बाराबंकी लूट मामले में 33 वर्ष बाद आया फैसला, दो आरोपियों और वादी की हो चुकी मौत

author img

By

Published : Sep 29, 2022, 1:04 PM IST

बाराबंकी लूट मामला

बाराबंकी लूट मामले में 33 वर्ष बाद फैसला आया है. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने आरोपी को 3 वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई है. इस मामले के दो आरोपियों और वादी की मौत हो चुकी है.

बाराबंकी: जिले में लूट के एक मामले में 33 वर्ष बाद फैसला आया है. इस दौरान मामले के दो आरोपियों और वादी की मौत भी हो चुकी है. बुधवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राकेश ने मामले के एक आरोपी को दोषी पाते हुए 3 वर्ष के कठोर कारावास और 5 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है. जबकि, मामले के एक अन्य आरोपी को साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया.

फतेहपुर थाना क्षेत्र के गुडौली गांव के रहने वाले वादी रामप्रताप ने 30 अक्टूबर 1989 को फतेहपुर थाने में तहरीर दी कि रात में जब वह परिवार के साथ खाना खाकर सोया था. घर में लालटेन जल रही थी. करीब डेढ़ बजे रात 3-4 आदमी दीवार फांदकर आंगन में उतरे और आवाज देकर घर का दरवाजा खुलवाया. इसके बाद हथगोला दागकर घर का सामान लूटने लगे. प्रतिरोध किया तो उसे लाठी से मारा. उसके लड़के ने किसी तरह घर से बाहर निकलकर शोर मचाया तो गांव के लोग घरों से बाहर आ गए. इस पर बदमाश घर से तमाम जेवरात, नकदी आदि सामान लेकर भाग निकले. बदमाशों को वादी ने टार्च की रोशनी में पहचान लिया. वादी की तहरीर पर फतेहपुर थाने में अज्ञात के खिलाफ आईपीसी की धारा 394 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया.

मामले में तत्कालीन विवेचक केडी चौबे ने विवेचना की. विवेचना के दौरान चार नाम मो. शफी, असगर, भोला साईं और राकेश प्रकाश में आए. घटना के सात माह बाद जेल में आरोपियों की शिनाख्त वादी रामप्रताप और उसके पुत्र राकेश कुमार ने की. लिहाजा इन चारों के खिलाफ विवेचक ने न्यायालय में आरोप पत्र प्रेषित किया. विचारण के दौरान दो आरोपियों असगर और राकेश की मौत हो गई.

यह भी पढ़ें: आगरा में हर दिन 10 लोग साइबर क्राइम का शिकार, जानें पूरा मामला

लिहाजा मो. शफी और भोला साईं के खिलाफ विचारण शुरू हुआ. इस दौरान वादी रामप्रताप और मामले के दूसरे गवाहों की भी मौत हो गई. मामले में 14 अक्टूबर 2021 को वादी के पुत्र राकेश कुमार ने गवाही दी. जिसने घटना को पुष्ट किया. जबकि, एक गवाह रामप्रकाश पक्षद्रोही हो गया. इस मामले में तमाम प्रोसेस के बाद भी मामले के विवेचक की गवाही नहीं हो सकी. अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट राकेश ने आरोपी भोला साईं को 3 वर्ष के कठोर कारावास और 5 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई. जबकि आरोपी सफी को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.