सौम्या गुर्जर का 10 नवंबर के साथ किस्मत कनेक्शन, मेयर की सीट फिर सौम्या की

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Published : Nov 10, 2022, 7:12 PM IST

Updated : Nov 10, 2022, 11:44 PM IST

Lucky connection of Nov 10 with Somya Gurjar

हाईकोर्ट से सौम्या गुर्जर को राहत मिली है. ये राहत उन्हें 10 नवंबर को मिली, जब ग्रेटर निगम में महापौर के उपचुनाव के लिए मतदान हो रहा था. कोर्ट ने सौम्या के महापौर पद से बर्खास्त करने के आदेश को रद्द कर दिया. संयोग यह है कि सौम्या ने साल 2020 में ही 10 नवंबर को महापौर पद का चुनाव जीता (Lucky connection of Nov 10 with Somya Gurjar) था. चुनाव आयोग ने भी आदेश जारी कर उपचुनाव पर रोक लगा दी.

जयपुर. 10 दिन तक चली उठापटक, बाड़ाबंदी, पार्षदों को अपने पाले में करने की जद्दोजहद पर कोर्ट के फैसले से विराम लग गया. 10 नवंबर के साथ सौम्या गुर्जर का किस्मत कनेक्शन कुछ ऐसा रहा कि उपचुनाव की पूरी प्रक्रिया पर ही रोक लग गई. 2020 में भी 10 नवंबर को सौम्या गुर्जर ने महापौर पद पर चुनाव जीता था. कोर्ट के फैसले पर सौम्या गुर्जर ने कहा कि न्यायपालिका पर भरोसा था, भरोसा है और रहेगा. आगे भी संघर्ष जारी रहेगा. जीत सत्य की ही (Somya Gurjar on court order in her favour) होगी.

ग्रेटर निगम में महापौर उपचुनाव प्रक्रिया में गुरुवार को बड़ा नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला. बीते एक सप्ताह से फाइव स्टार होटलों में बाड़ाबंदी में रहे पार्षदों को लेकर गुरुवार को दोनों पार्टियों के पदाधिकारी मतदान के लिए नगर निगम पहुंचे. इस दौरान बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं ने आखिरी समय तक कमान संभाले रखी. मतदान के लिए सबसे पहले कांग्रेस के पार्षद पहुंचे.

सौम्या गुर्जर का 10 नवंबर के साथ किस्मत कनेक्शन.

कांग्रेस की ओर से बस में सवार होकर आए 53 पार्षदों ने वोट कास्ट किया. इनमें 49 कांग्रेस और 4 निर्दलीय पार्षद शामिल थे. जबकि बीजेपी के पार्षदों को लेकर विधायक और शहर बीजेपी के पदाधिकारी कार्यकर्ताओं समेत नगर निगम के कार्यालय पहुंचे. जहां उन्होंने ह्यूमन चेन बनाकर बसों से मतदान स्थल तक पार्षदों को पहुंचाया. बीजेपी की ओर से 93 वोटर्स के समर्थन की बात कही गई थी. जिनमें 85 भाजपा और 8 निर्दलीयों के समर्थन से बीजेपी की महापौर के जीतने का दावा किया गया.

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इस दौरान कांग्रेस की हेमा सिंघानिया और बीजेपी की रश्मि सैनी ने अपनी-अपनी जीत के दावे किए. दो पार्षद अस्वस्थ होने के बाद भी अपना वोट डालने निगम कार्यालय पर पहुंचे. उन्हें व्हीलचेयर से बूथ तक पहुंचाया गया. बीजेपी महापौर प्रत्याशी की दावेदार रही कार्यवाहक महापौर शील धाभाई ने सबसे आखिर में मतदान किया. मतदान होने के तुरंत बाद मतगणना शुरू हुई. लेकिन इतने में हाईकोर्ट से खबर आई कि सौम्या गुर्जर को कोर्ट ने राहत दी है. ऐसे में पशोपेश की स्थिति में पार्षद अपने बैग के साथ घर लौटने लगे. और फिर निर्वाचन आयोग की ओर से उपचुनाव प्रकिया पर रोक लगने आदेश के बाद बीजेपी खेमा दो धड़ों में बंटा नजर आया.

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एक तरफ बर्खास्त पार्षदों के साथ अन्य पार्षदों ने इसे सत्य की जीत बताया और 15 नवंबर को बर्खास्त पार्षदों के भी पक्ष में कोर्ट का फैसला आने की बात कही. उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने कहा कि उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद थी और हुआ भी ऐसा ही. उपचुनाव का रिजल्ट भी आता, तो वो भी बीजेपी के पक्ष में ही आता. इसके इतर उपमहापौर के चेंबर के पास रेस्ट रूम में बैठे बीजेपी के कई दिग्गज नेता किसी और उधेड़बुन में जुटे दिखाई दिए. वहीं उपचुनाव की शुरूआत से ही अपनी जीत के दावे कर रहे कांग्रेसी पार्षद और नेता चुपचाप यहां से निकल गए. जबकि सील बंद मतपेटियों को निगम के सभासद भवन से जिला ट्रेजरी पहुंचाया गया.

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बहरहाल, दो साल में सौम्या गुर्जर के मेयर की कुर्सी पर बैठने और उतरने का ही घटनाक्रम चलता आया है. अभी भी सौम्या गुर्जर को अंतरिम राहत मिली है. ऐसे में अब देखने वाली बात ये होगी कि सरकार की ओर से अगला कदम क्या उठाया जाता है. यह भी देखना दिलचस्प होगा कि आज हुए चुनाव का आगे वजूद रहता है या नहीं.

Last Updated :Nov 10, 2022, 11:44 PM IST
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