Rajasthan High Court: कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा मामले में विधानसभा सचिव को शपथ पत्र पेश करने का आदेश

Rajasthan High Court: कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा मामले में विधानसभा सचिव को शपथ पत्र पेश करने का आदेश
राजस्थान हाईकोर्ट में विधानसभा के उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की (High Court order in resignation case of MLAs) जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने विधानसभा सचिव को आगामी 30 जनवरी तक नए सिरे से शपथ पत्र पेश कर विधायकों के इस्तीफे से जुड़ी जानकारियां मांगी है.
जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देने से जुड़े मामले में विधानसभा सचिव को कहा है कि वो 30 जनवरी तक नए सिरे से शपथ पत्र पेश कर बताएं कि विधायकों ने कब-कब इस्तीफे दिए. साथ ही विधानसभा स्पीकर ने उन पर क्या कार्रवाई की? अदालत ने कहा कि इस संबंध में आवश्यक दस्तावेज भी अदालत में पेश किए जाएं. सीजे पंकज मित्थल और जस्टिस शुभा मेहता की खंडपीठ ने यह आदेश उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की जनहित याचिका पर दिए.
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि विधानसभा स्पीकर ने इस्तीफों पर निर्णय कर लिया है, यह अच्छी बात है. लेकिन इसके लिए कोई युक्ति युक्त समय होना चाहिए. ऐसा नहीं होना चाहिए कि इन्हें लंबे समय तक पेंडिंग रखा जाए. अदालत ने कहा कि ऐसा करना हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा देता है. अदालत ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि पूर्व में शपथ पत्र में इस बात का कोई हवाला नहीं था कि विधानसभा स्पीकर के समक्ष विधायकों ने कब इस्तीफे पेश किए और स्पीकर ने उन्हें कब स्वीकार किया.
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स्पीकर के आदेश को भी पेश नहीं करने पर भी अदालत ने नाखुशी जताई. अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि विधायक इस्तीफा दे रहे हैं और लंबे समय बाद वापस अपने इस्तीफे ले रहे हैं. इससे स्पष्ट है कि वह जनप्रतिनिधि बने रहने के संबंध में निर्णय नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में वे जनता की बात को कैसे सामने रखेंगे. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता राजेंद्र राठौड़ की ओर से कहा गया कि विधानसभा की ओर से मामले में कोई जवाब पेश नहीं किया गया.
केवल एक शपथ पत्र पेश कर के फौरी तौर पर जानकारी दे दी गई कि इस्तीफे मंजूर कर ली है. जबकि शपथ पत्र में स्त्री से वापस लेने की बात भी की जा रही है. 110 दिन तक विधायकों के इस्तीफे को लंबित रखना लोकतंत्र के भी खिलाफ है. इस पर अदालत ने कहा कि महाधिवक्ता विधानसभा की ओर से पहले शपथ पत्र पेश कर सइस्तीफों के संबंध में विस्तृत जानकारी पेश करें. उसके बाद कोर्ट इस्तीफा स्वीकार करने की अवधि के संबंध में सुनवाई करेगी.
