Basant Panchami 2023: मां सरस्वती ही नहीं कामदेव की भी होती है पूजा, जानें क्यों?
Updated on: Jan 25, 2023, 4:34 PM IST

Basant Panchami 2023: मां सरस्वती ही नहीं कामदेव की भी होती है पूजा, जानें क्यों?
Updated on: Jan 25, 2023, 4:34 PM IST
माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है (Kamdev worshiped on Basant Panchami). इसी दिन ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती की ही नहीं कामदेव और रति को भी पूजने की परंपरा है. आइए जानते हैं कि क्यों पूजते हैं कामदेव को?
हैदराबाद. विवाह में कोई अड़चन हो, मनचाहा वर पाने में दिक्कतें आ रही हों तो कामदेव का आह्वान किया जाता है. एक मंत्र भी है कहा जाता है इसका बसंत पंचमी के दिन कम से कम 21 बार जाप करने से रुके कार्य सम्पन्न हो जाते हैं. ये मंत्र है- ऊँ नमः कामदेवाय सकल जन सर्वज्ञान मम् दर्शने उत्कण्ठितं कुरु कुरु, दक्ष इक्षु धर कुसुम-वाणेन हन हन स्वाहा.
कामदेव एवं रति की पूजा- श्री पंचमी से बसंत का आगमन होता है. धरती नए रूप रंग में ढल जाती है. मौसम खुशगवार होता है. शायद इसलिए भी कि माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन ही कामदेव रति संग पृथ्वी पर पधारते हैं. इनके आगमन से पृथ्वी पर प्रेम बढ़ता है. कामदेव के प्रभाव से धरती के सभी जीवों में प्रेम भाव का संचार होता है. इस वजह से वसंत पंचमी पर कामदेव और उनकी पत्नी रति की पूजा करने की परंपरा है.
कौन कामदेव!- पौराणिक कथानुसार, कामदेव भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के बेटे हैं. उनकी शादी रति से हुई. शंकर भगवान ने क्रोध में आकर जब उनको भस्म कर दिया, तो द्वापर युग में श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रुप में उनको फिर से शरीर प्राप्त हुआ. दरअसल, सती के आत्मदाह बाद भगवान शंकर वैरागी हो गए थे. उनके इस रूप से देवता परेशान हो गए.
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भोलेनाथ का क्रोध और कामदेव भस्म- भोलेबाबा की दशा देखकर देवताओं ने कामदेव से प्रार्थना की. इस इच्छा से कि शिव जी के मन में काम एवं प्रेम जागृत हो, वो सामान्य हो जाएं और उनका माता पार्वती से मिलन हो जाए. देवों की इच्छानुसार कामदेव पत्नी रति संग भगवान शिव का ध्यान भंग करने में सफल रहे. शिव का ध्यान तो भंग हो गया लेकिन भगवान के गुस्से की भेंट कामदेव चढ़ गए. उन्हें भोलेबाबा ने भस्म कर दिया.
रति की प्रार्थना पर माने शंकरजी- कामदेव को भस्म होते देख रति निढाल हो गई, रोने लगी. रति की दशा देख भगवान शिव पसीज गए और उन्होंने आशीर्वाद दिया. बोले- कामदेव भाव रुप में मौजूद रहेंगे. वे मरे नहीं हैं, वे देह रहित हैं, चूंकि उनका देह नष्ट हो गया है, वे अब बिना अंग के रह गए हैं. इसके बाद शिव ने श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न के रुप में उनको दोबारा शरीर प्राप्त करने का वरदान दिया.
