साथ पढ़ते, साथ खेलते, साथ ही दुनिया छोड़ गए तीनों बच्चे, गांव में नहीं जला चूल्हा

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Published : Aug 27, 2021, 11:32 PM IST

नाले में डूबकर तीन बच्चों की मौत

उत्तर प्रदेश के देवरिया में एक साथ तीन बच्चों की मौत से कोहराम मच गया. खामपार थानाक्षेत्र के खैराट गांव के तीन मासूम बच्चे उफनते नाले में डूब गए. ग्रामीणों ने आनन-फानन में बच्चों को अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने तीनों को मृत घोषित कर दिया.

देवरियाः खामपार थानाक्षेत्र के खैराट गांव के तीन मासूम बच्चों की शुक्रवार की सुबह खनुआ नाले में डूबने से मौत हो गई. बच्चों की मौत से परिवार में कोहराम मच गया. परिवारवालों ने तीनों शवों को दफना दिया गया. एक साथ तीन बच्चों की मौत से पूरा गांव गमगीन हो गया. तीनों गांव के प्राइमरी स्कूल में एक ही साथ पढ़ते थे. हम उम्र होने के कारण आपस में गहरी दोस्ती भी थी. एक जहां खेलने जाता कुछ देर में दोनों और वहां पहुंच जाते. तीनों बच्चों के साथ रहने की गांव के लोग मिशाल देते थे.

जानकारी के अनुसार, शुक्रवार की सुबह करीब दस बजे भोजन करने के बाद बुलबुल अपने सहपाठी अंकुश व मोहित के साथ घर के पीछे नाले के किनारे जिन्न बाबा स्थान के पास पहुंच कर खेलने लगे. इनके साथ बुलबुल का छोटा भाई चार साल का अश्वनी भी गया हुआ था. अश्वनी को अपना कपड़ा देकर तीनों हाथ पकड़ कर एक ही साथ स्नान करने गए. कपड़ा हाथ में पकड़ कर अश्वनी अपने भाई बुलबुल समेत तीनों का इंतजार करने लगा. करीब दस मिनट तक उनके नहीं निकलने पर चिल्लाने लगा. कुछ दूर पर खड़ी गांव की महिलाएं दौड़ कर पास आई.

नाले में डूबकर तीन बच्चों की मौत
नाले में डूबकर तीन बच्चों की मौत

महिला का शोर सुनकर गांव वाले दौड़ पड़े. काफी प्रयास के बाद तीनों को पानी से बाहर निकाला गया. चिकित्सकों ने तीनों को मृत घोषित कर दिया. शव गांव में पहुंचते ही परिजनों के चीत्कार से मातम पसर गया. घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुंचे तहसीलदार अश्वनी कुमार, नायब तहसीलदार करन सिंह व खामपार की पुलिस ने घटना की जानकारी ली. सूचना मिलने पर क्षेत्रीय विधायक डॉ. आशुतोष उपाध्याय ने गांव पहुंचकर परिजनों को ढांढ़स बढ़ाते हुए आर्थिक मदद की.

दो परिवारों का बुझ गया चिराग

नदी में डूबकर मरने वालें बच्चों में दो अपने परिवार के इकलौते थे. शुक्रवार की सुबह असमय मौत से इन दोनों परिवारों का चिराग बुझ गया. खामपार थाना के खैराट गांव निवासी पप्पू साहनी का बेटा अंकुश व हरेराम साहनी का बेटा मोहित अपने परिवार के इकलौते चिराग थे. अंकुश अपने पांच बहनों में इकलौता सबसे छोटा भाई था. उसकी मौत के बाद बहन रीमा, निभा, कृति, किरन व सृष्टि दहाड़े मार कर रोने लगीं.

मां इन्द्रावती देवी भी बेटे की मौत से सदमे में हैं. मोहित भी अपने परिवार का इकलौता चिराग था. उसकी मौत के बाद से उसकी दो बहनें रितू, प्रियांशु, माता इमरति देवी का रो-रो कर बुरा हाल है. वहीं मनोज साहनी के बेटा बुलबुल अपने तीन भाईयों में दूसरे नंबर का था. बुलबुल की मौत से भाई भोलू, बहन काजल व छोटा भाई अश्वनी की चीत्कार से मातम पसर गया. परिवार के सदस्यों का रो रो कर बुरा हाल था.

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नहीं जले चूल्हे
तीन मासूमों के नदी में डूबकर मरने के बाद से खैराट गांव में मातम पसर गया. मृतक बुलबुल, अंकुश व मोहित के परिवार समेत गांव के अधिकांश घरों में चूल्हा नहीं जला. घटना के बाद से सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण जुट गए. मृतक परिवरों की चीख पुकार से पूरा गांव दहल उठा। बच्चों की मां बहन व परिजनों की चीत्कार से मौजूद लोगों का कलेजा दहल गया.

ग्रामीण मृतक के परिजनां को सम्भालने में जुट गए, लेकिन घटना को लेकर बच्चां के परिवार में कोहराम मचा रहा। बहने अपने भाई की मौत को लेकर काफी सदमें में रही तो वहीं माता पिता को इकलौते पुत्र की असमय मौत ने तोड़ दिया था। हाल बेहाल ग्रामीणों की मदद से दोपहर बाद बच्चों के शव को गांव के किनारे दफन कर दिया गया.

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