महरी गांव को बाढ़ और बारिश दे गई करोड़ों का जख्म, भ्रष्टाचार में बह गया 'बाढ़ खंड प्रोजेक्ट'

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Published : Aug 28, 2021, 8:00 AM IST

भ्रष्टाचार में बह गया बाढ़ खंड प्रोजेक्ट

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के महरी गांव में ग्रामीण बाढ़ का कहर झेल रहे हैं. गांव को बाढ़ से बचाने के लिए तकरीबन 3 करोड़ 18 लाख रुपये की लागत का बाढ़ खंड प्रोजेक्ट तैयार किया गया था, जो राप्ती नदी में समाहित हो गया है. ग्रामीणों का कहना है कि उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है. आखिर वह किसके पास अपनी समस्या लेकर जाएं. ग्रामीणों ने ईटीवी भारत से अपना दर्ज साझा किया और बताया कि किस तरह की समस्या का वह सामना कर रहे हैं. पढ़ें ईटीवी भारत की यह खास रिपोर्ट...

बलरामपुर: नेपाल राष्ट्र की सीमा से सटे उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में राप्ती नदी व पहाड़ी नालों का का रौद्र रूप दिखाई पड़ रहा है. जिले के गैंसड़ी विधानसभा में स्थित महरी सहित दर्जनों गांवों को कटान से बचाने के लिए बनाए गए तटबंध को राप्ती नदी ने अपने आगोश में ले लिया है. बारिश से पहले तकरीबन 3 करोड़ 18 लाख रुपये की लागत से महरी गांव को कटान से बचाने के लिए यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया था. इस प्रोजेक्ट से जुड़े बाढ़ खंड के अधिकारियों की मानें तो बाढ़ के आने से पहले ठेकेदार द्वारा 70 फीसदी काम करवा लिया गया था, लेकिन राप्ती नदी में आई पहली बाढ़ ने ही सिंचाई विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है. इस मामले की शिकायत भाजपा विधायक शैलेश सिंह 'शैलू' ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित जल शक्ति मंत्री व अन्य आला-अधिकारियों से पत्र के माध्यम से की है.

जिला मुख्यालय से तकरीबन 50 किलोमीटर दूर स्थित महरी गांव को कटान से बचाने के लिए जो प्रोजेक्ट तैयार किया गया था, वह पूरी तरह नाकाम साबित हो गया है. कटान निरोधक प्रोजेक्ट में बोल्डर पिचिंग, जियो बैग, ईसी बैग और परक्यूपाइन का उपयोग करते हुए नदी की कटान को रोकना था. इस प्रोजेक्ट के तहत बारिश के मौसम से पहले ही नदी के नीचे दो मीटर की गहराई से पिचिंग करते हुए कटान रोधी कार्यों को करवाना था. इसके साथ ही एक गाइड बंध का निर्माण करना था, लेकिन गाइड बंध बनाया ही नहीं गया.

देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

मानक के अनुरूप काम न किए जाने के कारण राप्ती नदी के तेज बहाव ने तकरीबन 300 मीटर लंबे तटबंध को देखते ही देखते अपने आगोश में 16 अगस्त 2021 को ले लिया. नतीजा यह है कि महरी गांव और आसपास के एक दर्जन गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है. यहां ग्रामीण बाढ़ से बुरी तरह से प्रभावित नजर आ रहे हैं. लोग अपने घरों में दुबकने को मजबूर हैं. इसके साथ ही ग्रामीणों को भोजन, पेयजल, दैनिक क्रियाकलापों व चिकित्सकीय सहायता के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

दर्जनों गांव बाढ़ की चपेट में
ईटीवी भारत से बात करते हुए स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि महरी गांव सहित दर्जन भर गांवों में बाढ़ का पानी बुरी तरह से कहर ढा रहा है. राप्ती नदी पर बाढ़ खंड द्वारा बनाए जा रहे इस प्रोजेक्ट में व्याप्त भ्रष्टाचार का नतीजा यह रहा कि वह लोग आए दिन परेशानियों का सामना कर रहे हैं. पिछले 16 अगस्त से ही उनके गांव सहित तमाम गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है. ग्रामीण अपने घर की छतों पर रहने को मजबूर हैं, वही खाना बनाते हैं, वहीं सोते हैं और वहीं दैनिक क्रियाकलापों को भी अंजाम देते हैं.

बंधे की खुदाई से हो रही कटान
ग्रामीणों ने बताया कि जब यह प्रोजेक्ट चल रहा था तब ठेकेदार द्वारा बांध से ही मिट्टी की भराई, जियो ट्यूब और ईसी बैग्स में करवाई गई, जबकि उसे मिट्टी कहीं और से लाकर भरना था, लेकिन उसने जेसीबी से पूरे बंधे की खुदाई करवा डाली. मिट्टी कम हो जाने के कारण कटान शुरू हो गया. ठेकेदार ने न तो मिर्जापुर बोल्डर ही लगवाए और न ही कोई पक्का काम किया बल्कि मनरेगा के तहत 5 वर्ष पहले बनाए गए बांध को भी ठेकेदार ने तहस-नहस कर दिया. बाढ़ खंड के अधिकारी भी उसके क्रियाकलापों पर आंख बंद किए रहे.

जमीन पर नहीं हुआ काम, डकार गए लाखों रुपये
ग्रामीण बताते हैं कि यह मामला पूरी तरह से भ्रष्टाचार का ही है, क्योंकि जिस तरह से जमीन पर काम होना चाहिए था, जब उस तरह से काम ही नहीं हुआ और 3 करोड़ 18 लाख रुपये डकार लिए गए तो किस बात का प्रोजेक्ट? सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार का नतीजा हम ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने हमें यह भी बताया कि बारिश से पहले जो काम समाप्त हो जाना चाहिए था, वह बारिश के दौरान किया गया. कई बार बाहर से आए लोगों ने प्रोजेक्ट के तहत चल रहे काम को बंद करवा दिया, जिससे काम समय से पूरा नहीं हो सका.

गांव में आने-जाने का रास्ता नहीं
महरी गांव के निवासियों ने ईटीवी भारत को बताया कि बाढ़ का पानी गांव में घुस जाने के कारण उन्हें बड़े पैमाने पर समस्या का सामना करना पड़ रहा है. उनके पास न तो जीने लायक जरूरी सुविधाएं हैं और न ही गांव में आने-जाने का रास्ता. चारों तरफ जलभराव होने के कारण वह लगातार समस्याओं से दो-चार हो रहे हैं. उन्हें चिकित्सीय सहायता तक उपलब्ध नहीं है. महरी गांव के अतिरिक्त भोजपुर, वीरपुर कला, कुल्हुइयां, परसपुर, कमदा और किठूरा सहित कई गांवों में पानी भर गया है. ग्रामीणों की दुश्वारियां बढ़ने के साथ ही महरी गांव के अस्तित्व को बचाए रखना भी बड़ी चुनौती बन गई है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की शिकायत
वहीं इस मामले पर जानकारी देते हुए गैसड़ी से स्थानीय भाजपा विधायक शैलेश सिंह 'शैलू' ने कहा कि महरी गांव में बाढ़ खंड द्वारा शुरू किए गए प्रोजेक्ट में कई बार खामियां मिली, जिसके कारण कई बार काम को भी रोका गया. अंत में जब बाढ़ आई तो यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से राप्ती नदी में समाहित हो गया. उन्होंने इस बाबत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित अन्य अधिकारियों को पत्र लिखकर अवगत कराया है कि मामले की उच्चस्तरीय जांच करवाई जाए. हमने मांग की है कि ग्रामीणों को बाढ़ के कहर से बचाने के लिए फ्लड फाइटिंग का काम तेजी से करवाया जाए और वहां पर एक बेहतर प्रोजेक्ट के तहत बंधे का निर्माण भी करवाया जाए.

बाढ़ से निजात दिलाने के लिए किए जा रहे प्रयास
सिंचाई विभाग बाढ़ खंड के कनिष्ठ अभियंता ओपी सिंह ने बताया कि महरी गांव पर कटान निरोधक कार्य की परियोजना प्रगति पर थी, जिसकी लागत 3 करोड़ 18 लाख रुपये है. उन्होंने बताया कि इस परियोजना का 70% कार्य पूरा किया जा चुका है. बाकी का काम बाढ़ के पानी के हटने के बाद करवाया जाएगा. कनिष्ठ अभियंता ओपी सिंह ने बताया कि इस परियोजना के अंतर्गत 380 मीटर लंबाई में स्टोन बोल्डर से लांचिंग अप्रन के साथ स्लोप पिचिंग का कार्य किया जा रहा था. इस परियोजना का 70% पूर्ण हो चुका कार्य अब राप्ती नदी के आगोश में समाहित हो चुका है. कनिष्ठ अभियंता ओपी सिंह ने कहा कि वह लोग इस गांव को बचाने के प्रयास में लगे हुए हैं. लगातार फ्लड फाइटिंग का काम गांव के तटबंध पर करवा रहे हैं, जिससे लोगों को बाढ़ से निजात मिल सके. यदि पानी और बारिश कम होती है तो वहां पर चल रहे कार्यों में तेजी आएगी, जिससे हम जल्द अच्छी स्थिति में पहुंच सकेंगे.

जो भी होगा दोषी, होगी कार्रवाई
वहीं इस प्रोजेक्ट में व्याप्त भ्रष्टाचार के सवाल पर जवाब देते हुए जिले के अपर जिलाधिकारी अरुण कुमार शुक्ल ने कहा कि महरी गांव में चल रहे प्रोजेक्ट के राप्ती नदी के कटान में बह जाने के कारण दर्जनभर गांवों में बाढ़ की समस्या है. यह प्रोजेक्ट कैसे फेल हुआ और क्या कारण रहे, इसके लिए जांच करवाई जा रही है. इस बाबत 2 सदस्यीय समिति का गठन कर दिया गया है. वह समिति जल्द से जल्द अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. यदि कोई खामी नजर आती है तो जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा कर आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी.

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