डेंगू और मलेरिया के रोकथाम के लिए युवा मछली उत्पादक कर रहा सहयोग

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Published : Sep 13, 2021, 4:17 AM IST

जिया उल इस्लाम,  मछली उत्पादक.

यूपी के बदायूं में मछली उत्पादक डेंगू और मलेरिया की रोकथाम करने में मदद कर रहे हैं. युवा मछली उत्पादक अपने तालाब की गैंबुसिया मछलियों को प्रशासन तथा लोगों की डिमांड पर उपलब्ध करवा रहे हैं. यह मछलियां डेंगू और मलेरिया के लारवा को खत्म करने में सहायक हैं.

बदायूंः प्रदेश में डेंगू और मलेरिया का कहर जारी है और हर जिले में बहुत से लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं. अस्पतालों में बुखार के मरीजों की लंबी-लंबी लाइनें देखी जा रही हैं. जिले का एक मछली उत्पादक डेंगू और मलेरिया को खत्म करने के लिए आगे आए हैं. जिले का युवा मछली उत्पादक गैंबुसिया मछली को प्रशासन तथा लोगों की डिमांड पर उपलब्ध करवा रहे हैं. यह मछलियां डेंगू और मलेरिया के लारवा को खत्म करने में सहायक हैं.

जिया उल इस्लाम, मछली उत्पादक.
दरअसल, जिया उल इस्लाम (35) दिल्ली में पढ़ाई करते थे. उनके पिता काफी समय पहले अपने गांव से जाकर बस गए थे. कुछ साल पहले इनके पिता वापस बदायूं अपने गांव आए और उन्होंने एक छोटा सा तालाब किराए पर लेकर मछली पालन का व्यवसाय शौकिया तौर पर शुरू किया. जिया को भी मछली पालन का बहुत शौक था, वह भी अपने पिता के काम में हाथ बंटाने लगे और धीरे-धीरे आज उनके तालाबों की संख्या लगभग 35 हो गई. जिसमें वह विभिन्न किस्म की मछलियों का उत्पादन कर रहे हैं.जिया उल ने वर्तमान में पीएचडी कर रहे हैं. जिया लगभग 6 साल पहले यह व्यवसाय शुरू किया था. लेकिन अब इन्हें मछली पालन में महारथ हासिल है. इनके पास 35 तालाब है जिसमे एक से एक उम्दा किस्म की मछलियां पाली जाती है और उनकी ब्रीडिंग भी करवाई जाती है. इन दिनों जिया भाई को प्रदेश के तमाम जिलो से अधिकारियों के फोन आ रहें हैं, इनमे खास तौर से वह जनपद शामिल हैं जिनमे वायरल बुखार के मरीज बहुत संख्या में निकल रहे है.जिया का कहना है कि वे मछलियों का बीज पश्चिम बंगाल से मंगाते हैं. उसी बीज के साथ गैंबुसिया भी यहां आ गई और उसकी संख्या बहुत तेजी से बढ़ने लगी. मछलियों में रुचि होने के कारण जब इस मछली के बारे में उन्होंने जानकारी इकठ्ठा की तो पता चला यह मछली मॉस्किटो फिश के नाम से भी जानी जाती है. उन्होंने बताया कि यह जिस तालाब या पोखर में रहती है वहां यह अपना पेट मच्छरों के लारवा को खाकर भरती है. जिया उल इस्लाम ने बताया कि जिले के कुछ ब्लॉकों में मलेरिया फैला तो अधिकारियों को गंबूसिया के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि इन मछलियों को तालाब में छोड़ा जाए तो मलेरिया और डेंगू के मरीजों की संख्या में कमी आएगी. क्योंकि मछलियां लारवा खा जाएंगी, जिससे मच्छर नहीं पनप पाएंगे.

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तत्कालीन अधिकारियों को जिया की यह बात पसंद आई और उन्होंने जनपद के तमाम तालाबों में इन मछलियों को छुड़वाया. जिसके बाद से जिले में मरीजों की संख्या काफी कम हुई तब से जिया इन मछलियों को तमाम जिलों में सप्लाई कर रहे हैं. इनके पास रोज ही प्रदेश के तमाम जनपदों से गैंबूसिया की डिमांड आ रही है. जिसे यह तुरंत पूरा कर रहे हैं. जिया उल इस्लाम का कहना है कि यह मछलियां मेरे पास काफी बड़ी तादात में है. इनकी ब्रीडिंग की स्पीड बहुत ज्यादा होती है और यह मछली 2-3 इंच बड़ी होती है. पहले बदायूं में बहुत ज्यादा केस मलेरिया और डेंगू के देखने को मिले थे. लेकिन यह मछली तालाबों में डालने के बाद केसों की संख्या में अगले वर्ष काफी कमी देखने को मिली. उन्होंने बताया कि प्रदेश के उन जिलों में जहां मलेरिया और डेंगू के मरीजों की संख्या ज्यादा है, वहां इस मछली की इस समय बहुत डिमांड है. यह मछली वह फ्री ऑफ कॉस्ट उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसे जितनी भी संख्या में गैंबूसिया चाहिए हो वह इनके पास उपलब्ध है.

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