बजट से पहले संकट, आखिर कितने नए जिले बनाए गहलोत सरकार...सबकी एक ही मांग

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Published : Jan 9, 2023, 6:33 PM IST

demand to make new districts in Rajasthan

राजस्थान में नए जिले बनाने की मांग प्रदेश की कांग्रेस सरकार के गले की फांस (demand to make new districts in Rajasthan) बन गई है. चुनावी दौर में ये मांग और भी तेज होती जा रही है. ऐसे में सरकार कितने नए जिले बनाए ये बड़ी चुनौती है. नीम का थाना को जिला बनाने के मांग लेकर सोमवार को काफी संख्या में लोग जयपुर पहुंच गए. इससे पूर्व भी कई विधायक और संगठन अपने क्षेत्र को जिला बनाने की मांग कर रहे हैं.

जिला बनाने की मांग

जयपुर. राजस्थान में नए जिले बनाने की मांग कुछ साल से कई विधायक (demand to make new districts in Rajasthan) कर रहे हैं. चुनाव करीब आ गया है जिससे ये मांग अब और भी तेज हो गई है. जनप्रतिनिधि और अन्य संगठनों के लोग सरकार के पास अपने कस्बे को जिला बनाने की मांग लेकर राजधानी पहुंच रहे हैं. प्रदेश की कांग्रेस सरकार भी बजट से पहले संकट में पड़ गई है कि आखिर कितने नए जिले बनाए? सोमवार को नीमराणा को जिला बनाने की मांग लेकर लोग जयपुर पहुंचे थे.

राजस्थान में नए जिलों के गठन को लेकर सरकार ने पूर्व आईएएस राम लुभाया की अध्यक्षता में कमेटी बनाई हुई है. उसकी रिपोर्ट का हर किसी को बेसब्री से इंतजार है कि प्रतापगढ़ के बाद क्या 14 साल बाद सीएम गहलोत भी राजस्थान को कोई नया जिला (14 years ago new district formed in Rajasthan) देंगे. बहरहाल प्रदेश में कौन सा नया जिला बनेगा यह तो सीएम गहलोत संभवत: अपने बजट में ही साफ करेंगे, लेकिन उससे पहले अपने-अपने जिलों की मांग को लेकर कांग्रेस के कई नेता ही सीएम के पास पहुंच रहे. इसी मांग को लेकर आज नीमकाथाना के विधायक सुरेश मोदी, कांग्रेस कोषाध्यक्ष सीताराम अग्रवाल के साथ 7 दिन पैदल चलकर जयपुर पहुंचे और मुख्यमंत्री से मुलाकात कर नीमकाथाना को जिला बनाने की मांग रखी.

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दूसरों से मतलब नहीं हमारी मांग पूरी हो
दोनों नेताओं का कहना था कि सीएम किसे जिला बनाते हैं इससे उन्हें कोई मतलब नहीं, लेकिन नीमकाथाना को जिला जरूर बनाएं. दोनों नेताओं का कहना है कि यह पुरानी मांग तो है ही, इसके साथ ही सरकार को इसमें केवल कलेक्टर और एसपी के मुख्यालय बनाने हैं, बाकी सारा इंफ्रास्ट्रक्चर नीमकाथाना में पहले से बना हुआ है. सरकार को जिला बनाने के लिए जो हजारों करोड़ का खर्च होता है वह नीमकाथाना में नहीं होगा. नीमकाथाना से जयपुर पैदल आने के बाद विधायक सुरेश मोदी और कोषाध्यक्ष सीताराम अग्रवाल के साथ ही 11 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और जयपुर के शहीद स्मारक से सिविल लाइंस फाटक तक पैदल मार्च निकाला.

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पचपदरा से विधायक मदन प्रजापत नंगे पांव

जिला बनाने की मांग लेकर नंगे पांव विझायक
जिला बनाने की मांग नई नहीं है बल्कि पूर्वर्ती वसुंधरा सरकार के समय में भी यह मांग उठती रही हैं. ब्यावर के विधायक शंकर सिंह रावत ने वसुंधरा सरकार और वर्तमान गहलोत सरकार के समय ब्यावर को जिला बनाने की मांग लेकर पैदल मार्च भी निकाला था. वहीं कांग्रेस के ही पचपदरा से विधायक मदन प्रजापत पिछले करीब 1 साल से बालोतरा को जिला बनाने की मांग को लेकर नंगे पैर चल रहे हैं. मदन प्रजापत राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में भी नंगे पैर चलते दिखाई दिए थे. उधर, विधायक और मंत्री राजेंद्र यादव तो कोटपूतली को जिला नहीं बनाने की स्थिति में मंत्री पद से इस्तीफा देने तक की बात कह चुके हैं. कहा जा रहा है कि गहलोत इस बार बजट सत्र में कुछ नए जिलों की घोषणा कर सकते हैं.

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क्यों जरूरत नए जिलों की
नए जिलों के गठन में जनसंख्या को आधार बताकर अब तक मामले को टाला जाता रहा है. तभी 2008 के बाद से राज्य में कोई नया जिला नहीं बना, लेकिन अब बड़े जिलों के प्रशासन में आने वाली दिक्कतें और इसकी वजह से आम जनता तक सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचने में हो रही देरी से सरकार पर भी दबाव बढ़ा है. आबादी का बढ़ता दबाव इसका बड़ा कारण है जो जिले के लिए जरूरी है. प्रदेश में करीब 60 से ज्यादा तहसीलों को जिला बनाने की मांग उठ रही है. हाल ही में सांभर को जिला बनाने के लिए बड़ी संख्या में क्षेत्र के लोगों ने राजधानी जयपुर में रैली भी निकाली थी. राजस्थान के मौजूदा 33 में से 25 जिलों की 60 तहसीलें ऐसी हैं जो जिले का दर्जा चाहती हैं. जयपुर, अलवर, श्रीगंगानगर और सीकर में सबसे ज्यादा 4 तहसीलों से नया जिला बनाने की मांग उठी है. जबकि अजमेर, उदयपुर, पाली और नागौर से 3-3 तहसीलें जिले का दर्जा चाहती हैं.

14 साल बाद राज्य को मिल सकते हैं नए जिले
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने करीब एक वर्ष पहले सेवानिवृत्त आईएएस अफसर रामलुभाया के नेतृत्व में एक राज्य स्तरीय कमेटी गठित की थी जिसने विभिन्न जिलों में विधायकों, सामाजिक संगठनों, व्यापारियों, उद्यमियों आदि से लंबी बातचीत की थी. उनके मांग पत्र, ज्ञापन के अध्ययन कमेटी के स्तर पर चल रहे हैं. कमेटी का कार्यकाल 31 मार्च 2023 तक है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि कमेटी अपनी रिपोर्ट जल्द ही सौंपेगी क्योंकि नए जिलों की घोषणा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आगामी बजट में कर सकते हैं. बजट में घोषणा होने के बाद कैबिनेट से प्रस्ताव पास करवाकर नए जिलों का गठन किया जाएगा.

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प्रदेश में पिछले 14 साल से कोई नया जिला नहीं बनाया गया है. 2008 में वसुंधरा राजे सरकार ने 26 जनवरी को प्रतापगढ़ को नया जिला बनाया था उसके बाद तीन सरकारें आईं लेकिन नए जिलों की मांग पर कोई फैसला नहीं हुआ. बीजेपी सरकार ने इससे पहले नए जिलों के लिए 2014 में रिटायर्ड IAS परमेश चंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी जिसकी 2018 में रिपोर्ट आई लेकिन नए जिलों पर कोई ऐलान नहीं हुआ. नए जिले बनाने के लिए कांग्रेस और समर्थक विधायक लगातार सरकार पर दबाव बना रहे हैं. इसी दबाव के बीच सीएम गहलोत ने नए जिलों के गठन के लिए मई 2022 में पूर्व आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में कमेटी बनाई है.

इनको जिला बनाने की भी होती है मांग
रामलुभाया कमेटी की रिपोर्ट के बाद गहलोत सरकार में पांच-छह नए जिले बनाने की सुगबुगाहट है. इनमें कोटपूतली, बालोतरा, फलोदी, डीडवाना, ब्यावर, भिवाड़ी के नाम सबसे आगे हैं. जयपुर के सांभरलेक, शाहपुरा, फुलेरा, कोटपूतली, दूदू, विराटनगर, सीकर के नीम का थाना, फतेहपुर, शेखावाटी, श्रीमाधोपुर, खंडेला, झुंझुनू का उदयपुरवाटी, अलवर के बहरोड़, खैरथल, भिवानी, नीमराणा, बाड़मेर का बालोतरा और गुडामालानी, जैसलमेर का पोकरण, अजमेर का ब्यावर, केकड़ी, मदनगंज किशनगढ़, जोधपुर का फलोदी, नागौर के डीडवाना, कुचामन सिटी, मकराना, मेड़ता सिटी, चूरू के सुजानगढ़, रतनगढ़, सुजला क्षेत्र सुजानगढ़, जसवंतगढ़ और लाडनूं क्षेत्र को मिलाकर सुजला के नाम से जिला, श्रीगंगानगर के अनूपगढ़, सूरतगढ़, घड़साना, श्री विजयनगर, हनुमानगढ़ से नोहर, भादरा, बीकानेर का नोखा, कोटा का रामगंज मंडी, बारां का छाबड़ा, झालावाड़ का भवानीमंडी, भरतपुर का डीग, बयाना, कामां नगर और सवाई माधोपुर का गंगापुर सिटी का नाम जिला बनाने की मांग में शामिल है.

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जिलों के लिए क्या आवश्यक
जिले के गठन के लिए वर्तमान जिला मुख्यालय से दूरी न्यूनतम 50 किलोमीटर होनी चाहिए. आसपास के क्षेत्र, तहसील आदि मिलाकर करीब 10 लाख की आबादी होना, कम से कम 3 से 4 तहसील और उपखंड मुख्यालयों का शामिल होना, भविष्य की प्रशासनिक जरूरतों को पूरा करने के आर्थिक संसाधन मौजूद हों. इसके साथ ही जिला स्तरीय कार्यालय जिसमें कलेक्ट्रेट, एसपी ऑफिस, जिला न्यायालय, राजकीय कॉलेज सहित अन्य दफ्तरों के भवनों की व्यवस्था होना जरूरी है. क्षेत्र में सड़क, पानी, बिजली, चिकित्सा, शिक्षा व रेल परिवहन की उचित व्यवस्था हो. सरहदी क्षेत्र में होने पर सेना या केंद्र की किसी एजेंसी या मंत्रालय की आपत्ति न होना, पड़ोसी राज्यों से कोई सीमा विवाद न हो और राजनीतिक स्तर पर भी कोई विवाद नहीं होना चाहिए. सबसे महत्वपूर्ण जनता की मांग भी होनी चाहिए.

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