World largest bell : विश्व के सबसे बड़े घंटे का 3D प्रिंट तैयार, मेटल को 950 डिग्री पर हीट कर होगी कास्टिंग
Published: Feb 8, 2023, 5:26 PM


World largest bell : विश्व के सबसे बड़े घंटे का 3D प्रिंट तैयार, मेटल को 950 डिग्री पर हीट कर होगी कास्टिंग
Published: Feb 8, 2023, 5:26 PM

कोटा में विश्व के सबसे बड़े घंटे की कास्टिंग मार्च महीने में होनी (World Largest Bell on Chambal River Front) है. इसके लिए बुधवार को 3D प्रिंट तैयार कर कास्टिंग की जगह स्थापित किया गया है.
कोटा. विश्वस्तरीय हेरिटेज चंबल रिवर फ्रंट में कई अजूबे स्थापित किए जा रहे हैं, जिनमें से एक विश्व का सबसे बड़ा घंटा भी शामिल है. इस 75 हजार किलोग्राम के घंटे की कास्टिंग मार्च महीने में की जाएगी. इसके लिए बीते एक साल से तैयारी की जा रही है. करीब 10 टन वजनी 3D प्रिंट तैयार कर लिया गया है. इसे बुधवार को कास्टिंग की जगह स्थापित किया गया.
मेटलॉजिस्ट आर्य ने बताया कि कास्टिंग मार्च महीने में प्रस्तावित है. कास्टिंग के 2 दिन पहले से बॉक्स की प्रिहीटिंग चालू कर दी जाएगी. बॉक्स को तकरीबन 600 डिग्री टेंपरेचर पर ले जाया जाएगा. जब इसके आसपास बॉक्स का टेंपरेचर आ जाएगा, तब मेटल की हीटिंग चालू करेंगे. मेटल को 950 डिग्री तक हीट करेंगे और एक्सोथर्मिक रिएक्शन से इसे लिक्विड बना देंगे. इस मेटल को लिक्विड बनाने में करीब 4 से 5 घंटे लगेंगे. इस लिक्विड को 15 मिनट में कास्ट किया जाएगा.
फाइबर के 3D प्रिंट की उम्र भी 500 साल : देवेंद्र आर्य ने बताया कि 10 टन वजनी फाइबर 3D प्रिंट की उम्र भी करीब 500 साल के आसपास है. सिलिका सैंड भरकर फाइबर के 3D प्रिंट को हटा दिया जाएगा. इसके बाद इसे भी चंबल रिवर फ्रंट पर ही प्रदर्शित किया जा सकता है. इस फाइबर 3D प्रिंट को जयपुर में तैयार करवाया गया है और अलग-अलग 5 टुकड़ों में कोटा लाकर सेट किया गया है. बुधवार को इस 3D प्रिंट को कास्टिंग की जगह पर स्थापित किया गया है. इसकी लॉन्चिंग भी रखी गई. इसमें खादी ग्रामोद्योग के उपाध्यक्ष पंकज मेहता, कोचिंग संस्थान के निदेशक नवीन माहेश्वरी, पूर्व अतिरिक्त मुख्य अभियंता पीडब्ल्यूडी सुरेश कुमार बैरवा मौजूद रहे.
जॉइंट लेस चेन कास्ट करने का भी रिकॉर्ड : मेटलॉजिस्ट आर्य ने बताया कि जॉइंट लेस चेन भी 400 किलो की है. इसका पेंडुलम भी 100 किलो का है, जिससे इस बेल को बजाया जाएगा. ऐसा पहली बार मेटलॉजिस्ट और इंजीनियरिंग इतिहास में हो रहा है. इसके साथ ही फाइबर के तैयार किए घंटे के शेप भी एक रिकॉर्ड है. आर्य ने यह भी बताया कि वर्तमान में सबसे बड़ा घंटा चाइना के शंघाई से 300 किलोमीटर दूर टेंपल में स्थापित है. इसकी ऊंचाई और व्यास 6-6 मीटर है. इसे लोग बजाते भी हैं. इसी तरह से एक दूसरा बेल रूस के मास्को में है. यह 6 मीटर व्यास व सवा 6 मीटर लम्बी है. हालांकि इन को टुकड़ों में जोड़कर बनाया गया है. जबकि कोटा में विश्व का सबसे बड़ा घंटा बन रहा है, जो 8.5 मीटर व्यास का है. इसकी लंबाई भी 9 मीटर है. साथ ही कोटा में बन रहा घंटा सिंगल पीस कास्टिंग है.
इस तरह से होगी कास्ट : देवेंद्र आर्य ने बताया कि इसके लिए बनाई गई अस्थाई फैक्ट्री में 12 -12 मीटर चौड़ाई और लंबाई का एक गड्ढा बनाया है. इसको चारों तरफ से पत्थर की दीवार चुनवा कर पक्का करवाया गया है. इसमें पहले सिलिका सैंड को भरा है. इसके बाद घंटे की शेप का तैयार फाइबर का 3D प्रिंट को बिछाया गया है. इसके अंदर गई सिलिका सैंड को केमिकल के साथ CO2 रिएक्शन से ठोस किया है.
उन्होंने बताया कि इसके बाद लोहे के मोल्ड बॉक्स तैयार किए गए हैं, जिनको इस 3D प्रिंट के चारों तरफ लगाया जाएगा. इसमें सिलिका सैंड को भरा जाएगा, जिन्हें भी ठोस किया जाएगा. इसके बाद मोल्ड बॉक्स को ठोस हुई सिलिका सैंड के साथ ही बाहर निकाला जाएगा. साथ ही फाइबर के 3D प्रिंट को भी बाहर निकाल दिया जाएगा. वापस से मोल्ड बॉक्स सिलिका सैंड के साथ अंदर डाल दिए जाएंगे. मोल्ड बॉक्स के साथ चिपकी हुई सिलिका सैंड और अंदर घंटे के आकार की सिलिका सैंड के बीच 36 मिली मीटर यानी करीब डेढ़ इंच का अंतर रहेगा. यही घंटे की मोटाई रहेगी. बाद में इसमें लिक्विड मेटल डाला जाएगा.
मेल्टिंग के लिए लगाई 35 भट्टियां : उन्होंने बताया कि धातुओं को मेल्ट करने के लिए 35 भट्टियां खड़ी की गई हैं. इसमें 70000 किलोग्राम पीतल उपयोग में लिया गया है. वहीं 10000 किलोग्राम अन्य धातु है, जिसका हमने खुलासा नहीं किया है. विश्व के सबसे बड़े घंटे को बनाने के लिए 2800 टन सिलिका सैंड का उपयोग किया जा रहा है. यह गुजरात से मंगवाई जा रही है. इसमें 1400 टन सिलिका सैंड आ चुकी है, जबकि इतनी ही और आएंगी. यह सिलिका सैंड 4000 प्रति टन के अनुसार आ रही है.
कई जगह पर कर चुके हैं सिंगल पीस कास्टिंग : देवेंद्र आर्य ने बताया कि उन्होंने 1994 में सिंगल पीस कास्टिंग से 30000 किलो का एक मूर्ति बनाई थी, यह भी एक रिकॉर्ड है. भगवान महावीर की मूर्ति अमरकंटक, छत्तीसगढ़ में बनाई गई थी. विक्रांत शिप में 110 दिन का बॉटम इम्पेलर लगाया है. यह भी कास्टिंग किया था. मध्य प्रदेश के सागर में 21 हजार किलो की भगवान महावीर की मूर्ति स्थापित की है. देवेंद्र मुख्य रूप से यह स्टील के प्लांट सेट करने के काम से जुड़े हैं. देश के साथ विदेशों में 160 से ज्यादा प्लांट लगाएं हैं. इससे पहले कोटा बैराज में भी कास्टिंग के काफी प्रोजेक्ट किए हैं. जिसमें 1987 में हाइडल लिफ्ट करने के लिए कास्ट करके उपकरण लगाए गए थे.
तूफान से गिर गया था स्ट्रक्चर : विश्व के सबसे बड़े घंटे को तैयार करने के लिए एक बड़ा शेड तैयार किया गया था. यह बीते साल 23 मई को आए तूफान में गिर गया था. ऐसे में इस पूरे स्ट्रक्चर और शेड को तैयार दोबारा करवाया गया. साथ ही देवेंद्र आर्य ने कहा कि इस विश्व के सबसे बड़े घंटे के बजट के बारे में हम नहीं बता सकते हैं. बजट को नगर विकास न्यास और संवेदक देख रहे हैं. मैं केवल वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का काम देख रहा हूं.
