क्या है ये QUAD ? जिसकी बैठक में पीएम मोदी अमेरिका में हिस्सा लेंगे और चिंता चीन को होगी

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Published : Sep 23, 2021, 8:58 PM IST

Updated : Sep 24, 2021, 10:30 PM IST

क्वाड

पीएम मोदी 24 सितंबर को अमेरिका दौरे के दौरान चीन में जब QUAD की बैठक में शिरकत कर रहे होंगे तो चीन की धड़कने बढ़ी होंगी. आखिर क्या है ये QUAD ? इस बैठक में कौन-कौन शामिल होगा और इसने चीन की चिंता क्यों बढ़ा रखी है ? QUAD के बारे में सबकुछ जानने के लिए पढ़िये ईटीवी भारत एक्स्प्लेनर

हैदराबाद: पीएम मोदी तीन दिन के अमेरिका दौरे पर हैं. जहां वो कई बैठकों और कार्यक्रमों में शामिल होंगे, लेकिन पूरी दुनिया की नजर क्वाड देशों के बीच होने वाली बैठक पर है. आखिर क्या है ये क्वाड ? क्यों है इस पर पूरी दुनिया की नजर ? और क्या है इस क्वाड का चीन कनेक्शन ? क्वाड के बारे में हर जानकारी पाने के लिए पढ़िये ईटीवी भारत एक्सप्लेनर (etv bharat explainer) में

क्या है ये क्वाड ? (QUAD)

क्वाड रेखागणित के क्वाड्रीलेटरल (चतुर्भुज) शब्द से लिया गया है. 'क्वाड्रीलेटरल सुरक्षा वार्ता' (Quadrilateral Security Dialogue) यानि क्वाड चार देशों का समूह है. जिसमें भारत के साथ अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान है. साल 2004 में आई सुनामी के बाद इन चारों देशों के बीच समुद्री सहयोग शुरू हुआ था. सुनामी से प्रभावित भारत ने अपने और अन्य प्रभावित देशों के लिए बचाव और राहत के प्रयास किए थे. जिसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान भी शामिल हुए थे. साल 2007 में क्वाड का आइडिया जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने दिया था.

वॉशिंगटन में होगी क्वाड की बैठक
वॉशिंगटन में होगी क्वाड की बैठक

साल 2007 में क्वाड की नींव पड़ी और उसी साल अगस्त में चारों देशों के अधिकारियों की पहली अनौपचारिक बैठक फिलिपींस की राजधानी मनीला में हुई थी. इन चारों देशों की नेवी ने सिंगापुर के साथ मिलकर उसी साल बंगाल की खाड़ी में अभ्यास किया. जिसपर चीन ने क्वाड देशों से पूछा था कि क्या ये एक बीजिंग विरोधी गठबंधन है ? चीन के दबाव में ऑस्ट्रेलिया ने पहले साथ नहीं आया लेकिन साल 2017 में चारों देश साथ आए और क्वाड फिर से अस्तित्व में आया.

क्वाड का उद्देश्य क्या है ?

क्वाड यानि क्वॉड्रिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग, इसका उद्देश्य हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के समुद्री रास्तों पर किसी देश विशेष का प्रभुत्व खत्म करना था. खासकर चीन का, जो अपनी विस्तारवादी और कब्जे वाली नीति को लेकर दुनियाभर में बदनाम है. हिंद और प्रशांत महासागर में फ्री ट्रेड के उद्देश्य से साथ आए ये चारों देश आज सुरक्षा से लेकर आर्थिक और स्वास्थ्य के मोर्चे पर साथ काम करते हैं.

क्या चीन के खिलाफ एकजुट हुए हैं क्वाड के चार देश ?
क्या चीन के खिलाफ एकजुट हुए हैं क्वाड के चार देश ?

पहली बार आमने-सामने होंगे चारों देशों के राष्ट्र प्रमुख

ये पहली बार है जब ये बैठक इन पर्सन होने वाली है, यानी चारों देशों के राष्ट्र प्रमुख क्वाड की किसी बैठक में आमने-सामने होंगे और तय एजेंडों पर बातचीत करेंगे. इससे पहले कोविड-19 महामारी के कारण 12 मार्च को वर्चुअल मीटिंग में चारों देशों ने वैक्सीन उत्पादन से जुड़े संसाधनों को साझा करने पर सहमति जताई थी. मार्च में हुई वर्चुअल बैठक में तय हुए एजेंडो पर 24 सितंबर की बैठक में चर्चा होगी. इस बार कोविड-19 के अलावा, जलवायु परिवर्तन, नई तकनीकस, हिंद-प्रशांत क्षेत्र को व्यापार के लिए मुक्त रखने जैसे मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने पर चर्चा हो सकती है.

वॉशिंगटन में होने वाली इस समिट की मेजबानी पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन करेंगे. इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलियाई PM स्कॉट मॉरीसन और जापानी PM योशिहिदे सुगा भी शामिल होंगे.

इससे पहले क्वाड की वर्चुअल बैठक हुई थी
इससे पहले क्वाड की वर्चुअल बैठक हुई थी

क्वाड क्यों है चीन की चिंता की वजह ?

क्वाड को लेकर चीन का मत है कि ये एक ऐसा गुट है जो चीन को चुनौती मानता है. क्वाड दक्षिण एशिया, आस-पास के देशों और चीन के बीच कलह पैदा करने की एक कोशिश है जिसका चीन विरोध करता है. दरअसल चीन को लगता है कि क्वाड उसके चार विरोधी देशों का गुट है जो उसकी बढ़ती ताकत के खिलाफ एक मंच पर आए हैं. चीन क्वाड की तुलना नेटो (NATO) से करता है और इसे एशियाई नेटो कहता है.

चीन का विस्तारवादी और सीनाजोरी वाला रवैया रहा है
चीन का विस्तारवादी और सीनाजोरी वाला रवैया रहा है

जानकार मानते हैं कि क्वाड हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकता है. इसलिये क्वाड की क्षमता को देखते हुए चीन की चिंता जायज है. दरअसल समुद्री क्षेत्र में चीन अपना दबदबा दक्षिण चीन सागर से पूर्व सागर तक दिखाता रहा है, जिससे दक्षिण चीन सागर में आसियान देशों और पूर्व सागर में जापान प्रभावित होता है. समुद्र में चीन के विस्तार के बीच भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान समुद्री क्षेत्र में एक नियम आधारित व्यवस्था चाहते हैं. जो चीन की विस्तारवादी नीति और अलोकतांत्रिक नीति की राह में रोड़ा बन सकते हैं.

क्वाड को लेकर चीन की चिंता नजर भी आती है

2007 क्वाड की नींव तो रख दी गई थी लेकिन शुरु के दौर में ही ऑस्ट्रेलिया ने इससे दूरी बना ली. कई जानकार मानते हैं कि उस वक्त ऑस्ट्रेलिया ने चीन के दबाव में ऐसा किया था.

कुछ वक्त पहले ही बांग्लादेश की राजधानी ढाका में चीन के बांग्लादेश को अमेरिका के नेतृत्व वाले क्वाड में शामिल होने के खिलाफ चेतावनी दी थी और कहा था कि बीजिंग विरोधी क्लब में बांग्लादेश की भागीदारी से उसे नुकसान झेलना पड़ सकता है. चीन ने चीन के साथ बांग्लादेश के संबंधों के नुकसान की बात कही थी. जिसके जवाब में बांग्लादेश के विदेश मंत्री ने पलटवार करते हुए कहा था कि हम एक स्वतंत्र और संप्रभु राज्य हैं और हम अपनी विदेश नीति खुद तय करते हैं.

चीन के एक मंत्री ने पिछले साल कहा था कि 'क्वाड समुद्र के पानी पर झाग जैसा है जो हवा से उड़ जाएगा.'

क्वाड देशों में भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया
क्वाड देशों में भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया

क्या सच में चीन पर लगाम लगाने के लिए बना है क्वाड ?

चीन की ये बयानबाजी उसकी नीतियों और नीयत का एक उदाहरण भर है. समुद्री मामलों से लेकर सैन्य और स्वास्थ्य क्षेत्र में क्वाड देश एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं लेकिन माना जाता है कि दक्षिण चीन सागर और हिन्द महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव पर अंकुश लगाना इन देशों की एक बड़ी प्राथमिकता है. चीन का रवैया इसकी मुख्य वजह है. भारत हो या अमेरिका या जापान और ऑस्ट्रेलिया, ये चारों देश चीन की विस्तारवादी नीति और हेकड़ी का शिकार होते रहे हैं.

भारत से लेकर जापान तक चीन के विस्तारवादी रवैये का शिकार रहे हैं. भारत में 1962 के युद्ध के बाद डोकलाम से लेकर गलवान तक कई मोर्चों पर चीन नीयत के कारण दोनों देशों के सैनिकों के बीच खूनी झ़ड़प हो चुकी है. उधर ऑस्ट्रेलिया भी अपने अधिकार क्षेत्र की जमीन से लेकर विश्वविद्यालयों और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में चीन की बढ़ती दिलचस्पी और प्रभाव से परेशान है. उधर अमेरिका एशिया महाद्वीप में चीन पर लगाम लगाना चाहता है. दुनिया में चीन का बढ़ता दबदबा अमेरिका के लिए सबसे बड़ी चुनौती है और इन सभी देशों के बीच कॉमन मुद्दा है दक्षिण चीन सागर जहां चीन अपनी दबंगई से पैर पसार रहा है.

क्वाड बैठक में कौन-कौन से मुद्दों पर हो सकती है चर्चा ?

- दुनिया इस वक्त कोविड संक्रमण के दौर में है. दुनिया के कई देशों में वैक्सीन की कमी भी है. ऐसे में इस बैठक में हिंद और प्रशांत क्षेत्र के देशों को वैक्सीन सप्लाई पर चर्चा हो सकती है. जानकार मानते हैं कि वैक्सीन के लिए अमेरिका और जापान फंडिंग कर सकते हैं जबकि भारत में वैक्सीन तैयार की जा सकती है और वैक्सीन को हिंद और प्रशांत क्षेत्र के देशों को सप्लाई करने की जिम्मेदारी ऑस्ट्रेलिया को दी जा सकती है. एक्सपर्ट मानते हैं कि इसके जरिये भी चीन के खिलाफ देशों को लामबंद किया जा सकता है.

हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में फ्री ट्रेड है क्वाड का उद्देश्य
हिंद महासागर और प्रशांत महासागर में फ्री ट्रेड है क्वाड का उद्देश्य

- कोरोना संक्रमण के दौर में दुनिया सेमीकंडक्टर चिप की कमी से जूझ रही है. चिप की वैश्विक कमी का असर कार से लेकर फोन, लैपटॉप और अन्य घरेलू उपकरणों में होता है. चिप की कमी से कई कंपनियां घाटा झेल रही हैं. दरअसल सेमीकंडक्टर चिप का सबसे बड़ा उत्पादक चीन है, जिसे वो आने वाले सालों में और बढाना चाहता है. कोरोना संक्रमण के चलते दुनियाभर में चिप की कमी है. क्वाड की बैठक में चिप की कमी, इसकी सप्लाई चेन को दुरुस्त करने और इस क्षेत्र में चीन के दबदबे को कम करने पर चर्चा हो सकती है.

- जलवायु परिवर्तन दुनिया की सबसे बड़ी परेशानियों में से एक है. ये चारों देश इस मसले पर आपसी सहयोग और आगे की रणनीति पर भी मंथन कर सकते हैं.

चीन और भारत के बीच सीमा से लेकर व्यापार के मोर्चे पर हो चुका है टकराव
चीन और भारत के बीच सीमा से लेकर व्यापार के मोर्चे पर हो चुका है टकराव

- हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त रखने यानि चीन को सीधा संदेश देने को लेकर भी बैठक में बात हो सकती है. क्योंकि QUAD की बुनियाद ही इस जल मार्ग को किसी देश विशेष से मुक्त करने को लेकर हुई.

- चीन एक उत्पादक देश है. उसकी अर्थव्यवस्था चीजों के जल्द से जल्द अधिक से अधिक उत्पादन से जुड़ी है. इन उत्पादों को सस्ती कीमत पर वो दुनियाभर के देशों में निर्यात करता है. भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया से लेकर पूरी दुनिया के कई देश चीनी उत्पादों के बड़े बाजार है और दुनिया में इसी की बदौलत चीन का दबदबा बढ़ा है. क्वाड की बैठक में इस मुद्दे पर भी मंथन हो सकता है.

- इसके इलावा इन चारों देशों के बीच नई तकनीकों के आदान-प्रदान, साइबर स्पेस से लेकर इंफ्रास्ट्रक्चर और एक -दूसरे से जुड़े मुद्दों पर आपसी सहयोग पर बात बन सकती है.

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Last Updated :Sep 24, 2021, 10:30 PM IST
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