No Question in Assembly: राजनीति के दिग्गज जनता के सवालों को लेकर विधानसभा में मौन, जानें लिस्ट में किस-किस के नाम

No Question in Assembly: राजनीति के दिग्गज जनता के सवालों को लेकर विधानसभा में मौन, जानें लिस्ट में किस-किस के नाम
गहलोत सरकार के अंतिम बजट सत्र की शुरुआत 23 जनवरी से होने जा रही है. इस दौरान विधायक क्षेत्र की समस्याओं को लेकर विधानसभा में प्रश्न लगाएंगे लेकिन कुछ ऐसे नेता भी हैं जिन्होंने चार सालों में जनता की समस्याओं (11 MLAs not ask any question in 4 years) से जुड़े एक भी सवाल नहीं लगाए हैं. इनमें कई दिग्गज नेता भी शामिल हैं.
जयपुर. गहलोत सरकार का पांचवा और इस कार्यकाल के अंतिम बजट सत्र सोमवार 23 जनवरी से शुरू होने जा रहा है. बजट सत्र हमेशा ही लंबा चलता है क्योंकि इसमें अन्य सत्रों की अपेक्षा विधायक अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर ज्यादा सवाल लगाते हैं. इस बार भी विधायकों ने अब तक 1841 सवाल लगाए हैं और इस संख्या में अभी और इजाफा होगा. लेकिन कुछ विधायक ऐसे भी हैं जिन्होंने 4 सालों में किसी भी सत्र में अपने क्षेत्र की जनता की एक भी समस्या विधानसभा में नहीं उठाई है. जी हां, 11 विधायक हैं जिन्होंने 4 साल में किसी भी विधानसभा सत्र में कोई भी सवाल नहीं लगाए हैं.
इन 11 विधायकों में से 1 भाजपा, 1 निर्दलीय और 9 सत्ताधारी दल कांग्रेस के शामिल हैं. इन सभी विधायकों ने इस बार की गहलोत सरकार के कार्यकाल में एक भी सवाल नहीं लगाए हैं. खास बात ये है कि इस लिस्ट में एकमात्र सुदर्शन सिंह रावत ही ऐसे विधायक हैं जो पहली बार चुनाव जीत कर आए हैं. बाकी की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री, कांग्रेस के पूर्व उपमुख्यमंत्री, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष समेत कई वरिष्ठ विधायक भी शामिल हैं.
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ये विधायक हैं जिन्होंने 4 साल में एक भी प्रश्न नहीं लगाए
- वसुंधरा राजे (पूर्व मुख्यमंत्री): दो बार मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे ने 4 साल में अब तक एक भी सवाल विधानसभा में नहीं लगाए हैं.
- गोविंद सिंह डोटासरा (पूर्व मंत्री और वर्तमान राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष): गहलोत सरकार में 3 साल मंत्री रहे और वर्तमान में राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष हैं लेकिन मंत्री पद जाने के बाद से इन्होंने विधानसभा में कोई सवाल नहीं पूछा.
- सचिन पायलट (पूर्व उपमुख्यमंत्री और पूर्व राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष): सरकार बनते ही सचिन पायलट राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष के साथ ही उपमुख्यमंत्री बनाए गए. वह ढाई साल उपमुख्यमंत्री पद पर रहे, लेकिन डेढ़ साल पहले पद से हटाए जाने के बाद विधानसभा के बाहर भले ही पायलट ने सरकार के सामने सवाल खड़े किए हो, लेकिन विधानसभा सत्र में कभी को प्रश्न नहीं लगाया.
- बिजेंद्र ओला (वर्तमान में मंत्री): बिजेंद्र सिंह ओला गहलोत सरकार में अब मंत्री हैं. ऐसे में वह सवाल नहीं लगा सकते लेकिन विजेंद्र सिंह करीब 3 साल से ज्यादा विधानसभा में बतौर विधायक रहे लेकिन उस समय भी उन्होंने एक भी सवाल नहीं लगाया.
- विश्वेंद्र सिंह (वर्तमान में मंत्री) : विश्वेंद्र सिंह गहलोत सरकार में मंत्री हैं लेकिन साल 2020 में मंत्री पद से बर्खास्त किए जाने से लेकर वापस मंत्री बनाए जाने तक हुए विधानसभा सत्रों में भी उन्होंने कभी कोई सवाल नहीं लगाया. जबकि उनके साथ ही मंत्री पद से हटाए गए रमेश मीणा ने मंत्री बनने से पहले अपनी जनता से जुड़े सवाल विधानसभा में पूछे.
- महेंद्रजीत सिंह मालवीय (वर्तमान में मंत्री): महेंद्रजीत सिंह मालवीय गहलोत सरकार में मंत्री हैं, लेकिन शुरुआती 3 साल वह मंत्री नहीं थे. विधायक होने के दौरान भी उन्होंने कभी अपनी जनता से जुड़ा एक भी सवाल विधानसभा में नहीं उठाया.
- परसराम मोरदिया (विधायक) : वर्तमान विधानसभा में सबसे वरिष्ठ विधायकों में से एक परसराम मोरदिया ने बीते 4 साल में जनता से जुड़ा एक भी सवाल विधानसभा में नहीं पूछा गया है.
- राजेंद्र सिंह बिधूड़ी (विधायक): राजेंद्र सिंह बिधूड़ी ने दूसरी बार विधायक बनकर राजस्थान विधानसभा के सदस्य बने, विधायक राजेंद्र सिंह बिधूड़ी ने भी 4 साल में एक भी सवाल जनता से जुड़ा विधानसभा में नहीं उठाया है.
- महादेव सिंह खंडेला (विधायक): पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके महादेव सिंह खंडेला भी राजस्थान विधानसभा के वरिष्ठ सदस्यों में से एक है, लेकिन उन्होंने भी बीते 4 साल में एक भी सवाल अपनी जनता से जुड़ा विधानसभा में नहीं उठाया है.
- दीपचंद खेरिया (विधायक): खेरिया ने भी बीते 4 साल में एक भी सवाल विधानसभा में अपनी जनता से जुड़ा नहीं रखा है.
- सुदर्शन सिंह रावत-(विधायक) पहली बार विधायक बने सुदर्शन सिंह रावत एकमात्र विधायक हैं जिन्होंने 4 साल में एक भी सवाल नहीं लगाया.
वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री रहते गहलोत ने भी नहीं लगाया था एक भी सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 15वीं विधानसभा में चार साल में एक भी सवाल नहीं लगाया है. खास बात ये है कि वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी वसुंधरा राजे के कार्यकाल में एक भी सवाल विधानसभा सत्र में नहीं लगाया था. भले ही ऐसा कोई नियम न हो लेकिन 14वीं विधानसभा में जब वसुंधरा राजे मुख्यमंत्री थीं तो उस समय पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर सदन में रहे अशोक गहलोत ने भी 11 सत्रों में एक भी सवाल नहीं लगाया था. 14वीं विधानसभा में अशोक गहलोत के साथ ही वर्तमान गहलोत सरकार में मंत्री विश्वेंद्र सिंह और पूर्व विधायक जगत सिंह और प्रेम सिंह बाजोर ने भी अपनी जनता से जुड़ा एक भी सवाल विधानसभा में नहीं रखा था.
