आजादी के बाद पहली बार इस सीट पर भाजपा ने जीता जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव

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Published : Jul 4, 2021, 6:55 AM IST

Updated : Jul 4, 2021, 7:22 AM IST

जिला पंचायत अध्यक्ष गिरीश चंद्र तिवारी.

देवरिया में 1948 के बाद पहली बार भारतीय जनता पार्टी का कोई उम्मीदवार जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीता है. पंचायती राज एक्ट लागू होने से पहले यहां कांग्रेस का जलवा था. जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में गिरीश चंद्र तिवारी ने सपा प्रत्याशी को मात देकर जीत हासिल की.

देवरियाः जिला पंचायत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी गिरीश चन्द्र तिवारी ने सपा की प्रत्याशी शैलजा यादव को हराकर जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी अपने नाम कर ली. भारतीय जनता पार्टी को 42 मत मिला तो सपा को 11 मत मिले. बताया जा रहा है कि 1948 के बाद पहली बार भारतीय जनता पार्टी का उम्मीदवार जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीता है.

जिला पंचायत के चुनाव को लेकर जिले में काफी राजनीतिक शरगर्मी जोरो पर थी. सपा, भाजपा अपना-अपना उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतार कर अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए हर जोर आजमाइश में जुटे थे. सपा ने अपना भाग्य शैजला यादव पर आजमाया था तो भारतीय जनता पार्टी ने गिरीश चन्द्र तिवारी पर. शनिवार को हुए मतदान में गिरीश चन्द्र ने 42 वोटों के साथ जीत हासिल कर 1948 के बाद पहली बार कोई भाजपा का उम्मीदवार जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी अपने नाम की. बता दें कि गिरीश तिवारी भाजपा से पहले जेडीयू में थे.

1995 तक कांग्रेस का रहा है जलवा

पंचायती राज एक्ट लागू होने से पहले जिला पंचायत को जिला परिषद के नाम से जाना जाता था. उस दौर में यहां कांग्रेस या उसके समर्थन वाले उम्मीदवार अध्यक्ष बनते थे. देवरिया में जिला परिषद का पहला चुनाव एक मई 1948 को हुआ और चंद्रशेखर पांडेय शास्त्री पहले अध्यक्ष बने थे. उस वक्त कुशीनगर जनपद भी देवरिया का ही हिस्सा था.

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साल 1961 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी प्रयाग ध्वज सिंह अध्यक्ष बने और 1963 में मोहम्मद फारुख चिश्ती को जिला परिषद का अध्यक्ष नामित किया गया. इसी साल 3 माह बाद चुनाव हुआ और राजमंगल पांडेय अध्यक्ष चुने गए. साल 1969 में प्रयागध्वज सिंह फिर दोबारा अध्यक्ष बने. साल 1974 में बिरजानंद सिंह और 1989 में गोकरण सिंह अध्यक्ष बने और 1995 तक रहे. वह जिला परिषद के अंतिम अध्यक्ष थे, क्योंकि 1995 में पंचायती राज ऐक्ट लागू हुआ और फिर चुनाव का ढांचा ही बदल गया.

पंचायती राज एक्ट के बाद विभिन्न दलों का रहा कब्जा

पंचायती राज एक्ट लागू होने के बाद यहां एक बार कांग्रेस और उसके बाद एसपी और बीएसपी का ही कब्जा रहा. साल 1995 के चुनाव में बीजेपी ने दमयंती विश्वकर्मा को अध्यक्ष पद के लिए मैदान में उतारा, लेकिन वह कांग्रेस की द्रौपदी मल्ल से चुनाव हार गईं. द्रौपदी मल्ल के कार्यकाल में अविश्वास प्रस्ताव आया तो धनंजय राव कार्यवाहक अध्यक्ष बन गए. फिर 1999 के चुनाव में एसपी की शकुंतला यादव और 2000 में हुए अध्यक्ष पद के आम चुनाव में निर्दलीय कृष्णा जायसवाल अध्यक्ष बनीं.

साल 2005 के चुनाव में बीएसपी के आनंद कुमार सिंह और 2010 के चुनाव में बीएसपी के कद्दावर नेता और तत्कालीन एमएलसी श्रीनाथ एडवोकेट की पत्नी बालेश्वरी देवी अध्यक्ष चुनी गईं. साल 2015 के चुनाव में एसपी के रामप्रवेश यादव अध्यक्ष बने थे.

इस जीत के बाद भाजपा उम्मीदवार गिरीश चन्द्र तिवारी को जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने प्रमाण पत्र दे कर बधाई दी. इस दौरान कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, सांसद रविन्द्र कुशवाहा, नीरज शाही, सदर विधायक डॉ. सत्य प्रकाश मणि, सलेमपुर विधायक काली प्रसाद, डॉ. संजीव शुक्ल आदि लोग मौजूद रहे.

Last Updated :Jul 4, 2021, 7:22 AM IST
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