मुख्तार अंसारी गैंगस्टर के मामले में भी दोषी करार, पांच साल की सजा

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Published : Sep 23, 2022, 2:11 PM IST

Updated : Sep 23, 2022, 9:08 PM IST

etv bharat

14:09 September 23

वर्ष 1999 में थाना हजरतगंज में दर्ज की गई थी एफआईआर

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक और आपराधिक मामले में माफिया सरगना मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया है. यह मामला वर्ष 1999 में गैंगस्टर एक्ट के तहत मुख्तार व उसके गैंग के खिलाफ हजरतगंज थाने में दर्ज किया गया था. 23 दिसम्बर 2020 को ट्रायल कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को इस मामले में बरी कर दिया था. हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के इस निर्णय को खारिज कर दिया है और मुख्तार को पांच साल सश्रम कारावास और 50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.


न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने यह निर्णय राज्य सरकार की अपील पर पारित किया, अपील में ट्रायल कोर्ट के निर्णय को चुनौती दी गई थी. ट्रायल कोर्ट ने मुख्तार अंसारी को बरी करते हुए अपने निर्णय में कहा था कि मुख्तार के खिलाफ जो गैंगचार्ट पेश की गई है, उसमें दी गए सभी आपराधिक मुकदमों में या तो वह बरी हो चुका है या पुलिस विवेचना के उपरांत उसे क्लीन चिट दे चुकी है. ट्रायल कोर्ट ने यह भी पाया था कि इस मामले के अन्य अभियुक्तों को गैंगस्टर के इस मुकदमे से पहले ही राहत मिल चुकी है.

वहीं, ट्रायल कोर्ट के निर्णय को चुनौती देते हुए, राज्य सरकार की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता उमेश वर्मा और राव नरेंद्र सिंह ने दलील दी कि गैंगस्टर के तहत एक अभियुक्त पर मुकदमा चलाए जाने का मूल तत्व है कि अभियुक्त किसी गैंग का सदस्य हो, यदि यह साबित हो जाता है कि अभियुक्त एक गैंग का सदस्य है, जिसके प्रति आम जनमानस में भय व्याप्त है तो उसे गैंगस्टर एक्ट के तहत सजा दी जा सकती है. आगे कहा गया कि मूल अपराधों में यदि अभियुक्त के भय से गवाह मुकर गए और परिणामतः अभियुक्त बरी हो गया तो इसका यह आशय नहीं है कि उसे गैंगस्टर एक्ट की धारा 2/3 में भी बरी ही करना होगा.

वहीं, मुख्तार अंसारी के वरिष्ठ अधिवक्ता ज्योतिन्द्र मिश्रा और सत्येन्द्र कुमार सिंह ने दलील दी कि गैंगचार्ट के दूसरे सदस्य या तो बरी किए जा चुके हैं और उनका मुकदमा ही निरस्त हो चुका है. ऐसे में मुख्तार को भी बरी किया जाना चाहिए. न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के पश्चात पारित अपने निर्णय में कहा कि अभियुक्त भले ही मूल अपराधों में बरी हो गया हो. लेकिन यदि अभियोजन यह सिद्ध करने में सफल है कि अभियुक्त एक गैंग का सदस्य है और गैंग के दूसरे सदस्यों और अकेले अपराध करता है तथा जनमानस में उसका भय है तो उसे गैंगस्टर एक्ट के तहत दोषसिद्ध किया जा सकता है.

न्यायालय ने आगे कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि मुख्तार अंसारी के खिलाफ बहुत सी एफआईआर हैं और तमाम मामलों में पुलिस आरोप पत्र भी दाखिल कर चुकी है, उसके खिलाफ दूसरे अभियुक्त अभय सिंह आदि से मिलकर लखनऊ जेल के तत्कालीन सुपरिंटेन्डेन्ट आरके तिवारी की हत्या कराने के मामले में भी आरोप पत्र दाखिल किया गया था. न्यायालय ने कहा कि यदि एफआईआर पंजीकृत की गई है या आरोप पत्र भी दाखिल किया गया है और अभियुक्त गैंग का सदस्य है तो उसे गैंगस्टर के तहत दोषसिद्ध किया जा सकता है.

सपा विधायक अभय सिंह आदि हो चुके हैं बरी
इस मामले में मुख्तार अंसारी के अलावा 24 अभियुक्त थे, जिनमें सपा के वर्तमान विधायक अभय सिंह भी थे. अभय सिंह समेत दूसरे अभियुक्तों और मनोज वर्मा को पहले ही बरी किया जा चुका था. जबकि रामू द्विवेदी उर्फ संजीव, अकबर हुसैन, राम कुमार सिंह, गुड्डू सिंह, राजीव सिंह, अमित कुमार रावत, अमित राय, अनिल कुमार तिवारी, हिमांशु नेगी, मिलित गौड़ व सुरेन्द्र कुमार को हाईकोर्ट बरी कर चुकी है. वहीं चार अभियुक्तों की ट्रायल के दौरान ही मृत्यु हो चुकी थी तथा तीन अभियुक्तों को ट्रायल कोर्ट ने आरोपों से उन्मोचित कर दिया था.

Last Updated :Sep 23, 2022, 9:08 PM IST
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