बागपत में मिले पृथ्वीराज काल के दुर्लभ 16 सिक्के,जानें क्यों है खास

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Published : Dec 3, 2021, 9:48 AM IST

सिक्के.

बागपत जिले में पृथ्वीराज चौहान एंव अन्य शासकों के दुर्लभ सिक्के मिले है. जनपद में एक प्राचीन टीले से चांदी और तांबा धातु की मिश्रित धातु से निर्मित 16 सिक्के बरामद किए गए हैं.

बागपत: उत्तर प्रदेश के बागपत जनपद में एक प्राचीन टीले से चांदी और तांबा धातु की मिश्रित धातु से निर्मित 16 सिक्के बरामद किए गए हैं. इतिहासकार का मानना है कि ये सिक्के राजा पृथ्वीराज चौहान और राजा अनंगपाल तोमर काल के है. जिन्हें उस समय विनिमय के लिए प्रयोग किया जाता रहा होगा. प्राप्त सिक्के 11वीं या 12वीं सदी से जुड़े हुए प्रमाण है. जिनके 900 साल पुराने होने का दावा किया जा रहा है. साथ ही बागपत से इतिहासकार अमित राय जेन ने सरकार से टीले पर उत्खनन कराने की मांग की है. उनका मानना है कि खुदाई के बाद टीले से मानव बस्ती या राजा पृथ्वीराज काल की और बहुमूल्य वस्तुए मिल सकती है. ये प्राचीन टिला बागपत के काठा गांव में स्थित है.

शहजाद राय शोध संस्थान के फाउंडर डायरेक्टर डॉ. अमित राय जैन को खेकड़ा कस्बे के निकटवर्ती गांव काठा के प्राचीन टीले के पुरातात्विक स्थल निरीक्षण में दिल्ली अधिपति राजा पृथ्वीराज चौहान सहित, राजा अनंगपाल देव, राजा मदनपाल, राजा चाहडा राजदेव के दुर्लभ 16 सिक्के प्राप्त हुए हैं. इतिहासकार डॉ. अमित राय जैन का कहना है कि यह उपलब्धि बागपत एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इतिहास के लिए नया आयाम सिद्ध होगी. क्योंकि कि किसी भी वंश के शासकों के सिक्कों की श्रृंखला प्राप्त होना. वहां उस क्षेत्र पर उन राजाओं के अधिपत्य को सिद्ध करता है. मुद्रा शास्त्र के आधार पर शोध करने वाले शोधार्थियों के लिए यह खोज महत्वपूर्ण है.

दरअसल, बागपत जनपद में 2005 में शहजाद राय शोध संस्थान के फाउंडर डायरेक्टर डॉ. अमित राय जैन के प्रस्ताव पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने उत्खनन किया. उसके बाद 2018 में सिनौली का उत्खनन का कार्य हुआ. वहां से प्राप्त दुर्लभ पूरावशेष और तांबे निर्मित लकड़ी के युद्ध रथ भारत में प्रथम बार प्राप्त हुए उसके बाद से जनपद बागपत संपूर्ण विश्व के पुरातत्वविद एवं इतिहासकारों के लिए रोमांचक खोज एवं शोध का केंद्र बिंदु बना हुआ है. ज्ञात रहे कि उनके ही प्रस्ताव पर बरनावा लाक्षागृह टीला, चंदायन आदि स्थलों का भी उत्खनन का कार्य संपन्न हो चुका है.

पृथ्वीराज चौहान एवं उनके बाद के शासक राजा अनंगपाल तोमर, राजा चाहडा राजदेव, राजा मदन पाल देव के सिक्के प्राप्त होना जनपद बागपत के प्राचीन किले के महत्व को सिद्ध करता है. इस संबंध में इतिहासकार अमित राय जैन का कहना है कि यह प्राचीन टीला हजारों वर्षों से यह मौजूद है. यहां का स्थल निरीक्षण पहले भी वे कई बार कर चुके हैं. यहां से कुषाण काल एवं बाद की सभ्यताओं के अवशेष मृदभांड इत्यादि प्राप्त होते रहे हैं. उसी श्रृंखला में फिलहाल 16 सिक्कों का प्राप्त होना यह सिद्ध करता है कि यहां कोई बड़ी मानव बस्ती उस समय की रही होगी. जहां पर व्यापारिक लेन-देन में सिक्कों का प्रचलन था.


अमित राय जैन ने बताया बागपत में खेकडा तहसील है नेशनल हाइवे के किनारे पर प्राचीन टीला है काठा गांव का टीला जिसे कहते है. उसके ऊपर पूरी बस्ती है. बहुत सारे मकान बने हुए है. मस्जिद बनी हुई है. उसी प्रचीन टीले की सतह पर बरसात के बाद जो मिट्टी का कटान होता है उसमें रेन नाल में हम लोगो का जो रूटीन सर्वेक्षण होता है. पुरातात्विक स्थलों का रेन नाल की सतह से पुराने 16 सिक्के मिले जो कि बहुत खराब स्थिति में थे. रासायनिक विधि से क्लीन करने के बाद एक सिक्के से स्पष्ट रूप से पृथ्वी राज देव जो कि पूरा हिंदुस्तान पृथ्वीराज चौहांन के नाम से उन्हें जानता है दो सिक्के उसमे राजा अनंगपाल देव के है यानी कि तोमर वंश के राजा अनंगपकल रहे और राजा चाहाना राज देव इसके अंदर इम्पोर्टेन्ट ये है जनपद बागपत और मेरठ परिक्षेत्र के हिस्सों पर भी दिल्ली के अधिपति राजाओं का राज रहा है ये इस बात से पुष्टि होती है.

1960 के दशक में रटौल गांव है. वहां से लगभग 40 के करीब मूर्तिया प्राप्त हुई थी जो कि प्रतिहार शासकों के वंश के द्वारा बनाए गए मंदिर की थी बाद में मथुरा म्यूजिम में चली गई. वहीं से चाहाणा राजदेव का एक ताम्र पत्र भी मिला था. यह पहला मौका है कि चाहाणा राजदेव का भी जहां ताम्र लेख मिला था अभिलेख भी मिला था यानी की 6 / 7 दशक के बाद पहला मौका है कि चाहाणा राजदेव का सिक्का भी यहां मिला है. ये इस बात को सिद्ध करता है कि यहां इस इलाके पर इन राजाओं का यानी कि जो दिल्ली के अंतिम हिन्दू शासकों के राजाओं का राज जो था कि जिसमें चांदी भी मिक्स होती थी.

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