डॉक्टर अर्चना शर्मा सुसाइड केस: बीजेपी नेता जीतेंद्र गोठवाल का दावा, सुसाइड नोट पर मिले डॉक्टर का साइन फर्जी

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Published : Sep 7, 2022, 8:21 PM IST

डॉक्टर अर्चना शर्मा सुसाइड केस

दौसा के डॉक्टर अर्चना शर्मा सुसाइड केस में फिर नया मोड़ गया है. बीजेपी नेता जितेंद्र गोठवाल ने दावा किया है कि सुसाइड नोट में जो हस्ताक्षर पाए गए थे वह डॉ. अर्चना शर्मा के नहीं हैं. बीजेपी नेता जितेंद्र गोठवाल ने निजी लैब की रिपोर्ट के आधार पर यह दावा किया है. हालांकि डॉ. अर्चना शर्मा के पति डॉ. सुनीत उपाध्याय ने कहा है कि सरकारी रिपोर्ट पहले ही आ चुकी है और निजी लैब की रिपोर्ट तो फर्जी भी हो सकती है.

दौसा. जिले के लालसोट उपखण्ड का बहुचर्चित डॉक्टर अर्चना शर्मा सुसाइड केस एक बार फिर चर्चा में आ गया है. आज बीजेपी नेता जितेंद्र गोठवाल ने दावा किया है कि डॉक्टर अर्चना शर्मा सुसाइड केस में जो सुसाइड नोट मिला था उसमें दो हस्ताक्षर थे वह मृत डॉक्टर के (archana sharma signature on suicide note is fake) नहीं थे. बीजेपी नेता जितेंद्र गोठवाल का दावा है कि एक निजी लैब की जांच रिपोर्ट के आधार पर किया है.

हालांकि इस मामले में डॉ अर्चना शर्मा के पति डॉ. सुनीत उपाध्याय ने कहा है कि पूर्व में ही सरकारी एफएसएल रिपोर्ट में सुसाइड नोट पर हस्ताक्षर डॉक्टर अर्चना शर्मा के हाथों से किया हुआ पाया गया है. ऐसे में निजी लैब से आई रिपोर्ट फर्जी हो सकती है. उन्होंने कहा कि बीजेपी नेता राजनीतिक पहुंच का फायदा उठा रहे हैं. डॉ उपाध्याय ने कहा कि स्ट्रेस में होने के कारण हस्ताक्षर मैच नहीं हो रहे हों लेकिन सुसाइड नोट में हस्ताक्षर के अलावा 5 लाइन ओर थीं. ऐसे में पूरे सुसाइड नोट की रिपोर्ट आनी चाहिए थी.

डॉक्टर अर्चना शर्मा सुसाइड केस

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इस दौरान उन्होंने कहा कि (Dr Archana sharma suicide case) यह पूरा मामला न्यायालय में विचाराधीन है. ऐसे में इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा लेकिन सरकारी एफएसएल रिपोर्ट में सुसाइड नोट की जांच हो चुकी है. इधर, जब इस पूरे प्रकरण को लेकर पुलिस अधिकारियों से संपर्क साधा गया तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया और दूरभाष पर कहा कि पूरा मामला कोर्ट में विचाराधीन है. मूल सुसाइड नोट न्यायालय में पेश किया जा चुका है. अब जो भी सबूत और तथ्य पेश होंगे वे न्यायालय में ही होंगे.

वहीं बीजेपी नेता जितेंद्र गोठवाल ने कहा कि पूरे मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए ताकि डॉ. अर्चना शर्मा के साथ प्रसूता आशा को भी न्याय मिले. उन्होंने डॉक्टर अर्चना शर्मा सुसाइड केस में राजनीतिक कारणों से सरकार की ओर से बीजेपी कार्यकर्ताओं को फंसाने का आरोप लगाया और डॉक्टर अर्चना शर्मा सुसाइड केस की सीबीआई जांच की मांग की है ताकि डॉ. अर्चना शर्मा, प्रसूता आशा और 50 दिनों तक जेल रहने वाले 10 अन्य लोगों को भी न्याय मिल सके.

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ये था पूरा मामला
बीते 28 मार्च को दौसा में महिला चिकित्सक डॉ. अर्चना शर्मा द्वारा किए गए प्रसव से जुड़े ऑपरेशन के दौरान प्रसूता की मौत हो गई थी. जिसके बाद मृतका के परिजनों और अन्य स्थानीय लोगों ने महिला चिकित्सक पर (Archana Sharma Suicide Note) आरोप लगाए जिससे प्रताड़ित होकर महिला चिकित्सक डॉ. अर्चना शर्मा ने आत्महत्या कर ली थी. इस मामले में भाजपा नेता जितेंद्र गोठवाल को भी पुलिस ने नामजद कर कार्रवाई की थी. लालसोट के आनंद हॉस्पिटल में प्रसूता आशा की मौत के बाद अस्पताल के बाहर शव रखकर परिजनों ने प्रदर्शन कियाथा. इसके बाद डॉक्टर दंपती पर हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था. वहीं तीन लाख रुपए में अस्पताल प्रशासन और प्रसूता के परिजनों के बीच समझौता हुआ था लेकिन अगले ही दिन 29 मार्च को डॉ अर्चना शर्मा ने सुसाइड कर लिया था.

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