पीएम मोदी, शाह और नड्डा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका स्वीकारी, जाने क्या है मामला

author img

By

Published : Nov 22, 2021, 6:33 PM IST

Updated : Nov 22, 2021, 6:58 PM IST

अधिवक्ता खुर्शीदउर्रहमान शेरवानी

अलीगढ़ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और एक पत्रिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका स्वीकार की है.अधिवक्ता खुर्शीदउर्रहमान शेरवानी (Advocate Khurshidur Rehman Sherwani) ने 1 सितंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (Public interest litigation) दायर की थी.

अलीगढ़: नागरिकता संशोधन कानून (citizenship amendment law) के जरिए अपने लाभ के लिए नफरत फैलाने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और एक पत्रिका के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका स्वीकार की है.

अलीगढ़ के अधिवक्ता खुर्शीदउर्रहमान शेरवानी ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर राष्ट्रपति, गृह मंत्रालय, नागरिकता विदेश विभाग, मानव अधिकार आयोग आदि से इस बारे में शिकायत कर जांच और कार्रवाई की मांग की थी. लेकिन मामले में समस्त एजेंसियों ने किसी प्रकार की जांच और कानूनी कार्रवाई नहीं की.

अधिवक्ता खुर्शीदउर्रहमान शेरवानी

इसके चलते अधिवक्ता खुर्शीदउर्रहमान शेरवानी ने 1 सितंबर 2021 को सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. अधिवक्ता ने आरोप लगाया है कि नागरिकता संशोधन कानून के जरिए नफरत फैलाई गई और राष्ट्रीय एकता को खत्म करने का प्रयास किया गया.

उन्होंने कहा कि संसद में पारित मूल अधिनियम के वास्तविक शब्दों के साथ अतिरिक्त शब्दों का प्रयोग किया गया. मुखर्जी स्मृति न्यास से प्रकाशित एक पत्रिका में नागरिकता संशोधन कानून मूल एक्ट को बढ़ा-चढ़ाकर लेख छपवा कर वितरित किया गया, जिसके विरोध स्वरूप धरना, प्रदर्शन और हिंसा का माहौल बना, जो एक गंभीर आपराधिक कृत्य में शामिल हैं.

इसे भी पढ़ेः नागरिकता कानून के विरोध में हिंसा करने वाला पीएफआई सदस्य गिरफ्तार

अधिवक्ता खुर्शीदउर्रहमान शेरवानी ने कहा कि यह देश का पहला मामला है, जिसमें निर्वाचित केंद्र सरकार और भारत सरकार के उच्च अधिकारियों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट एक साथ आपराधिक मामले की सुनवाई करने जा रहा है. केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम के तहत जो एक्ट पास किया, जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आए हुए हिंदू, जैन, सिख को 31 दिसंबर 2014 तक नागरिकता देने के संबंध में अधिनियम पारित किया था. लेकिन भाजपा सरकार ने साजिश रचकर उस एक्ट से अलग हटकर बहुत से शब्दों को जोड़ा है, जिसे उक्त पत्रिका में लेख छाप कर करोड़ों की संख्या में बांटी गई और अपने कार्यकर्ताओं को उकसाया गया.

उन्होंने कहा कि उक्त पत्रिका में जोड़ा गया कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान देशों में सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक रूप से सताये और उत्पीड़ित किये गये और दंश झेलने वालों को नागरिकता दी जा रही है.

इस मामले में अलीगढ़ एसएसपी व राष्ट्रपति को शिकायत की गई. लेकिन राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से इसमें कोई कार्रवाई नहीं की गई और इस शिकायत को भारत सरकार के गृह मंत्रालय को भी भेजा. लेकिन कोई जवाब नहीं आया.

इसके अलावा विदेश विभाग के नागरिकता प्रकोष्ठ को भी शिकायत भेजी. लेकिन वहां से भी केवल एक्ट पास होना और उसके उद्देश्य के बारे में ही बताया गया. मेरी शिकायती पत्र पर न तो कोई जांच की गई और न ही कोई कार्रवाई की गई.

इस बारे में उन्होंने मानवाधिकार आयोग को भी शिकायत की. जहां से जवाब मिला कि यह न्यायिक प्रकरण का मामला है और इस बारे में कोई कार्रवाई नहीं कर सकते. हर तरफ से निराश होने के बाद सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को रिट याचिका के रूप में पत्र भेजा. पूरी जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट ने शिकायत को जनहित याचिका के रूप में स्वीकार किया है और शीघ्र ही इस पर सुनवाई होने जा रही है.

इस प्रकरण में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और एक पत्रिका के प्रकाशक को पार्टी बनाया है. उन्होंने बताया कि नागरिक संशोधन विधेयक के पारित अधिनियम को लेकर पद का दुरुपयोग कर अपराध किया गया है. इसके तहत देशद्रोह, 153ए, 201, 107, 109 धारा के तहत अपराध बनता है. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पीआईएल स्वीकार करने के बाद दिल्ली के वरिष्ठ वकीलों से मशवरा ले रहा हूं.

उन्होंने मामले की सुनवाई का स्टेट्स बताते हुए कहा कि जनहित याचिका नंबर आ चुका है. सुप्रीम कोर्ट से सूचना मिल चुकी है कि आपके प्रार्थना पत्र को स्वीकार किया गया है. संपूर्ण कार्रवाई के बाद ही अगले दिनांक की सुनवाई के लिए तैयारी है. उन्होंने कहा कि झूठ व नफरत के खिलाफ हम सब को एक होना चाहिए. जनता को गुमराह कर अधिनियम की गलत तरीके से व्याख्या की गई, इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने मेरे प्रार्थना पत्र को संज्ञान में लिया है. इससे पहले भी विश्व हिन्दू परिषद के अध्यक्ष अशोक सिंघल को अलीगढ़ कोर्ट में धार्मिक मामले में टिप्पणी करने के मामले में हाजिर करवा चुके हैं. हांलाकि अशोक सिंघल की मौत के बाद केश बंद हो गया.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

Last Updated :Nov 22, 2021, 6:58 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.