कारतूस तस्करी कांड: डीलर-टू-डीलर डील से अपराधियों और नक्सलियों तक भेजा जखीरा, कई जिलों में खलबली

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Published : Jun 24, 2022, 4:06 PM IST

Etv bharat

कारतूस तस्करी कांड में जीआरपी के पत्र से कई जिलों में खलबली मच गई है. पता चला है कि इस कांड के मास्टरमाइंड ने डीलर-टू-डीलर के जरिए कारतूसों का जखीरा कई कुख्यात अपराधियों और नक्सलियों तक भेजा था. अब इसके बारे में पता लगाया जा रहा है.

आगराः बीती 22 अप्रैल को जीआरपी की चेकिंग में टूंडला जंक्शन पर तस्करों के बैग से 700 कारतूस बरामद किए गए थे. जीआरपी ने कारतूस तस्करी कांड के मास्टरमाइंड गन हाउस संचालक प्रतीक सक्सेना समेत सात लोग को जेल भेज दिया है. पता चला है कि प्रतीक सक्सेना ने दस माह में करीब 2.5 लाख कारतूसों को डीलर-टू-डीलर डील के जरिए कुख्यात अपराधी और न​क्सलियों तक भेजा है. आगरा जीआरपी एसपी मोहम्मद मुश्ताक ने इसका खुलासा किया है. उनका कहना है कि मास्टरमाइंड तस्करी नेटवर्क के जरिए पश्चिमी यूपी और पूर्वांचल के साथ बिहार के अन्य राज्य के कुख्यात अपरा​धियों तक कारतूसों का जखीरा पहुंचाता था. जीआरपी ने अब यूपी के सभी जिलों के डीएम को पत्र भेजा है. इससे कई जिलों में खलबली मची है.

टूंडला स्टेशन पर जीआरपी की टीम ने बीती 22 अप्रैल को चेंकिंग में एक यात्री के संदिग्ध बैग की तलाशी ली तो बैग में 700 कारतूस मिले थे. इस पर जीआरपी ने फिरोजाबाद निवासी शादाब व उसके भाई फैजान को गिरफ्तार कर पूछताछ की थी. पूछताछ में जीआरपी को अहम जानकारी लगी थी. पुलिस अमरोहा के एक गन हाउस तक पहुंच गई थी. यहां से पूरे नेटवर्क का खुलासा हुआ. पुलिस को पता चला कि तस्कर यूपी के साथ ही पड़ोसी राज्य बिहार और अन्य जगहों पर कारतूसों का जखीरा खपाते थे.

एसपी जीआरपी मोहम्मद मुश्ताक ने यह जानकारी दी.

एसपी जीआरपी मोहम्मद मुश्ताक बताते हैं कि टूंडला जंक्शन से पकड़े गए आरोपियों ने अमरोहा के गन हाउस संचालक प्रतीक सक्सेना का नाम कबूला था. यह गैंग का मास्टरमाइंड है. छानबीन में यह भी सामने आया कि प्रतीक सक्सेना ने कई जिलों के गन हाउस संचालकों से डीलर-टू-डीलर डील के जरिए कारतूस खरीदे. इन कारतूसों को पश्चिमी यूपी, पूर्वांचल और अलग-अलग राज्यों के अपराधियों तक पहुंचाया गया था. डीलर-टू-डीलर डील की वजह से वह पकड़ में नहीं आ रहा था.

एसपी जीआरपी मोहम्मद मुश्ताक ने बताया कि तस्करी नेटवर्क के छह लोग गिरफ्तार कर जेल भेजे गए हैं. इनमें पूर्वांचल का कारतूस और असलहा तस्कर आशीष मिश्रा निवासी प्रतापगढ जेल भेजा गया है. आशीष मिश्रा प्रतापगढ के साथ ही प्रयागराज और अन्य जिलों में कारतूस के साथ ही असलहों की तस्करी करता था. मेरठ का कुख्यात अपराधी असलम पहलवान भी जेल भेजा गया है. उसने हजारों कारतूसों की खेप खरीदी थी. 50 हजार का ईनामी फिरोज भी जेल भेजा जा चुका है. जांच में यह तथ्य सामने आया है कि गन हाउस संचालक व तस्करी के मास्टरमाइंड प्रतीक सक्सेना ने कई बार दूसरे जिलों के गन हाउस के डीलर्स से कारतूस खरीदे. इन कारतूस की लिखापढ़ी नहीं की गई. ये कारतूस नेटवर्क के जरिए अपराधियों तक पहुंचाए गए.

जीआरपी ने इस संबंध में पत्र सभी जिलों के डीएम को भेजे हैं. सभी जिलों से कारतूसों की खरीद के साथ बिक्री की जानकारी मांगी है. उन्होने कहा कि चूंकि दूसरे राज्यों में भी कारतूस तस्करी की बात सामने आई है इस वजह से इंटर डिस्ट्रिक्ट कोआर्डिनेशन और इंटर स्टेट कोआर्डिनेशन के जरिए इस गैंग की कमर तोड़ने का काम किया जा रहा है. मास्टरमाइंड ने 2.5 लाख कारतूस महंगे दामों पर अपराधियों के साथ नक्सलियों तक पहुंचाए हैं. पता चला है कि बिहार के मुंगेर से असलहा की खेप लेकर यूपी के कुख्यात अपराधियों तक पहुंचाते थे. इंटर स्टेट कोआर्डिनेशन के चलते बिहार पुलिस को इसकी जानकारी दी है. यूपी में अवैध असलहे कहां भेजे जाते थे, यह जानकारी जुटाई जा रही है.


असलहा बाबू की भूमिका संदिग्ध
बता दें कि हर जिले की असलहा दुकानों का रिकार्ड जिले के असलहा बाबू के पास होता है. ऐसे में कारतूसों की तस्करी का मामला सामने आने के बाद एक बार फिर से इनकी भूमिका संदेह के घेरे में है. जिस तरह से कारतूसों की तस्करी हुई उसकी दो वजह सामने आ रही हैं, या तो असलहा बाबू लापरवाह है या फिर उसकी गैंग से मिलीभगत है. असलहे तो अवैध बन सकते हैं लेकिन कारतूसों का अवैध निर्माण नहीं हो सकता. कारतूसों की बडे़ पैमाने पर खरीद-फरोख्त असलहा बाबू की मिलीभगत से संभव है. नियम है कि असलहा दुकानदार जितने खोखे असलहा बाबू को देगा उतने ही कारतूस उसको जारी होंगे. ऐसे में इतने बड़े पैमाने पर कारतूसों की तस्करी ने असलहा बाबू की भूमिका को सवालों के घेरे में ला दिया है.



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