जैदपुर-269 (सुरक्षित) विधानसभा का क्या है गुणा-गणित, ये नेता आजमा सकते हैं अपनी किस्मत

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Published : Sep 14, 2021, 9:42 PM IST

Updated : Sep 14, 2021, 10:13 PM IST

जैदपुर-269 (सुरक्षित) विधानसभा का ये है गुणा-गणित

यूपी के बाराबंकी जिले में मसौली विधानसभा से बनाई गई जैदपुर विधानसभा की जीत-हार का फैसला जैदपुर कस्बा ही तय करता रहा है. यही नहीं हरख ब्लॉक की भी खास अहमियत रही है. जैदपुर-269 (सुरक्षित) विधानसभा में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है.यहां जैदपुर कस्बा ही मुस्लिम बाहुल्य है. उसके बाद इस विधानसभा में कुर्मी बिरादरी के लोग हैं. इतना ही नहीं यादव और दलित बिरादरी भी इस विधानसभा में निर्णायक भूमिका में रहते हैं.

बाराबंकी: राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले की 6 विधानसभाओं में से एक है जैदपुर-269 (सुरक्षित) विधानसभा. साल 2011 में हुए नए परिसीमन के बाद मसौली और सिद्धौर सुरक्षित विधानसभा को खत्म कर जैदपुर सुरक्षित विधानसभा अस्तित्व में आई. मसौली विधानसभा के कुछ गांव और सिद्धौर विधानसभा के कुछ गांवों को अलग कर दिया गया और बाकी गांवों को शामिल करते हुए जैदपुर विधानसभा बनाई गई. इस विधानसभा में तीन नगर पंचायतें जैदपुर, सिद्धौर और सतरिख शामिल हैं इसके साथ ही दो ब्लॉक मसौली और हरख को शामिल किया गया है.

मसौली सीट वीवीआइपी का रखती थी दर्जा
कभी मसौली विधानसभा वीवीआइपी की हैसियत रखती थी. यहां से कई दिग्गज चुनाव लड़ चुके हैं. कांग्रेस के जमीलुर्ररहमान किदवई, मोहसिना किदवई हों या रफी अहमद किदवई के चचेरे भाई और सऊदी अरब में भारत के राजदूत रहे मुस्तफा कामिल किदवई हों या रिजवानुर्रहमान किदवई सभी ने इस सीट से चुनाव लड़कर इसकी अहमियत बढाई है. उसके बाद बेनी प्रसाद वर्मा ने मानों इस सीट को गोद ही ले लिया. देश के पहले वित्त मंत्री रफी अहमद किदवई भी इसी विधानसभा क्षेत्र में आने वाले मसौली के थे.

जानकारी देते संवाददाता अलीम शेख.
जैदपुर कस्बा तय करता है हार-जीत का फैसला
मसौली विधानसभा से बनाई गई जैदपुर विधानसभा की जीत-हार का फैसला जैदपुर कस्बा ही तय करता रहा है. यही नहीं हरख ब्लॉक की भी खास अहमियत रही है. जैदपुर-269 (सुरक्षित) विधानसभा में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है.यहां जैदपुर कस्बा ही मुस्लिम बाहुल्य है. उसके बाद इस विधानसभा में कुर्मी बिरादरी के लोग हैं. इतना ही नहीं यादव और दलित बिरादरी भी इस विधानसभा में निर्णायक भूमिका में रहते हैं.
जैदपुर-269 (सुरक्षित) विधानसभा का गणित.
जैदपुर-269 (सुरक्षित) विधानसभा का गणित.

कुल मतदाता
इस विधानसभा में कुल मतदाता 3 लाख 88 हजार 68 हैं जिनमें 2 लाख 05 हजार 61 पुरुष मतदाता हैं तो 1 लाख 82 हजार 991 महिला मतदाता हैं. थर्ड जेंडर के भी 16 मतदाता हैं.

नए परिसीमन के बाद पहली बार 2012 में हुए चुनाव
परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई जैदपुर विधानसभा में पहली बार वर्ष 2012 में चुनाव हुए. जिसमें 16 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई. जिसमें सपा के राम गोपाल रावत ने बसपा उम्मीदवार वेद प्रकाश रावत को 23 हजार 41 वोटों से हरा कर इस सीट को परंपरा के अनुसार समाजवादी परचम को कायम रखा. इस चुनाव में कांग्रेस तीसरे और भाजपा चौथे स्थान पर रही थी.

साल 2012 का परिणाम.
साल 2012 का परिणाम.
वर्ष 2017 में हुए दूसरी बार चुनाव
इस सीट पर दूसरी बार वर्ष 2017 में चुनाव हुए. 2017 में मोदी का जादू छा चुका था, लिहाजा यहां पहली बार कमल खिला और भाजपा उम्मीदवार उपेंद्र सिंह रावत ने कांग्रेस के तनुज पूनिया को करीब 28 हजार वोटों से शिकस्त दी. इस चुनाव में 13 उम्मीदवार थे. बसपा तीसरे स्थान पर रही जबकि वर्ष 2012 में जीत हासिल करने वाली सपा पहले स्थान से खिसककर चौथे स्थान पर आ गई थी.
साल 2017 के चुनाव परिणाम.
साल 2017 के चुनाव परिणाम.
उपचुनाव में सपा ने भाजपा से छीन ली सीट

वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में जैदपुर से विधायक रहे उपेंद्र सिंह रावत ने चुनाव लड़ा और वे सांसद बन गए. लिहाजा जैदपुर सीट खाली हो गई. जिस पर अक्टूबर 2019 में उपचुनाव कराया गया. उपचुनाव में सपा ने ये सीट फिर से हथिया ली. उपचुनाव में कुल सात उम्मीदवार थे, जिनमें सपा के गौरव कुमार रावत ने भाजपा के अम्बरीष रावत को 4,165 वोटों से हरा दिया. इस चुनाव में कांग्रेस के तनुज पूनिया तीसरे स्थान पर रहे थे.
उपचुनाव का ये रहा परिणाम.
उपचुनाव का ये रहा परिणाम.

ये है सामाजिक स्थिति
जैदपुर विधानसभा कृषि और दूसरे व्यवसाय में जिले की दूसरी विधानसभाओं से आगे है. यहां बुनकरों की तादाद सबसे ज्यादा है. यह विधानसभा पिपरमेंट और केले की खेती के लिए मशहूर है.मेंथा की खेती सबसे ज्यादा इसी विधानसभा में होती है. प्रदेश ही नही देश मे मेंथा की खेती के लिए ये इलाका मशहूर है.नकदी फसलों में केला,टमाटर ,आलू ,मशरूम और शिमला मिर्च इस विधानसभा की पहचान हैं. आम की फसल के लिए इस विधानसभा की एक अलग पहचान है. दर्जनों किस्मों के आम यहां की बाग में पैदा होते हैं.उन्नत खेती के लिए पद्मश्री से सम्मानित होने वाले रामसरन वर्मा इसी विधानसभा से आते हैं. इस विधानसभा में हिंदी और उर्दू भाषा बोली जाती है. गांवों में ग्रामीण पुट वाली भाषा बोली जाती है.

इस सीट की हार-जीत का फैसला
इस सीट की हार-जीत का फैसला
चन्द्रकला इसी इलाके की है उत्पत्तिबाराबंकी जिले को पहचान दिलाने वाली मिठाई 'चन्द्रकला' भी इसी विधानसभा के सफदरगंज की उत्पत्ति मानी जाती है. वहीं यहां के बीबीपुर का कुंआ प्रदेश के कई जिलों तक मशहूर है. इस कुंए का पानी पीकर और स्नानकर लोग पीलिया जैसी बीमारी से छुटकारा पा जाते हैं. इसी विधानसभा के बांसा शरीफ में स्थित हजरत अब्दुल रजाक शाह का मजार है, जहां हर रोज दूर दराज से आकर बाहरी औसेबो से मुक्ति पाते हैं. यहीं मसौली में एक मजार शरीफ है जहां हर वर्ष एक बड़ा मेला लगता है. इसी विधानसभा के मन्जीठा गांव में प्रसिद्ध नागदेवता का मंदिर है, जहां सांपों से परेशान लोग आकर मुक्ति पाते हैं.इसी विधानसभा के मूंजापुर में कबीर पंथ का प्रदेश स्तरीय मठ है. जहां छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कई बड़े नेता तक कई बार आ चुके हैं.
इस बार सबकी लगी हैं निगाहें
आने वाले 2022 के चुनाव में फिर से सभी राजनीतिक दलों ने इस महत्वपूर्ण सीट पर अपनी नजरें जमा दी हैं. हालांकि इस सीट पर भाजपा और सपा के उम्मीदवारों की स्थिति अभी साफ नहीं है लेकिन कांग्रेस का पत्ता खुला हुआ है. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पीएल पूनिया के पुत्र तनुज पूनिया यहां से तीसरी बार अपनी किस्मत आजमा सकते हैं.
तनुज पुनिया

वरिष्ठ कांग्रेसी नेता,राष्ट्रीय प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद रहे पीएल पुनिया के पुत्र तनुज पुनिया ने इस सीट पर वर्ष 2017 में बतौर कांग्रेस उम्मीदवार चुनाव लड़कर अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की. अंग्रेजी मीडियम से पढ़े तनुज पुनिया ने रुड़की आईआईटी से केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक डिग्री हासिल की है. वर्ष 1985 में जन्मे तनुज ने नौकरी करने की बजाय राजनीति के जरिये समाजसेवा करने का फैसला किया, लेकिन वे 2017 में हुए चुनाव में भाजपा से हार गए. तनुज दूसरे स्थान पर रहे. वर्ष 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने फिर किस्मत आजमाई लेकिन इस बार फिर उन्हें निराशा हाथ लगी. वर्ष 2019 में जब इस सीट पर उपचुनाव हुए तो फिर तनुज ने चुनाव लड़ा लेकिन किस्मत ने इस बार भी साथ नही दिया और वे तीसरे स्थान पर रहे. तनुज पुनिया ने जैदपुर विधानसभा को अपना कर्मक्षेत्र बना लिया है, लिहाजा आने वाले चुनाव में उनका यहां से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है.


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गौरव रावत
गौरव कुमार रावत युवा नेता हैं. वर्ष 2019 में जैदपुर उपचुनाव के लिए सपा के कई उम्मीदवार लाइन में थे, लेकिन बेनी प्रसाद वर्मा की कृपा से चुनाव लड़ने का मौका गौरव को मिला.गौरव उनकी उम्मीदों पर खरे भी साबित हुए और वे चुनाव जीत गए. देवां थाना क्षेत्र के मैनाहार मजरे शाहपुर के रहने वाले गौरव रावत के पिता का नाम रामउजागर है. ग्रेजुएशन की डिग्री धारक 35 वर्षीय गौरव रावत पर सपा एक बार फिर भरोसा जता सकती है.वहीं भाजपा से भी कई दावेदार सामने हैं लेकिन पार्टी किस पर भरोसा जताती है इस पर अभी मंथन चल रहा है.

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Last Updated :Sep 14, 2021, 10:13 PM IST
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