Lumpy disease: शीतला मंदिर में भरा 'लंपी रोग' के लिए मेला, गोवंशों को आपदा से बचाने की मांगी मन्नत

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Published : Sep 10, 2022, 5:23 PM IST

Updated : Sep 10, 2022, 6:53 PM IST

Lumpy In Rajasthan

जयपुर के चाकसू में स्थित शीतला माता मंदिर में 'लंपी रोग' के निवारण के लिए मेला (Fair for lumpy disease in Jaipur) भरा है. इसमें अब तक कई गांवों के 150 से अधिक पदयात्राएं मंदिर पहुंच चुकी हैं. श्रद्धालुओं ने गोवंशों को प्राकृतिक आपदा से बचाने की मन्नत मांगी और चरणामृत को पशुओं के शरीर पर लगाया.

चाकसू (जयपुर). चाकसू की शीलडूंगरी स्थित शीतला माता के मंदिर में इस साल 'लंपी रोग' के लिए मेला (Fair for lumpy disease in Jaipur) भरा है. इस दौरान मंदिर में पशुपालकों की भीड़ लगी है. लंपी रोग को चेचक यानी बड़ी माता मानकर लोग माता को धोक लगाने पहुंच रहे हैं. मान्यता है कि शीतला माता रोग नाशक देवी हैं और संक्रामक रोगों से मुक्ति दिलाती हैं.

जानकारी के अनुसार शनिवार तक यहां आसपास के गांव से करीब 150 से अधिक पदयात्राएं मंदिर पहुंची. इनमें दस हजार से अधिक श्रद्धालु शामिल हुए. शीतला माता को ठंडे पकवान का भोग लगाकर पूजा-अर्चना की गई. साथ ही गोवंश को इस प्राकृतिक आपदा से बचाने की मन्नत मांगी गई. श्रद्धालुओं में 80 प्रतिशत महिलाएं थीं. श्रद्धालु पूजा के बाद माताजी का सपडावा (चरणामृत) को संक्रमित गायों के शरीर पर लगा रहे हैं. यहां मंदिर में शुक्रवार क्षेत्र के कोथून, बडली, माधोसिंहपुरा, गरुडवासी, चाकसू, तामड़िया, करेडा, थली सहित आसपास के कई गांवों से पदयात्राएं यहां पहुंची थी.

शीतला मंदिर में भरा 'लंपी रोग' के लिए मेला

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साल में लगता था दो बड़ा मेला: चाकसू में स्थित मां शीतला माता का मंदिर सालों पुराना (Fair at Chaksu Sheetla Mata Temple) है. माता शीतला को रोग विनाशक देवी के रूप में पूजा जाता है. इस मंदिर में साल में होली के बाद दो बड़े मेले भरते हैं. जिनमें पहला मेला बास्योड़ा यानी शीतला अष्टमी और दूसरा बूढा बास्योडा (छोटा मेला) भरता है. लेकिन इस साल गोवंस में फैल रहें लंपी रोग को लेकर एक और नया मेला भरा है.

लाइलाज नहीं है रोग: पशु चिकित्सकों का कहना है कि गोवंशों में फैलने वाला लंपी स्किन डिजीज एक (Lumpy In Rajasthan) वायरल बीमारी है. केवल चिकित्सकीय उपचार करने तथा पशु बाड़ों में चिकित्सा विभाग की ओर से जारी की गई एडवाइजरी के तहत सफाई रखने, संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशु से दूर रखने सहित अन्य सावधानियां बरतने से ही इस बीमारी का इलाज संभव है.

Last Updated :Sep 10, 2022, 6:53 PM IST
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