदलते दौर में इंसान अधिकाधिक मोबाइल का भी प्रयोग कर रहा है. जिससे बचना चाहिए. बचाव के तरीकों को भी अपनाना चाहिए. आंख शरीर का महत्वपूर्ण अंग है. इसके बगैर दुनिया का एहसास नहीं किया जा सकता है.

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