6 लोगों की हत्या कर बौद्ध भिक्षु बना, 30 साल बाद पकड़ा गया

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Published : Sep 27, 2022, 7:33 PM IST

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फर्रुखाबाद में पुलिस ने 30 साल पहले हुए सामूहिक हत्याकांड के दोषी को बौद्ध भिक्षु के रूप में गिरफ्तार किया. वह वारदात के बाद फरार हो गया था. इसके बाद वह बौद्ध भिक्षु बन गया. मगर पुलिस ने उसे 30 साल बाद पकड़ ही लिया.

फर्रुखाबादः कायगंज कोतवाली क्षेत्र (Kaimganj police station) में पुलिस ने मंगलवार को 30 वर्ष पुराने हत्या के दोषी को एक बौद्ध भिक्षु (Buddhist monk) के रुप में गिरफ्तार किया है. आरोपी ने अपने भाई के साथ मिलकर वर्ष 1991 में कायमगंज कोतवाली क्षेत्र के लखनपुर गांव में 6 लोगों की हत्या कर दी थी. इस हत्याकांड के आरोपियों को कोर्ट से सजा-ए-मौत मिली थी, इसके बाद से वह फरार था. गिरफ्तारी के बाद एसपी अशोक कुमार मीणा ने पूरी जानकारी मीडिया को दी.

एसपी अशोक कुमार मीणा कि कायमगंज कोतवाली क्षेत्र के लखनपुर गांव (Lakhanpur village) में वर्ष 1991 में सामूहिक हत्याकांड(mass murder) को अंजाम देते हुए 6 को मौत के घाट उतार दिया गया था. मामला इसी गांव के एक व्यक्ति की बेटी को प्रेम प्रसंग में फंसा कर भगा ले जाने पर हुआ था. इसी रंजिश के चलते वर्ष 1991 में सामूहिक हत्याकांड(mass murder) में लखनपुर के निवासी बाबूराम उसके पड़ोसी गुलजारीलाल, गुलजारी लाल की पत्नी रामवती तथा बेटे धर्मेंद्र, राकेश, उमेश को मौत के घाट उतार दिया था.

इस हत्याकांड में श्री कृष्ण, रामसेवक और किशोरी लाल को आरोपी बनाते हुए मुकदमा दर्ज कराया गया था. इन तीनों अभियुक्तों ने उसी वर्ष 19 अगस्त 1991 में न्यायालय पहुंचकर आत्मसमर्पण कर दिया था. कानूनी प्रक्रिया के दांवपेच के बीच इन तीनों को जमानत मिल गई और यह कारागार से बाहर आ गए थे. सामूहिक हत्याकांड(mass murder) में ईसी एक्ट कोर्ट ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की तर्क सुनने के बाद तीनों आरोपियों को सजा-ए-मौत की सजा सुना दी थी.

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न्यायालय द्वारा मृत्युदंड आदेश पारित होने के बाद तीन आरोपियों में से किशोरी लाल और रामसेवक भूमिगत हो गए थे. वहीं, आरोपी श्री कृष्ण जेल की सलाखों के पीछे चला गया था. भूमिगत हुए आरोपियों में से रामसेवक को बौद्ध भिक्षु के भेष में घूमते हुए फर्रुखाबाद में ट्रैफिक पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया. गिरफ्तार होने के बाद कड़ाई से की गई पूछताछ में उसने अपने इतने दिन फरारी जीवन बिताने के बारे में बताया कि वह दिल्ली चला गया था, जहां संगम विहार में बौद्ध दीक्षा लेकर अपना नाम परिवर्तित कराया और वहीं से बौद्ध भिक्षु के भेष में आकर जनपद बदायूं के कस्बा म्याऊं में बने बौद्ध मठ में रहता रहा.

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