स्पेशल रिपोर्ट: 2400 पौधे रोपकर साहब वाह-वाही में फंसे रहे, नाक के नीचे उजड़ गई अरमानों की बगिया

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Published : Mar 14, 2020, 3:30 PM IST

2400 पौधे उजड़े, 2400 saplings destroyed

झालावाड़ में हुए वन महोत्सव को अब सात महीने हो चुके हैं. महोत्सव के दौरान यहां लगाए गए 2400 पौधे, स्कंध वाटिका और पंचवटी 7 महीने में ही उजड़ गई है. जिला प्रशासन, वन विभाग और इनकी देखभाल के नाम पर सम्मान प्राप्त करने वाले किसी भी संगठन ने कार्यक्रम के बाद इन पौधों की सुध नहीं ली.

झालावाड़. पिछले साल अगस्त में जिला प्रशासन और वन विभाग की ओर से मिनी सचिवालय से महज 2 किमी दूर कोटा रोड पर वन महोत्सव का आयोजन किया गया था. जहां पर 6 हेक्टेयर के भूभाग में 2400 पौधे लगाए गए और एक पंचवटी का निर्माण भी किया गया था. साथ ही एक विशेष प्रकार की स्कंध वाटिका भी बनाई गई थी. जिसे अनेक एनजीओ और संगठनो ने गोद लिया था और इनकी देखभाल की जिम्मेदारी ली थी.

नाक के नीचे उजड़ गई अरमानों की बगिया

ऐसे में आज जब 7 महीने बाद ईटीवी भारत ने वन महोत्सव के ग्राउंड का रियलिटी चेक किया तो हालात चौंकाने वाले नजर आए. वन महोत्सव में लगाया गया एक भी पौधा आज अस्तित्व में नहीं है. वन महोत्सव के दौरान जिन गड्ढों में पौधे लगाए गए थे, वो गड्ढे आज बिल्कुल खाली हैं. उनमें एक भी पौधा नहीं लगा हुआ है. साथ ही स्कंध वाटिका जिसकी हर एक लाइन को अलग अलग संगठनों ने गोद लिया गया था और उसके नाम पर जिला कलेक्टर से सम्मान भी प्राप्त किया था, उस स्कंध वाटिका में संगठनों की बेपरवाही से आज एक भी पौधा मौजूद नहीं है.

इसके अलावा ग्राउंड की सुरक्षा के लिए चारों तरफ तारों की फेंसिंग और दरवाजे भी लगाए गए थे. लेकिन प्रशासन की लापरवाही के चलते उसी ग्राउंड में अब गायों को भेजकर बाहर से ताला लगा दिया गया है. जिससे ये मैदान एक बाड़े में तब्दील हो गया है. इसको लेकर जब हमने उपवन संरक्षक हेमंत सिंह से बात की तो उनका कहना था कि उनको झालावाड़ में आए हुए 2 महीने ही हुए हैं.

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उन्होंने कहा कि जिन संगठनों ने पौधों की जिम्मेदारी ली थी, उनसे हमने देखभाल के लिए कई बार अप्रोच की थी. लेकिन उनकी तरफ से कोई पॉजिटिव रेस्पॉन्स नहीं मिला है. वहीं जिला कलेक्टर सिद्धार्थ सिहाग ने कहा कि जिला प्रशासन, वन विभाग और कई संगठनों ने वन महोत्सव के पौधों की जिम्मेदारी ली थी. लेकिन उचित देखभाल के अभाव में पौधे विकसित नहीं हो पाए हैं. ऐसे में अब दोबारा से वहां पर पौधे लगाकर अच्छे से विकसित करने का प्रयास किया जाएगा.

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