JhunJhunu Jawan Martyr: परिवार संग छुट्टी बिताकर एक माह पहले ही यूनिट लौटे थे मनोज, पत्नी से करके गया था ये वादा...

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Published : Dec 24, 2022, 9:05 PM IST

Updated : Dec 24, 2022, 10:37 PM IST

JhunJhunu Jawan Martyr

सिक्किम में सेना का वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें 16 जवान शहीद हो गए थे जिसमे झुंझुनू के पचेरी थाना क्षेत्र के माजरी गांव का जवान मनोज यादव (JhunJhunu Jawan Martyr) भी शामिल था. मनोज के शहीद होने की जानकारी मिलते ही परिवार और गांव में माहौल गमगीन हो गया है.

सिंघाना (झुंझुनू). जिले के सिंघाना के पचेरी थाना क्षेत्र के माजरी गांव का लाडला मनोज यादव सिक्किम के जेम (Manoj Yadav Martyr in sikkim) में शुक्रवार को हुए हादसे में शहीद हो गया. मनोज की शहादत की खबर (Weeds in martyr Manoj Yadav village) मिलते ही परिजनों में शोक की लहर फैल गई और गांव में जैसे मातम सा छा गया. शहीद मनोज के पिता जगदीश प्रसाद यादव हरियाणा के गोद बलाहा पेट्रोल पंप पर काम करते हैं और बड़ा भाई प्रमोद बीएसएफ में है जो वर्तमान में बांग्लादेश सीमा पर तैनात है.

बीते माह ही लौटा था घऱ से
मनोज यादव ने 15 दिसंबर 2015 में झुंझुनू में हुई सेना भर्ती में भाग लिया था जिसके बाद उन्होंने आर्मी ज्वाइन कर ली. उनका विवाह 2018 में खेतड़ी तहसील के दलोता गांव की ज्योति के साथ हुआ था. शहीद मनोज यादव की बेटी अवनी भी है. वह सात नवंबर को ही एक माह की छुट्टी पूरी कर वापस अपने यूनिट लौट गए थे. पिता जगदीश प्रसाद ने बताया कि बेटे के शहीद होने की सूचना सेना की ओर से पहले उसके बड़े भाई प्रमोद को दी गई थी जिसके बाद यह सूचना उन्हें दी गई.

JhunJhunu Jawan Martyr
शहीद के गांव में सन्नाटा

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गुरुवार को ही मनोज यादव का शाम को फोन आया था. इस दौरान उसने अपनी माता विमला देवी से बात भी की और फरवरी में छुट्टी पर आने की बात कही थी. मनोज यादव की वर्तमान में अरुणाचल में पोस्टिंग थी. फोन पर उसने अपनी मां से बॉर्डर पोस्ट पर जाने की बात भी बताई थी लेकिन किसी को इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह उसकी आखिरी बातचीत होगी.

JhunJhunu Jawan Martyr
जवान मनोज यादव के घर मातम

सुबह 4 बजे गांव की सड़क पर दौड़ लगाते थे शहीद मनोज
मनोज का जन्म 13 मई 1995 में हुआ था. उन्होंने दसवीं तक की पढ़ाई पचेरी खुर्द से तथा 12 वीं की पढ़ाई कैम्ब्रिज स्कूल सिंघाना से की थी. मनोज यादव को सेना में जाने की इतनी ललक थी कि वह सुबह 4:00 बजे ही तैयारी करने के लिए गांव की सड़क पर दौड़ लगाने चले जाते थे. झुंझुनू में ओपन भर्ती में पहली बार ही अपना बेहतर प्रदर्शन कर वह सेना में सेलेक्ट हो गए थे. उन्होंने दीपावली के त्यौहार के दिन महाराष्ट्र के नासिक में सेना ज्वाइन की थी जहां उनकी ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्हें पहली पोस्टिंग श्रीनगर के गुरेज में दी गई थी.

वहां डेढ़ साल तक रहने के बाद दूसरी पोस्टिंग पंजाब के गुरुदासपुर में दी गई. इसके बाद वर्ष 2021 में प्रमोशन होने के बाद मनोज यादव को लांस नायक बनाया गया. वह पिछले डेढ़ साल से अरुणाचल प्रदेश में तैनात थे. मनोज यादव पहले तो सिविल सेवा में जाना चाहते थे, लेकिन बडे़ भाई प्रमोद यादव के 2013 मे बीएसएफ में भर्ती होने के बाद उन्होंने भी सेना में जाने का मन बना लिया. गांव में जैसे ही मनोज यादव के शहीद होने की सूचना मिली तो माहौल पूरी तरह से गमगीन हो गया.

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पत्नी से किया वादा नहीं निभा पाया मनोज
शहीद के पिता जगदीश प्रसाद यादव ने बताया कि मनोज कुमार फरवरी में आने के लिए कह कर गया था. उसने अपनी पत्नी ज्योति से वादा किया था कि फरवरी में आने के बाद नई गाड़ी ली जाएगी और उसके बाद पूरे परिवार के साथ घूमने के लिए जाएंगे. इसके लिए उसने अपने भाई प्रमोद को भी फरवरी में छुट्टी लेकर घर आने की बात कही थी, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था. मनोज अपनी पत्नी से किए हुए वादे को भी नहीं निभा पाया.

Last Updated :Dec 24, 2022, 10:37 PM IST
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