बहू की हत्या में सास और ससुर को 10-10 वर्ष का कारावास

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Published : Sep 19, 2022, 7:58 PM IST

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बाराबंकी की एक अदालत ने 09 वर्ष पूर्व हुई दहेज हत्या के एक मामले में मृतका के सास और ससुर को दोषी मानते हुए 10-10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है.

बाराबंकी: जनपद की एक अदालत ने 09 वर्ष पूर्व हुई दहेज हत्या के एक मामले में मृतका के सास और ससुर को दोषी मानते हुए दोनों को 10-10 वर्ष के कठोर कारावास और प्रत्येक पर 15 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. ये फैसला अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी कोर्ट नम्बर 36 अंशुमान पटनायक ने सुनाया है.

एडीजीसी क्रिमिनल शैलेन्द्र कुमार श्रीवास्तव (ADGC Criminal Shailendra Kumar Srivastava) के मुताबिक अभियोजन कथानक इस प्रकार है. मोहम्मदपुर खाला थाना क्षेत्र (Mohammadpur Khala Police Station Area) के छांगुरपुरवा मजरे उमरी के रहने वाले वादी छविराज ने बताया कि घटना से तकरीबन एक वर्ष पहले उसने अपनी बेटी की शादी मोहमन्दपुर खाला थाना क्षेत्र के रिहली गांव के रहने वाले रामचरन पुत्र श्यामलाल के साथ की थी.

वादी के मुताबिक दहेज में उसने मोटरसाइकिल आदि दी थी. शादी के बाद से रामचरन, उसका पिता श्यामलाल, उसकी मां और उसकी बहन ने 75 हजार रुपयों की मांग करते हुए उसकी बेटी को परेशान करने लगे, जिसे वादी पूरा नहीं कर पाया. इसी बात को लेकर वर्ष 2013 में 12 और 13 जून की रात आरोपियों ने उसकी बेटी की गला दबाकर हत्या कर दी और फिर उसे जला दिया.

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वादी की तहरीर पर मोहम्मदपुर खाला थाने में 13 जून 2013 को अभियुक्त रामचरन, श्यामलाल और उसकी पत्नी और मंझली लड़की के विरुद्ध आईपीसी की धारा 498 ए,326 और 3/4 दहेज प्रतिषेध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर पुलिस ने विवेचना शुरू की. विवेचना के दौरान विवेचक ने इसमें 304 बी आईपीसी की धारा बढाई. मामले के विचारण के दौरान अभियुक्त रामचरन को किशोर अपचारी घोषित करते हुए उसका प्रकरण किशोर न्याय बोर्ड स्थानांतरित कर दिया गया.

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मामले में अभियोजन पक्ष ने ठोस गवाह पेश किए. अभियोजन और बचाव पक्षों के गवाहों और दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश अंशुमान पटनायक कोर्ट नम्बर 36 ने अभियुक्तों श्यामलाल और उसकी पत्नी रामरती को दोषी मानते हुए प्रत्येक को 10-10 वर्ष के कारावास और 15-15 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.

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