दौसा. जिले के लालसोट में अरावली पर्वतमाला में मेड़ा पहाड़ी का क्षेत्र जैवविविधता से समृद्ध है. यहां पर दुर्लभ जीव जंतुओं की कई प्रजातियों के साथ ही तितलियों की भी लगभग 50 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं. यहां पर एक सुंदर तीतर पेंटेड सैंडग्राउस जिसे सामान्यतया चित्रित या भट तीतर भी कहा जाता है, बहुतायत में पाए जाते हैं. इस क्षेत्र को संरक्षण मिले तो जैव विविधता से प्रचुर यह क्षेत्र एक बटरफ्लाई पार्क और पेंटेड सेंडग्राउस के लिए प्रदेश की पहचान बन सकता (Meda hills of Dausa) है.
जैवविविधता संरक्षण के लिए प्रयासरत राजेश पायलट राजकीय महाविद्यालय, लालसोट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुभाष पहाड़िया ने बताया कि मेड़ा की पहाड़ी क्षेत्र में उबड़-खाबड़ घास के मैदान तथा चट्टानी भाग है. जहां इन्हें उपयुक्त आवास मिलता है. पेंटेड सेंडग्राउस मुख्यरूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में पाए जाते हैं. यह एक स्थलीय पक्षी है, जो व्यवहार से मोनोगमस होते हैं और आमतौर पर जोड़े में ही दिखाई देते हैं. पेंटेड सैंडग्राउस का स्थानीय नाम भट तीतर या चित्रित सैंडग्राउस है. इसका सिर व पैर छोटे व शरीर अनुपातिक रूप से मोटा होता है. पूर्णरूप से जमीन पर रहने वाले इस पक्षी का आकार 25 से 30 सेमी तथा व्यस्क का भार लगभग 240 ग्राम होता है.
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इन पक्षियों के पास स्विफ्ट फ्लैपिंग उड़ान होती है. इनकी उड़ान और पंखों क्रम मनमोहक होता है. रेसिडेंट पक्षी होने के कारण ये यहां वर्षा ऋतु में प्रजनन करते हैं. आमतौर पर इनके घोंसले अकेले ही होते हैं. लेकिन कभी-कभी पक्षियों के कई जोड़े एक-दूसरे के पास घोंसला बनाने के लिये जगह चुनते हैं. मादा भट तीतर 2 या 3 गुलाबी-भूरे रंग के अंडे देती है. लैंगिक विभेदन होने के कारण नर तथा मादा अलग-अलग रंग के होते हैं.
नर दिखने में आकर्षक जिसकी चोंच का रंग नारंगी और सफेद माथे पर एक काली पट्टी होती है. साथ ही गर्दन पर बारीक काली अनुदैर्ध्य रेखाएं और आंख के चारों ओर सफेद व हरे रंग का पैच होता है. वक्ष के चारों ओर एक चौड़ी काली और सफेद पट्टी होती है. पंख और पूंछ भूरे रंग के होते हैं. जो काले और सफेद अनुप्रस्थ सलाखों में स्पष्ट रूप से चिह्नित होते हैं. मादा दिखने में धूसर भूरे रंग की होती है और गहरे भूरे और सफेद रंग के धब्बेदार पंख वाली होती है.
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अधिक संख्या होने का कारण: मेड़ा क्षेत्र की पहाड़ी इनको उपयुक्त आवास उपलब्ध करवाती है, जो इनके शरीर के रंग रूप से मिलता है. इसी छद्मावरण के कारण इन्हें आसानी से नहीं देखा जा सकता है. इन्हें देखना तभी संभव है, जब ये चलते हैं या फिर उड़ते हैं. डॉ पहाड़िया के अनुसार पेंटेड सेंडग्राउस में एक विचित्र गुण होता है कि जब इनके चूजे छोटे होते हैं तब ये उन्हें अपनी छद्मावृत पंखों के साथ चट्टानों के बीच छोड़कर पानी लेने के लिये दूर जलस्रोत तक जाते है. वहां ये अपने पूरे पंखों को जल में डुबोकर लाते हैं जिससे इनके शिशु पानी पीते हैं.