इतिहास में दूसरी बार हनुमान जयंती पर मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के कपाट रहे बंद, महंतों ने की पूजा-अर्चना

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Published : Apr 27, 2021, 2:31 PM IST

Mehandipur Balaji temple of Dausa, हनुमान जयंती

हनुमान जयंती पर मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में महंतों ने पूजा अर्चना की. हालांकि, कोरोना के कारण इतिहास में दूसरी बार मंदिर के कपाट बंद रहे. कोरोना गाइडलाइन के कारण मंदिर में सन्नाटा पसरा रहा.

दौसा. हनुमान जयंती पर पूर्वी राजस्थान के सबसे बड़े धार्मिक स्थल मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के कपाट बंद रहे. हालांकि, महंत किशोरपुरी महाराज के सानिध्य में भगवान बालाजी महाराज का जन्मोत्सव मनाया गया. मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के इतिहास में दूसरी बार बंद कपाटों में बालाजी मंदिर मे हनुमान जी का जन्म उत्सव मनाया गया है.

मेहंदीपुर बालाजी में महंत ने की हनुमान जयंती पर पूजा

इस दौरान मंदिरों में नरेशपुरी गोस्वामी और अन्य पुजारियों ने अल सुबह पंचामृत और गंगा जल से बालाजी महाराज का महाअभिषेक किया गया. बालरुप का भव्य श्रृंगार कर सोने के आभूषण पहनाए गए. बंद मंदिर के अंदर भी सरकार की कोरोना गाइडलाइन की पूरी पालना के साथ पूजा की गई.

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लोगों ने कोरोना गाइडलाइन का पालन करते हुए अपने घरों पर ही हनुमान जी की पूजा अर्चना कर जन्म उत्सव मनाया. वहीं कोरोना अनुशासन पखवाड़े के चलते पुलिस ने मंदिर परिसर के बाहर तक भी अनावश्यक किसी को जाने की अनुमति नहीं दी.

मंदिर में पसरा है सन्नाटा

गौरतलब है कि मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में हर साल धूमधाम से हनुमान जयंती महोत्सव धूमधाम से मनाया जाता था. मेहंदीपुर बालाजी में हनुमान जयंती भव्य रूप से विशेष झांकियां सजाई जाती थी. जिन्हें देखने देश के दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, एमपी, महाराष्ट्र और अनेक राज्यों के कोने-कोने से हजारों श्रद्धालु बालाजी धाम आते थे. मेहंदीपुर बालाजी कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर के सतर्कता के चलते यहां होने वाले सारे कार्यक्रम पहले ही रद्द कर दिए गए थे. जिससे यहां बालाजी धाम मे सन्नाटा पसरा हुआ है.

यहां प्रतिमा खुद ही स्थापित

स्वयंभू बालाजी का इतिहास और महिमा कहावत कलियुग के देवता हनुमान की सच्चे मन से आराधना करने पर भक्तों के संकट दूर होने के साथ मनोकामना पूरी होती है. हनुमान जी का ऐसा ही चमत्कारी प्राचीन मंदिर घाटा मेहंदीपुर में दो सुरम्य पहाड़ियों के बीच शोभायमान है. यहां बालाजी महाराज के बालरूप की प्रधान देवता के रूप में पूजा की जाती है. यहां की विशेष बात यह है कि बालाजी महाराज की प्रतिमा खुद ही स्थापित है, जहां देश-विदेश से श्रद्दालु पूजा करने आते हैं.

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