बिना किसी जुर्म के जेल में कट रही 55 मासूमों की जिंदगी, जानें क्या है मामला

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Published : Sep 22, 2021, 2:08 PM IST

Updated : Sep 23, 2021, 11:05 PM IST

बिना किसी जुर्म के जेल में कट रही 55 मासूमों की जिंदगी, जानें क्या है मामला

सामाजिक कार्यकर्ता योगेश पांडेय कहते हैं कि बच्चों को उनकी मां से अलग करना ठीक नहीं है. ऐसे बच्चों को अगर किसी बाल सदन के माध्यम से शिक्षित और पोषित करने का प्रयास किया जाय तो काफी अच्छा होगा.

गोरखपुर : बिना गुनाह के अगर कोई जेल की सजा काटे तो सोचिए उस पर क्या बीतती होगी. अगर ऐसी सजा को काटने वाले छोटी उम्र के मासूम बच्चे हों तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके मन-मस्तिष्क और भविष्य पर किस तरह का असर पड़ रहा होगा.

मौजूदा समय में गोरखपुर जेल समेत मंडल की कुल 8 जेलों में इस समय 55 बच्चे बिना सजा के अपनी जिंदगी काट रहे हैं. इन बच्चों का गुनाह सिर्फ इतना है कि वह अपनी गुनहगार मां के साथ जेलों में बंद हैं. विभिन्न मामलों में जेल में बंद महिलाओं के यह बच्चे उनके साथ ही रहने को मजबूर हैं क्योंकि उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है. फिलहाल इन बच्चों की देखभाल और पढ़ाई का जिम्मा जेल प्रशासन ही उठा रहा है.

मदर सेल में रखे जाते हैं महिलाओं के साथ 6 साल के बच्चे

गोरखपुर जेल की बात करें तो यहां आठ बच्चे अपनी मां के साथ रह रहे हैं. इनमें 3 लड़के और पांच लड़कियां हैं. जेल अधीक्षक ओपी कटियार की मानें तो जेल मैन्युअल के अनुसार मां के साथ रहने वाले मासूम बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के साथ खेलकूद के सारे इंतजाम जेल प्रशासन को करना होता हैं. इसे किया भी जा रहा है.

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उन्होंने कहा कि यह प्रयास इसलिए किया जाता है ताकि ऐसे मासूम बच्चों पर जेल के माहौल का कोई असर न पड़े. जेल की ऊंची-ऊंची दीवारों में कैद इन मासूम बच्चों के बचपन को बचाने की पूरी कोशिश की जा रही है.

देवरिया जेल में बंद हैं कुल 13 बच्चे

महिला बंदियों को 6 साल तक के बच्चों के साथ मदर सेल में रखने का प्रावधान है. कई महिला बंदियों के तीन-तीन बच्चे जेल में उनके साथ बंद हैं. गोरखपुर रेंज के कुल 8 जेलों में 630 महिला बंदी हैं. इन बंदियों के साथ 55 बच्चे सलाखों के पीछे अपना जीवन काट रहे हैं.

सबसे अधिक 13 बच्चे देवरिया जेल में बंद हैं. गोरखपुर में 8, महराजगंज में 9, बस्ती में 10, सिद्धार्थनगर में 4, आजमगढ़ 3, बलिया 3, मऊ में 5 बच्चे हैं. इन जेलों में क्षमता से अधिक कैदी भी बंद हैं. सामाजिक कार्यकर्ता योगेश पांडेय कहते हैं कि बच्चों को उनकी मां की ममता से अलग करना तो ठीक नहीं है. ऐसे बच्चों को अगर किसी बाल सदन के माध्यम से शिक्षित और पोषित करने का प्रयास किया जाय तो काफी अच्छा होगा.

Last Updated :Sep 23, 2021, 11:05 PM IST
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