KBC13 की पहली करोड़पति: पहले सबको बोझ लग रहीं थीं दिव्यांग हिमानी, आज हैं सभी की पहली पसंद

author img

By

Published : Aug 31, 2021, 8:19 PM IST

स्पेशल स्टोरी

'कौन बनेगा करोड़पति-13' की पहली करोड़पति बनीं दिव्यांग हिमानी बुंदेला आजकल सुर्खियों में हैं. वो पेशे से एक शिक्षिका है. ईटीवी भारत से उनके सभी सहकर्मी शिक्षक-शिक्षिका और छात्रों ने हिमानी के हौसले की कहानी सांझा की. आप भी सुनिए क्या कहते हैं करोड़पति शिक्षिका हिमानी बुंदेला को लेकर सहकर्मी शिक्षक-शिक्षिका और छात्र-छात्राएं.

आगरा : 'कौन बनेगा करोड़पति-13' की पहली करोड़पति दिव्यांग हिमानी बुंदेला सुर्खियों में हैं. सभी हिमानी की काबिलियत के कायल हैं. मगर, दस साल हिमानी बुंदेला के बड़े मुश्किल वाले रहे. सन् 2011 में होनहार हिमानी एक हादसे से दिव्यांग हिमानी बन गईं. उसकी आंखों की रोशनी चली जाने से उज्ज्वल भविष्य पर भी अंधकार छाने लगा था. मगर, हिमानी ने हिम्मत और हौसले से अपनी पढ़ाई जारी रखी. फिर शिक्षिका बनी. अब आगरा में एयरफोर्स स्टेशन स्थिति केंद्रीय विद्यालय (केवी) नंबर-एक की सबसे चहेती शिक्षिका हैं.

बता दें कि, राजपुर चुंगी निवासी विजय बुंदेला की दिव्यांग बेटी हिमानी बुंदेला 30 अगस्त-2022 को कौन बनेगा करोड़पति (केबीसी)-13 में हॉट सीट पर अमिताभ बच्चन के सामने बैठी और सवालों के जवाब दिए. हिमानी एक करोड़ रुपए जीत चुकी हैं. उन्होंने सात करोड़ रुपए के 16 वें सवाल का भी जवाब दिया है. मगर, उस पर सस्पेंस है. इसलिए इसका पता 31 अगस्त-2021 की रात को मालुम चलेगा. हिमानी बुंदेला के परिवार में पिता विजय सिंह बुंदेला, मां सरोज बुंदेला, बहन चेतना सिंह बुंदेला, भावना बुंदेला, पूजा बुंदेला और भाई रोहित सिंह बुंदेला है.

84 अंकों के साथ दशवीं की थी

हिमानी ने बताया कि, सन् 2010 में 84% अंकों के साथ मैंने दसवीं किया था. मगर, 2011 में एक दिन घर से लौटते समय एक बाइक सवार ने मेरी साइकिल में टक्कर मारी दी. जिससे मैं सड़क पर गिर गई. मेरी आंख में गहरी चोट लगी. चिकित्सकों ने बताया कि रेटिना खराब हो गया है. चेन्नई तक इलाज कराया. लेकिन, मेरी आंखों की रोशनी वापस नहीं आई. इसके बावजूद मैंने 70% अंकों के साथ बारहवीं की. उसके बाद लखनऊ से डॉ शकुंतला मिश्रा रिहैबिलिटेशन यूनिवर्सिटी में डीएड के लिए दाखिला लिया. डीएड के बाद बीए किया है. हिमानी बुंदेला ने बताया कि, सन् 2017 में मेरा सलेक्शन केंद्रीय विद्यालय में प्राइमरी शिक्षक के रूप में हो गया. मेरी पहली पोस्टिंग बलरामपुर के केंद्रीय विद्यालय में हुई. यहां से फिर 2019 में मेरा ट्रांसफर आगरा के केंद्रीय विद्यालय नंबर 1 में हो गया है. तभी से मां यहां पर पढ़ा रही हूं.

स्पेशल स्टोरी

'हर बच्चे को नाम से जानती हैं'
केंद्रीय विद्यालय नंबर-एक के प्रधानाचार्य राजेश पांडेय ने बताया कि, शिक्षिका हिमानी बुंदेला बलरामपुर से ट्रांसफर होकर हमारे विद्यालय में आई थीं. उनको लेकर बड़ी ही असमंजस की स्थिति थी. वे कैसे बच्चों को पढ़ाएंगी. धीरे धीरे समस्याओं का समाधान होता चला गया और हिमानी बच्चों की चहेती शिक्षिका बन गईं. बच्चे आज उनसे पढ़ना चाहते हैं. शिक्षिका हिमानी बुंदेला की सबसे अच्छी बात यह है कि, वे हर बच्चे को नाम से पहचानती हैं. उन्हें नाम से ही बुलाती हैं. हर बच्चे को मोटिवेट करना. इससे हर बच्चे के अंदर एक पॉजिटिव एनर्जी आई है. उनका एटीट्यूड बहुत पॉजिटिव है. वे बेहतरीन तरीके से मैथ और साइंस को पढ़ाती हैं.
'मुख्यालय भेजा स्पेशल बच्चों को पढ़ाने का प्रोजेक्ट'
केंद्रीय विद्यालय नंबर-एक के प्रधानाचार्य राजेश पांडेय ने बताया कि, शिक्षिका हिमानी बुंदेला के बनाए हुए एक विशेष प्रोजेक्ट को मुख्यालय भेजा है. इस प्रोजेक्ट के तहत नॉर्मल बच्चों के साथ कैसे स्पेशल बच्चों को पढ़ा जा सकता है, इन सबके बारे में डिटेल दी गई है. केबीसी में उन्होंने दिव्यांग बच्चों के लिए बेहतर काम करने के लिए कहा है. मगर, हिमानी बुंदेला इससे पहले ही हमारे यहां इस पर काम कर रहीं हैं. इसे अब और आगे बढ़ाया जाएगा. शिक्षक हर्ष शर्मा ने बताया कि, सहकर्मी हिमानी शर्मा ने कई सॉफ्टवेयर के बारे में बताया जो बच्चों को पढ़ाने में बेहतर साबित हुए. और उन्हीं सॉफ्टवेयर के आधार पर हिमानी बुंदेला ने एक प्रोजेक्ट बनाया है. उस प्रोजेक्ट की डिजाइनिंग उनके साथ मिलकर मैंने की थी.
'उत्तर पुस्तिकाओं के जांचने की आई थी मुश्किल'
केंद्रीय विद्यालय नंबर-एक प्राइमरी के हेडमास्टर एसएस सिंघल ने बताया कि, शुरुआत में हिमानी को लेकर अभिभावकों की शिकायतें थी कि, उत्तर पुस्तिकाएं चेक नहीं होती हैं. ऐसे में कैसे बच्चों का भविष्य बेहतर बनेगा. अभिभावकों की शिकायत पर एक कोर कमेटी का गठन किया. कमेटी में बड़ी क्लास के होशियार स्टूडेंट के साथ ही अन्य शिक्षकों को जगह दी गई. हिमानी सवालों के जवाब बोलती हैं और कोर कमेटी में शामिल बच्चे ही प्राइमरी छोटी-छोटी क्लास की कॉपियों को चेक करते हैं. इसकी भी बेहतर मॉनिटरिंग हो. इसके लिए एक शिक्षिका की ड्यूटी है. उसमें से कुछ कॉपियां मैं खुद चेक करता हूं. इस तरह से सब मिलकर हिमानी के साथ बेहतर शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं.
'कौन बनेगा केंद्रीय विद्यालय चैंपियन से दिखी प्रतिभा'
केंद्रीय विद्यालय नंबर-एक के प्रधानाचार्य राजेश पांडेय ने बताया कि, शिक्षिका हिमानी बुंदेला ने कौन बनेगा करोड़पति की तर्ज पर केंद्रीय विद्यालय में 'कौन बनेगा केंद्रीय विद्यालय चैंपियन' नाम से क्विज कम्पटीशन शुरू किया. इस क्विज कम्पटीशन में हिमानी खुद अमिताभ बच्चन की तरह बच्चों से सवाल करती हैं. इससे बच्चों की प्रतिभा में निखार आ रहा है. देखते ही देखते यह कार्यक्रम अभिभावकों को भी खूब पसंद आ रहा है.



'समस्या बन जाती है समाधान'

सहकर्मी शिक्षक अश्वनी का कहना है कि, हिमानी बुंदेला बहुत ही जिंदा दिल हैं. इसलिए उन्हें कोई समस्या नहीं होती है. उनके सामने हर समस्या समाधान बन जाती है. इसीलिए बच्चे और शिक्षक उनकी कद्र करते हैं. शिक्षिका चौरसिया का कहना है कि, हिमानी बुंदेला बहुत ही जिंदादिल है. सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ अन्य तमाम एक्टिविटी में बच्चों के साथ घुलमिल जाती हैं. उन्हें खूब पार्टी करने का भी शौक है.



आप को बता दें, हिमानी ने अपनी आंखें गंवाने के बाद राजधानी लखनऊ के डॉ शकुंतला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय से आगे की पढ़ाई पूरी की थी. यह दिव्यांगों के लिए बना एशिया का पहला पुनर्वास विश्वविद्यालय है. अमिताभ बच्चन के एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि आंखों की रोशनी खोने के बाद वह टूटने लगीं थी. डॉक्टर बनने का सपना देखने वाली हिमानी 15 वर्ष की आयु में एक दुर्घटना ने उनकी आंखों की रोशनी छीन ली. परन्तु उन्होंने हार नहीं मान.


तब एक अखबार में उनके पिताजी ने इस विश्वविद्यालय के बारे में पढ़ा. हिमानी कहती हैं कि यहां आने के बाद उनका खोया हुआ विश्वास वापस लौट आया. दिव्यांगों के साथ पढ़ने का एक अलग ही अनुभव था. उनकी इस सफलता पर राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय को भी गर्व है. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से मंगलवार को एक विज्ञप्ति जारी कर हिमानी बुंदेला के सफर पर रोशनी डाली गई.

  • विश्वविद्यालय के कुलसचिव अमित कुमार सिंह ने बताया कि हिमानी बुंदेला ने 2014-16 की विशेष शिक्षा संकाय ( दृष्टिबाधिता विभाग ) में शिक्षा प्राप्त की थी.
  • विश्वविद्यालय के महिला छात्रावास में रहकर उन्होंने विशेष शिक्षा के क्षेत्र में पठन-पाठन के कार्य को पूरा किया.
  • द्विवर्षीय डिप्लोमा इन एजुकेशन (विशेष शिक्षा - दृष्टिबाधितार्थ विभाग) में शिक्षा ग्रहण कर 82.07 प्रतिशत से प्रथम स्थान में उत्तीर्ण कर केन्द्रीय विद्यालय, आगरा में गणित की शिक्षिका बनकर एक मुकाम हासिल किया.


कुलपति ने दी बधाई

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राणा कृष्ण पाल सिंह ने हिमानी बुन्देला को उपलब्धि हासिल करने के लिए उज्जवल भविष्य की शुभकामनायें दी. कुलपति ने कहा कि राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय की नींव ही दिव्यांगों को उनका आत्मविश्वास मजबूत करने और समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए किया गया. हिमानी की सफलता ने यहां के अन्य दिव्यांग छात्र छात्राओं को आगे बढ़ने का आत्मविश्वास जगाया है.


राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय इसलिए है खास

  • दिव्यांग जनों के लिए वर्ष 2008 में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय की लखनऊ में स्थापना की गई थी. यह एशिया का पहला पुनर्वास विश्वविद्यालय है, जहां दिव्यांगों के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं.
  • विश्वविद्यालय में 50% सीटें दिव्यांग छात्र छात्राओं के लिए आरक्षित हैं.


बधाई और शुभकामनाएं दे रहे

छात्रों का कहना था, हिमानी मैडम आप अच्छी शिक्षिक ही नहीं, आप एक अच्छी पर्सनैलिटी हैं. आप अपनी लाइफ के तमाम गोल अचीव करें. यही आपको शुभकामनाएं हैं. छात्र-छात्राएं लगातार अपनी शिक्षिका हिमानी बुंदेला को बधाई और शुभकामनाएं दे रहे हैं.


ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.