तस्करी कर ले जाए जा रहे संरक्षित प्रजाति के कछुए बरामद, अंतरराष्ट्रीय बाजर में लाखों रुपये है कीमत

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Published : Jun 14, 2021, 4:51 AM IST

Updated : Jun 16, 2021, 7:08 PM IST

संरक्षित प्रजाति के कछुए बरामद

चित्रकूट जनपद के मानिकपुर रेलवे जंक्शन स्टेशन पर फैजाबाद से मुंबई की ओर जाने वाली साकेत एक्सप्रेस ट्रेन से संरक्षित प्रजाति के कुछए बरामद हुए हैं. इन कछुओं को तस्करी कर ले जाया जा रहा था. जिसे जीआरपी, आरपीएफ और वाइल्ड लाइफ की संयुक्त टीम ने छापेमारी के दौरान बरामद किया है.

चित्रकूट: जीआरपी और आरपीएफ पुलिस के साथ वाइल्ड लाइफ की टीम ने जनपद के मानिकपुर रेलवे जंक्शन स्टेशन पर संरक्षित प्रजाति के कछुओं को बरामद किया है. बताया जा रहा है कि मुखबिर की सूचना पर फैजाबाद से मुंबई की ओर जा रही साकेत एक्सप्रेस ट्रेन में जीआरपी और आरपीएफ पुलिस के साथ वाइल्डलाइफ की टीम की छापेमारी की. इस दौरान ट्रेन के अंदर संदिग्ध अवस्था में रखे एक बैग से संरक्षित प्रजाति के 140 कछुए बरामद किए गए. तस्करी कर ले जाए जा रहे इन कछुओं की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में लाखों रुपये में बताई जा रही है. फिलहाल इस मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है.

कछुए बरामद
140 कछुए बरामदचित्रकूट जनपद के मानिकपुर रेलवे जंक्शन स्टेशन पर फैजाबाद से मुंबई की ओर जाने वाली साकेत एक्सप्रेस ट्रेन में तस्करी के लिए विलुप्त प्रजाति के संरक्षित कछुओं की खेप ले जाने की सूचना जीआरपी के हेड कॉन्स्टेबल परवेज अहमद को मिली. जिसके बाद उसने उच्च अधिकारियों से इस संबंध में बात की. इसके बाद उच्चअधिकारियों ने वाइल्ड लाइफ टीम और आरपीएफ के सहयोग से मानिकपुर पहुंचने पर साकेत एक्सप्रेस की तलाशी ली. इस दौरान ट्रेन के डी-2 कोच के बर्थ नंबर 51 के नीचे संदिग्ध अवस्था में बैग मिला. जिसमें कुछ हिलता डुलता नजर आया. बर्थ नंबर 51 के आस-पास बैठे यात्रियों ने भी इसकी सूचना पुलिस को दी थी. छापेमारी के दौरान संदिग्ध अवस्था में मिले बैग की चेकिंग के दौरान उसमें विलुप्त प्रजाति के 140 कछुए मिले. जिन्हें जीआरपी ने वाइल्ड लाइफ में टीम को सौंप दिया.

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रत्ताइल की प्रजाति के कछुए बरामद
वाइल्ड लाइफ के रेंजर त्रिभुवन सिंह ने बताया कि बरामद कछुए रत्ताइल प्रजाति के हैं. जो मूलतः असम और बांग्लादेश और ब्रह्मपुत्र नदी के मीठे पानी में पाए जाते हैं. उन्होंने बताया कि रत्ताइल की प्रजाति के कुछुए अब विलुप्ती के कगार पर हैं. साथ ही उन्होंने बताया कि, इस प्रजाति के कछुए 140 वर्ष की उम्र तक जीवित रह सकते हैं और इनकी लंबाई 20 सेंटीमीटर तक होती है. इस प्रजाति के जनवरी से मार्च के बीच में अंडे देते हैं. मीठे पानी के रहने वाले इस कछुए को असम रूफ टर्टल के नाम से भी जाना जाता है और इनका वैज्ञानिक नाम पंगशुरा सिल्हेटेंसिस (pangshura sylhetensis) है.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में लाखों में इन कुछओं की कीमत
वहीं, जीआरपी थाने के प्रभारी निरीक्षक अरविंद कुमार सरोज ने बताया कि सूचना के आधार पर वाइल्ड लाइफ टीम और आरपीएफ के सहयोग से हुई कार्रवाई ने एक लावारिस बैग बोगी नंबर डी-2 के बर्थ नंबर 51 के नीचे मिला. बैग की जब जांच की गई तो उसमें जीवित कछुए मिले. जिस की गिनती करने के बाद कुल 140 से कछुए थे. जिन्हें आगे की कार्रवाई के लिए वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के रेंजर त्रिभुवन सिंह को सौंप दिया गया है. रेंजर के अनुसार संरक्षित कछुओं की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में लाखों में है. साथ ही उन्होंने कहा कि इस गुडवर्क के लिए हेड कॉन्स्टेबल फिरोज खान का नाम आगे उच्च अधिकारियों को भेजा जा रहा है.

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Last Updated :Jun 16, 2021, 7:08 PM IST
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