प्रिंसिपल से विवाद के कारण स्कूल में छात्रों को नहीं मिल रहा मिड डे मील

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Published : Aug 20, 2022, 2:24 PM IST

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एटा में शिक्षा विभाग की बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई है. इंग्लिश मीडियम प्राइमरी स्कूल में शिक्षा सत्र की शुरुआत से लेकर अब तक महज मिड डे मील छात्रों का नहीं मिल रहा है.

एटा: जिले में शिक्षा विभाग की बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई है. इस वर्ष के शिक्षा सत्र से अब तक प्राइमरी विद्यालय में मिड डे मील नहीं बना है. कारण जानकर आप भी चौक जाएंगे. मामला जिले के विकास खंड अलीगंज क्षेत्र के ग्रामबनी की है, जहां इंग्लिश मीडियम प्राइमरी स्कूल में शिक्षा सत्र की शुरुआत से लेकर अब तक महज मिड डे मील इसलिए नहीं बन पाया क्योंकि विद्यालय में
प्रिंसिपल पद पर नियुक्ति को लेकर विवाद चलता रहा है.

पूर्व में स्थानांतरित हुए प्रिंसिपल के बाद आज तक विद्यालय में वह पद रिक्त चला आ रहा है, जिसके चलते स्कूली बच्चे मिड डे मील से वंचित चल रहे हैं. विद्यालय के बच्चों को अपने -अपने घरों से ही भोजन लेकर आना पड़ रहा है. शिक्षा विभाग की यह लापरवाही स्थानीय छात्रों के परिजनों के गले नहीं उतर रही है.

छात्रों को नहीं मिल रहा मिड डे मील

इस मामले पर जब खंड शिक्षा अधिकारी (block education officer) आनंद द्विवेदी से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया की पूर्व में तैनात प्रिंसिपल असलम का स्थानांतरण होने के बाद संकुल शिक्षकों को कार्यभार सौंपने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन उत्तर प्रदेश शासन की तरफ से संकुल शिक्षकों को प्रभार न सौंपे जाने के निर्देश दिए गए. इसके चलते संकुल शिक्षक से कार्यभार वापस ले लिया गया. ऐसे में कार्यभार की जिम्मेदारी पहले से तैनात शिक्षकों में से किसी एक की बनती है.

छात्रों को नहीं मिल रहा मिड डे मील
छात्रों को नहीं मिल रहा मिड डे मील

उन्होंने बताया कि विद्यालय में फिलहाल चार शिक्षक मय शिक्षा मित्र की तैनात हैं. इस विद्यालय में तैनात शिक्षिका सना और अनुज प्रताप सिंह वरीयता क्रम में आते थे. विद्यालय का पदभार ग्रहण करने के निर्देश शिक्षकों को दिए गए लेकिन दोनों शिक्षकों ने अपनी-अपनी समस्याएं बताते हुए पद ग्रहण करने से इंकार कर दिया. मामले को लेकर जिले के आला अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है. फिलहाल प्रिंसिपल पद नीति विवाद के चलते विद्यालय के बच्चे मिड डे मील से लगातार वंचित हैं.

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वहीं, दूसरी ओर बताया जा रहा है की पिछले शिक्षा सत्र में असलम नाम के प्रिंसिपल तैनात थे, जिनका स्थानांतरण होने के बाद नए प्रिंसिपल की तैनाती होनी थी. लेकिन विद्यालय में पहले से तैनात शिक्षकों को में प्रिंसिपल पद की जिम्मेदारी के प्रति रुचि न होने के चलते पद ग्रहण नहीं किया गया, जिसके चलते विद्यालय में शासन द्वारा संचालित मिड डे मील योजना के अंतर्गत बनने वाला भोजन नहीं बन पा रहा है.

प्रत्येक दिन की तरह विद्यालय प्रतिदिन खुलता है. बच्चे विद्यालय में आते हैं. शिक्षक भी प्रतिदिन विद्यालय में शिक्षण कार्य करने आते हैं. हर रोज की भांति रसोईया भी विद्यालय में ड्यूटी पर तैनात मिलती है, लेकिन मिड डे मील में उपयोग में आने वाले खाद्य पदार्थ उपलब्ध न होने की वजह से स्कूली बच्चे लगातार महीनों से मिड डे मील से वंचित चल रहे हैं. हालांकि इस पूरे प्रकरण को लेकर शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को भी अवगत कराया गया.

छात्रों को नहीं मिल रहा मिड डे मील
छात्रों को नहीं मिल रहा मिड डे मील

विद्यालय में तैनात शिक्षक अपनी -अपनी समस्याओं का हवाला देते हुए पद ग्रहण करने की जिम्मेदारी को समझते हुए पल्ला झाड़ लिया गया. विद्यालय में तैनात शिक्षक प्रिंसिपल पद इसलिए ग्रहण नहीं करना चाहते क्योंकि प्रतिदिन उन्हें विद्यालय के बच्चों के लिए ताजी हरी सब्जियां, फल और खाद्य पदार्थ लाने की जिम्मेदारी बखूबी से निभानी पड़ती.

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उत्तर प्रदेश में स्कूल चलो अभियान के अंतर्गत कस्बा ग्रामीण अंचलों में लगातार सरकारी विज्ञापनों के माध्यम से प्राइमरी विद्यालयों में शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं. साथ ही बच्चों को विद्यालय के अंदर ही रोस्टर के अनुसार मिड डे मील दिए जाने की व्यवस्था की जाती है. मिड डे मील योजना पर सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है लेकिन एटा के इस विद्यालय में शिक्षकों उदासीनता के चलते सरकारी निर्देशों की लगातार अवहेलना करते हुए महज इसलिए मिड डे मील नहीं बन पा रहा क्योंकि विद्यालय में तैनात शिक्षकों की रूचि
प्रिंसिपल पद ग्रहण करने की नहीं है. हालांकि इस प्रकार की जानकारी शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को होते हुए भी आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी.

विद्यालय की छात्रा कंचन ने बताया कि विद्यालय में खाद्य पदार्थ उपलब्ध न होने की वजह से मिड डे मील नहीं बन पा रहा. इसकी वजह से स्कूली बच्चों को भोजन घर पर करके आना पड़ता है. स्कूल की नन्ही मुन्नी छात्रा शिखा ने कहा कि महीनों से विद्यालय में खाना नहीं बन पा रहा है. हमलोग घर से खाना लेकर आते हैं, जिसको विद्यालय में ही खाते हैं. गांव के ही रहने वाले बृजेश पांडेय ने बताया कि विद्यालय के अंदर 3 से 4 महीने से लगातार मिड डे मील नहीं बन रहा. बच्चों को अपने घर पर भोजन खा कर आना पड़ता है. इसकी जानकारी कई बार शिक्षा विभाग के अधिकारियों को दी जा चुकी है.

शिक्षा विभाग की यह लापरवाही सरकार के मंसूबों पर पानी फेरती नजर आ रही है. वहीं, मामला सवाल एक और उठता है कि जब से मिड डे मील नहीं बन रहा है तो तब से उस खाद्य सामग्री का क्या हुआ जो बच्चों के लिए सरकार द्वारा भेजी जाती है.
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