लखनऊ: सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने मंगलवार देर शाम सीएम योगी आदित्यनाथ से उनके आवास पर मुलाकात की. राजभर ने सीएम योगी से राजभर जाति को अनसूचित जनजाति का दर्जा दिलाए जाने की मांग रखी है. राजभर के मुताबिक, सीएम योगी ने सहमति जताते हुए उन्हें बताया है कि केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने का निर्देश समाज कल्याण विभाग को दिया गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 11 मार्च 2022 को राजभर को अनसूचित जनजाति में सूचीबद्ध करने को लेकर केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने का आदेश दिया था.
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष और पूर्वमंत्री ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि राजभर जाति को अनसूचित जनजाति का दर्जा दिलाने का प्रस्ताव काफी पहले बना. लेकिन, वह रखा ही रह गया. इसे लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 11 मार्च 2022 को यूपी सरकार को आदेश दिया था कि केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाए. बावजूद इसके 2 महीने तक सरकार ने इसपर कुछ नहीं किया.
वह लोग कोर्ट गए और कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग को इस बारे में नोटिस जारी किया. इसी को लेकर उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की. उन्होंने कहा कि वह जिस उद्देश्य के साथ सीएम योगी से मुलाकात करने गए थे, वह कामयाब रहा है. सीएम योगी ने सहमति देते हुए बताया है कि राजभर जाति को अनसूचित जनजाति में सूचीबद्ध करने के लिए उन्होंने समाज कल्याण विभाग को केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने के लिए निर्देशित कर दिया है.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि राजभर समाज को अनसूचित जनजाति में शामिल कराने की लड़ाई वह लंबे अरसे से लड़ते आ रहे हैं. जो अब पूरा होता नजर आ रहा है. आजादी के बाद से आज तक सही वर्ग में आरक्षण का लाभ नहीं मिलने के कारण उनके समाज का विकास नहीं हो सका है. राजभर समाज के युवा भी सरकारी नौकरी पा सकेंगे. सरकारी नौकरियों में राजभर बिरादरी की संख्या नहीं के बराबर है.
उन्होंने कहा कि पिछड़ी जाति में होने के कारण 27% ओबीसी आरक्षण का पूरा लाभ यादव, कुर्मी जैसी कुछ मजबूत जातियां ले लेती हैं. अनसूचित जनजाति में शामिल होने के बाद राजभर समाज के बेरोजगार युवाओं को नौकरियां पाने में आसानी हो जाएगी. राजभर के बेटे भी कलेक्टर, एसपी और अन्य बड़े पदों पर बैठ सकेंगे.
बता दें कि 22 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजभर जातियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने के मामले में प्रमुख सचिव समाज कल्याण विभाग को अवमानना नोटिस जारी किया था. हाईकोर्ट ने उनसे व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर यह स्पष्ट करने के लिए कहा था कि हाईकोर्ट के 11 मार्च 2022 के आदेश का पालन क्यों नहीं किया गया. इसमें कोर्ट ने प्रमुख सचिव समाज कल्याण को आदेश दिया था कि राजभर जाति को अनसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने के संबंध में उनका प्रत्यावेदन दो माह के भीतर केंद्र सरकार को अग्रसारित करें.
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