Akshay Navami 2023 : आंवला नवमी को क्यों कहते हैं अक्षय नवमी और जगधात्री पूजा ? बन रहा ये खास संयोग

Akshay Navami 2023 : आंवला नवमी को क्यों कहते हैं अक्षय नवमी और जगधात्री पूजा ? बन रहा ये खास संयोग
Amla Navami 2023, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी का पर्व मनाया जाता है. इसे अक्षय नवमी भी कहा जाता है.
जयपुर. मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तिथि तक भगवान विष्णु आंवला के वृक्ष में निवास करते हैं. इसलिए आंवला नवमी के दिन आंवला के वृक्ष की पूजा अर्चना की जाती है, जिससे आरोग्य, सुख-शांति और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. अक्षय नवमी का शास्त्रों में वही महत्व बताया गया है, जो वैशाख मास की तृतीया यानी अक्षय तृतीया का महत्व है.
क्यों कहते हैं अक्षय नवमी और जगधात्री पूजा ? : जयपुर के ज्योतिषाचार्य आचार्य राजेन्द्र शर्मा ने बताया कि आंवला नवमी के दिन ही आंवले का प्राकट्य हुआ था. इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. साथ ही अक्षय वृक्ष के नीचे भोजन करना इस दिन उत्तम माना जाता है.
आंवला नवमी का महत्व : आचार्य राजेन्द्र शर्मा ने बताया कि आंवला नवमी को कूष्मांडा नवमी और जगधात्री पूजा के नाम से भी जाना जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि आंवला नवमी के दिन किया गया पुण्य कार्य कभी खत्म नहीं होता है. इस दिन जो भी शुभ कार्य जैसे दान, पूजा-अर्चना, भक्ति, सेवा आदि की जाती हैं, उसका पुण्य कई जन्म तक मिलता है अर्थात इस दिन किए गए शुभ कार्यों का फल अक्षय होता है. इसलिए इस तिथि को अक्षय नवमी के नाम से भी जाना जाता है.
मान्यता है कि इस दिन ही द्वापर युग का आरंभ हुआ था और इस दिन से ही भगवान कृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं को त्यागकर मथुरा चले गए थे. आंवला भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय फल है और आंवले के वृक्ष में सभी देवी देवता निवास भी करते हैं, इसलिए इस वृक्ष की पूजा-अर्चना की जाती है.
आंवला नवमी शुभ योग : आंवला नवमी के दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं, जिससे इस दिन का महत्व भी काफी बढ़ गया है. आंवला नवमी के दिन शाम 8 बजकर 1 मिनट से अगले दिन 6 बजकर 49 मिनट तक रवि योग रहेगा. साथ ही इस दिन हर्षण योग भी बन रहा है. हालांकि, इस पूरे दिन पंचक भी लग रहा है.
आंवला नवमी पूजा विधि : जयपुर के ज्योतिषाचार्य नीरज शर्मा ने बताया कि आंवला नवमी के दिन सुबह स्नान व ध्यान करके आंवले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए. आंवले के पेड़ के पर दूध, जल, अक्षत, सिंदूर व चंदन अर्पित करें. इसके बाद आंवला के पेड़ पर मौली बांधकर भगवान विष्णु के मंत्र का जप करना चाहिए. इसके बाद धूप दीप से आरती उतारें और 11 बार हाथ जोड़कर परिक्रमा करें. इस दिन कद्दू व सोने का दान देना बहुत शुभ माना जाता है, साथ ही गरीब व जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए आगे आएं.
